December 26, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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दार्जिलिंग में वोट प्रतिशत का गिरना: किसको फायदा किसका नुकसान?

दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र में मतदान तो संपन्न हो चुका है, परंतु पहले की तुलना में वोट प्रतिशत में गिरावट आई है. यह सभी दलों के उम्मीदवारों के लिए चिंता का कारण बन गया है. उम्मीदवार लाभ हानि की गणना करने लग गए हैं. मतदान का कम होना किस पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है अथवा किस पार्टी को लाभ पहुंचा सकता है? मतदान संपन्न होने के बाद भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. परंतु उन्हें अंदर ही अंदर संशय और चिंता खाए जा रही है.

हालांकि जानकार मानते हैं कि मतदान कम होने से किसी दल के उम्मीदवार की जीत और हार का सटीक विश्लेषण नहीं किया जा सकता है. इसके लिए 4 जून तक की प्रतीक्षा करनी होगी, जब मतगणना होगी. परंतु जहां तक दार्जिलिंग संसदीय सीट की बात है, पहले के चुनाव परिणाम, मतदान प्रतिशत और ट्रेंड का विश्लेषण करने से बहुत कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है. दार्जिलिंग में मतदान कम होने से किस पार्टी को इसका लाभ मिलने जा रहा है, आई इस बार एक नजर डालते हैं.

दार्जिलिंग सीट के लिए लगभग 73% मतदान हुआ है, जो पिछले लोकसभा चुनाव में हुए मतदान से लगभग 5% कम है. फांसी देवा विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान लगभग 84% हुआ है. उसके बाद माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी क्षेत्र में लगभग 78% और तीसरे नंबर पर चोपड़ा विधानसभा क्षेत्र आता है, जहां सर्वाधिक मतदान 77% हुआ है. सिलीगुड़ी में लगभग 75% मतदान हुआ है. पहाड़ में मतदान प्रतिशत की बात करें तो पहाड़ में कर्सियांग विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 67%, दार्जिलिंग में 66% और कालिमपोंग विधानसभा क्षेत्र में 65% मतदान हुआ है.

अब मौजूदा मतदान के आधार पर पिछले तीन चुनाव के मतदान प्रतिशत के आधार पर आकलन करते हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग में लगभग 79% मतदान हुआ था. उस समय जसवंत सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. दार्जिलिंग में सर्वाधिक मतदान से भाजपा को लाभ मिला और जसवंत सिंह चुनाव जीत गए. 2014 के चुनाव में भाजपा ने अहलूवालिया को टिकट दिया था. उस समय दार्जिलिंग में लगभग 80% मतदान हुआ था. भाजपा और टीएमसी के बीच मुख्य मुकाबला था. टीएमसी की तरफ से बाइचुंग भूटिया को उम्मीदवार बनाया गया था. चुनाव परिणाम में अहलूवालिया चुनाव जीत गए. जबकि वाइचुंग भूटिया की हार हुई थी.

2019 के लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग में लगभग 79% मतदान हुआ था. भाजपा ने राजू बिष्ट को टिकट दिया था. भाजपा के वोट प्रतिशत में जबरदस्त उछाल आई थी. चुनाव परिणाम में राजू बिष्ट ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी तृणमूल कांग्रेस के अमर राई को 5 लाख वोटो के अंतर से हराया था. लेकिन इस बार दार्जिलिंग सीट पर कम मतदान हुआ है. आमतौर पर यह कहा जाता है कि अगर किसी क्षेत्र में कम मतदान होता है तो इसका नुकसान विरोधी खेमे को होता है और सत्ता पक्ष को लाभ होता है. हालांकि लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में बढोत्तरी से यह भी कयास लगाया जाता है कि सत्ता पक्ष के खिलाफ हवा बह रही है.

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मतदाताओं में जागरूकता आई है. वोट प्रतिशत का कम होना अथवा वोट प्रतिशत में गिरावट का अर्थ यह भी नहीं है कि सत्ता पक्ष के खिलाफ हवा बह रही है या यह भी नहीं कह सकते कि सत्ता पक्ष को इसका लाभ मिल रहा है. यह बहुत कुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है. आपको याद होगा कि एक बार भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में इंडिया साइनिंग का नारा दिया था. लगभग सभी टीवी चैनल भाजपा को सत्ता में दोबारा लौटने का सर्वे दिखा रहे थे. हालांकि चुनाव परिणाम के बाद भाजपा का साइनिंग इंडिया नारा लुप्त हो गया था.

2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 400 पार का नारा दिया है. यह कहीं ना कहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं को अति आत्मविश्वास से भर रहा है. इस स्थिति में भाजपा कार्यकर्ता उस तरह की मेहनत नहीं कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए था. भाजपा कार्यकर्ताओ को लगता है कि भाजपा 400 नहीं तो कम से कम 300 का आंकड़ा तो जरूर पार कर लेगी. लेकिन राजनीतिक विश्लेषक पक्के तौर पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. क्योंकि यह भी सच है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है. संदेशखाली का मामला अभी तक चल रहा है और अब तो वहां विदेशी हथियार और बम बारूद का जखीरा पाए जाने के बाद मतदाताओं पर इसका असर अच्छा नहीं पड़ा है. हालांकि सीबीआई रेड के बाद तृणमूल कांग्रेस की हवा खराब हुई है. पार्टी चुनाव आयोग जा रही है.

जो भी हो, पश्चिम बंगाल में पहले चरण के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं का उत्साह और मतदान प्रतिशत में वृद्धि से यह कयास लगाया जा रहा था कि दूसरे चरण में पहले चरण से भी ज्यादा मतदान होगा. जबकि ऐसा नहीं हुआ. यही कारण है कि लगभग सभी दलों के उम्मीदवार अथवा पार्टी के नेता अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं दिख रहे और चिंता से भरे हैं. कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि चुनाव परिणाम उसके अनुकूल आएगा.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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