December 9, 2024
Sevoke Road, Siliguri
दार्जिलिंग राजनीति सिलीगुड़ी

बिना हेलमेट के स्कूटी चला कर राजू बिष्ट क्या संदेश देना चाहते हैं?

चुनाव कोई भी हो, उसमें हमेशा कुछ नया व अनोखा रंग जरूर देखने को मिलता है. कभी कार्यकर्ताओं की तरफ से तो कभी नेताओं की तरफ से तो कभी स्वयं उम्मीदवार कुछ अनोखा रंग दिखाना पसंद करते हैं. कभी-कभी तो उम्मीदवारों की ओर से कुछ ऐसा रंग परोसा जाता है, जिस पर सवाल खड़े होने लगते हैं. कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन के साथ-साथ नागरिकों का भी योगदान होता है. नागरिकों पर नेताओं का प्रभाव जरूर पड़ता है. नेताओं के आदर्श, सिद्धांत और उनकी वाणी का जनता पर व्यापक असर होता है. आमतौर पर एक नागरिक अपने नेता से कुछ आदर्श की उम्मीद रखता है. हालांकि यह अलग बात है कि आजकल नेताओं की वाणी तथा उनकी गतिविधियां उनके खोखलेआदर्श की पोल पट्टी खोलकर रख देती है.

दार्जिलिंग लोकसभा के उम्मीदवार राजू बिष्ट और सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष की आज खूब चर्चा हो रही है. उनकी चर्चा इस बात के लिए हो रही है कि उन्होंने मतदान के दिन बिना हेलमेट के ही सड़क पर स्कूटर चलाया. अगर कोई साधारण नागरिक होता तो पुलिस उसका चालान कर सकती थी. बिना हेलमेट के व्यक्ति अथवा वाहन चालक का चालान किया जा सकता है. रोज ऐसे अनेक केस सामने आते हैं. पुलिस प्रशासन, जानकार, कानून के ज्ञाता, नेता सभी मीडिया के सामने आदर्श की बात करते हैं. उनके मुंह से आपने जरूर सुना होगा कि बिना हेलमेट गाड़ी नहीं चलाना चाहिए या हेलमेट वाहन चालक की सुरक्षा के लिए होता है. इत्यादि इत्यादि.

ऐसा नहीं है कि राजू बिष्ट इस बात को नहीं समझते हैं. जबकि सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष तो हमेशा आदर्श और कानून की ही बात करते हैं. यह भी बता दूं कि केवल राजू बिष्ट और शंकर घोष पहली बार ऐसा कर रहे हो, ऐसा नहीं है. बल्कि सिलीगुड़ी में पहले भी कई पुलिस अधिकारियों के द्वारा बिना हेलमेट के सड़कों पर गाड़ी चलाते हुए देखा गया है. हां मगर राजू विष्ट और शंकर घोष जैसे दो वीआइपी नेता अगर इस तरह की हरकत करते हैं तो उनके चाहने वाले अथवा आलोचक जरूर सवाल खड़ा करते हैं. खबर समय के पेज पर आज राजू बिष्ट और शंकर घोष आलोचना के केंद्र में है.

जिन दर्शकों ने राजू बिष्ट और शंकर घोष को स्कूटी चलाते हुए देखा है, उन्होंने सवाल किया है कि आपका हेलमेट कहां है. कुछ दर्शकों ने कहा है कि सेव लाइफ, सेफ ड्राइव तो कुछ ने यह कहते हुए चुटकी ली है कि जय श्री राम… स्कूटी राजू विष्ट चला रहे हैं. पीछे शंकर घोष बैठे हैं. राजू बिष्ट गाड़ी चलाते हुए लोगों का अभिवादन भी कर रहे हैं. मतदान के दिन राजू बिष्ट को इस तरह से स्कूटी चलाते हुए देखकर लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर राजू बिष्ट इसके जरिए क्या संदेश देना चाहते हैं.

क्या वह अपने कार्यकर्ताओं को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने का संदेश दे रहे हैं? क्या राजू बिष्ट और शंकर घोष यह साबित करना चाहते हैं कि वह वीआईपी व्यक्ति हैं. वह जो मर्जी करें, कर सकते हैं. ट्रैफिक पुलिस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. क्या राजू बिष्ट यह संदेश देना चाहते हैं कि कानून सबके लिए बराबर नहीं होता है.ट्रैफिक रूल रेगुलेशन केवल साधारण वाहन चालकों के लिए होता है. बड़े लोगों के लिए नहीं होता है. जो भी हो अगर कानून की भाषा में अगर समझने की कोशिश की जाए तो राजू बिष्ट और शंकर घोष ने मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत कम से कम दो दर्जन कानून की धाराओं और उप धाराओं का उल्लंघन किया है.

अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से इसे समझने की कोशिश की जाए तो भी बात समझ में नहीं आती है कि इसके जरिए राजू बिष्ट क्या संदेश देना चाहते हैं. ट्रैफिक कानून के अनुसार अगर कोई साधारण नागरिक इस तरीके से गाड़ी चलाते हुए ट्रैफिक पुलिस के द्वारा पकड़ा जाता है तो ट्रैफिक की ओर से एक साथ कई जुर्माना बाइक सवार पर लगाया जा सकता है. यहां तक कि उसकी बाइक भी जब्त हो सकती है. आज दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र में मतदान संपन्न हो गया. मतदान के दौरान ही राजू बिष्ट लोगों से दुआ सलाम लेते हुए यह कहते हैं कि वोट जरूर दीजिएगा. खैर यह तो हर उम्मीदवार का गणतांत्रिक अधिकार होता है. लेकिन सवाल उनके द्वारा चुनाव प्रचार का नहीं है. बल्कि बिना हेलमेट के स्कूटी चलाने से उत्पन्न कानून श्रृंखला तोड़ने, जनता में संदेश देने और इसके राजनीतिकरण पर सवाल उठ रहे हैं. खबर समय पर अनेक दर्शकों ने राजू बिष्ट और शंकर घोष पर चुटकी ली है. कमेंट में लिखा है कि वह वीआईपी हैं. कुछ भी कर सकते हैं.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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