सिलीगुड़ी: इस ऐतिहासिक रक्षाकाली पूजा में लाखों भक्त पहुंचते हैं और माँ के सामने नतमस्तक होते जाते हैं, उनका विश्वास है कि, माँ काली सदा उनकी रक्षा करती है और उनके मनोकामनाओं को भी पूर्ण करती हैं | यहां आने वाले भक्तों में माँ के प्रति एक विशेष आस्था होती है जो हर वर्ष उन्हें खींचकर माँ के द्वारा के सामने लाकर खड़ा कर देती है | खोड़ीबाड़ी में लगभग 50 वर्षों से रक्षाकाली पूजा की जाती है | इस पूजा की शुरुआत 1975 में अश्विनी कुमार दे ने की थी और अब बलाईझोड़ा रक्षाकाली पूजा समिति इस पूजा को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है | खोड़ीबड़ी बतासी में रक्षाकाली में 35 हाथों वाली प्रतिमा की पूजा होती थी, लेकिन फिलहाल यहां 22 हाथों वाली माँ काली की प्रतिमा की पूजा की जा रही है |
बुधवार सुबह से ही खोड़ीबाड़ी में रक्षाकाली पूजा के मद्देनजर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे | खोड़ीबाड़ी नक्सलबाड़ी के अलावा बिहार, पड़ोसी देश नेपाल से भी भक्त यहां माँ के चरणों में अपना शीश नवाने पहुंच रहे हैं | कई भक्तों का तो यह कहना है कि, कई वर्षों की कोशिशें के बावजूद लोग यहां पहुंच नहीं पाते हैं, जब तक माँ का बुलावा ना हो , लेकिन इस साल उन्हें संतुष्टि है कि, वे माँ के दर्शन कर पा रहे हैं | यहां तीन दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है | वहीं मेला समिति सेवक और खोड़ीबाड़ी थाने की पुलिस सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहते हैं | लाखों की संख्या में यहां लोग पहुंचकर माँ की पूजा अर्चना करते हैं और उनका विश्वास है कि, रक्षाकाली माँ उनकी सभी मनोकामना को पूरा तो करती ही है, साथ ही सदा उनकी रक्षा भी करती हैं | कई महिलाएं तो ऐसी भी है जो हर वर्ष माँ के दर्शन के लिए व्याकुल रहती है और जैसे ही माँ के दर्शन हो जाते हैं, वे खिल जाती है | देखा जाता है कि, विशेष कर बंगाल में माँ काली के प्रति एक अद्भुत श्रद्धा देखने को मिलती है और इस मेले में माँ काली के प्रति लोगों की श्रद्धा फिर से उजागर हो रही है |
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