पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटों पर सात चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं. पहले चरण में लोकसभा की तीन सीटें हैं.यह हैं कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी. यहां 19 अप्रैल को मतदान होगा. इसके लिए तृणमूल कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त को अपने स्टार प्रचारकों की सूची सौंप दी है. इस सूची में कुल 40 नाम है. लेकिन इनमें गौतम देव का नाम शामिल नहीं है. लोग इस पर आश्चर्य भी कर रहे हैं. आखिर गौतम देव का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में क्यों नहीं शामिल किया गया?
लोग तो यह भी सवाल कर रहे हैं कि मनोज तिवारी, यूसुफ पठान जैसे खिलाड़ियों के नाम इस सूची में शामिल किये गये है. जबकि गौतम देव राजनीति के मैदान में अनुभवी नेता हैं. लेकिन उन्हें पार्टी ने दरकिनार किया. तृणमूल कांग्रेस के 40 स्टार प्रचारकों में ममता बनर्जी, अभिषेक बैनर्जी, सुब्रत बक्शी, सुदीप बंदोपाध्याय, प्रोफेसर सौगत राय, शुभनदेव चट्टोपाध्याय, कल्याण बनर्जी, मलय घटक, मानस रंजन भुईया, अरूप विश्वास, बी.बसु, फिरहद हकीम, चंद्रमा भट्टाचार्य, शताब्दी राय ,दीपक अधिकारी, ममता ठाकुर, मनोज तिवारी ,पार्थ भौमिक , डॉक्टर शशी पंजा, स्नेहसीश चक्रवर्ती ,बीरबहा हंसदा, रितव्रत बनर्जी , ए. सरकार ,प्रतिमा मंडल, कुणाल घोष, सैयोनी घोष, जून मालिया, राज चक्रवर्ती ,यूसुफ पठान, विवेक गुप्ता, सोहन चक्रवर्ती ,डॉक्टर शांतनु सेन, समीर चक्रवर्ती, अदिति मुंशी, मोहरफ हुसैन, जय प्रकाश मजूमदार, देवांश भट्टाचार्य, साय॔तिका बनर्जी, रचना बनर्जी और सौरभ दास के नाम शामिल है.
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में किसी भी दल को अपने स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को सौंपनी होती है. इस पर चुनाव आयोग मुहर लगाता है. स्टार कंपेनर के प्रचार का खर्च पार्टी के खाते में जोड़ा जाता है. अगर स्टार कंपेनर किसी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने जाता है तो उसका पूरा खर्च उम्मीदवार के चुनाव खर्च में जोड़ दिया जाता है. चुनाव आयोग ने किसी भी उम्मीदवार के चुनाव खर्च की एक सीमा तय कर दी है. कोई भी उम्मीदवार अधिकतम 95 लाख रुपए ही खर्च कर सकता है. हालांकि पार्टी की ओर से खर्च की अधिकतम सीमा तय नहीं है.
इस बार चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों के लिए कई गाइडलाइंस जारी किए हैं. स्टार प्रचारक को इसका पालन करना होगा अन्यथा पार्टी का चुनाव चिन्ह वापस लिया जा सकता है. स्टार प्रचारकों को अपने उम्मीदवारों का प्रचार करते हुए अपनी भाषा पर संयम रखना होगा, उन्हें ऐसा कोई बयान नहीं देना है जिससे धार्मिक उन्माद को बढ़ावा मिले, इसके अलावा स्टार प्रचारक को अपने भाषण में महिला का सम्मान करना होगा समेत किसी भी उम्मीदवार या परिवार के खिलाफ टिप्पणी से परहेज इत्यादि कई मसलों पर चुनाव आयोग ने काफी सख्ती लगाई है. अगर चुनाव आयोग द्वारा यह साबित कर दिया जाता है कि स्टार प्रचारक ने चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन किया है तो यह भी हो सकता है कि स्टार प्रचारक के कारण दल का चुनाव चिन्ह जब्त किया जा सकता है. ऐसे में चाहे कोई भी दल हो उसके स्टार प्रचारक को काफी संयम से और काफी सोच समझकर अपने उम्मीदवारों का प्रचार करना होगा.
सभी दलों को इसका पालन करना होगा. यही कारण है कि काफी सोच विचार कर राजनीतिक दल स्टार प्रचारकों की सूची तैयार कर रहे हैं. भाजपा के स्टार प्रचारक कौन होंगे, अभी तक यह प्रकाश में नहीं आया है. पश्चिम बंगाल में मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है.
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