सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर और पूर्व राज्य पर्यटन मंत्री गौतम देव तृणमूल कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं. तृणमूल कांग्रेस में गौतम देव का स्थान वही है, जो कोलकाता के मेयर और मंत्री फिरहद हकीम का है. गौतम देव तृणमूल कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गौतम देव पर काफी भरोसा करती हैं. यही कारण है कि पिछले विधानसभा चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हारने के बावजूद उन्हें सिलीगुड़ी नगर निगम का मेयर बनाया.
ममता बनर्जी को गौतम देव की काबिलियत का पता है. दीदी जानती है कि गौतम देव राजनीति में बड़ा उलट फेर कर सकते हैं. उनकी रणनीति कुछ ऐसी होती है कि जहां विपक्षी को भी कुछ सोचने पर मजबूर हो जाना पड़ता है. उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के हैवीवेट नेताओं में गौतम देव की गिनती यूं ही नहीं की जाती. गौतम देव ने कई बार अपने राजनीतिक अनुभव और क्षमता का इम्तिहान दिया है. एक बार फिर से उन्हें अपने राजनीतिक अनुभव, रणनीति और क्षमता का इम्तिहान देने का समय आ गया है.
लोकसभा चुनाव है और तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान काफी पहले ही कर दिया है. उत्तर बंगाल की अन्य सीटों की बात ना करके सिर्फ दो सीट दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी संसदीय सीट की बात करें तो इन दो सीटों पर गौतम देव अपने प्रत्याशियों को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इन दो सीटों पर गौतम देव का अपना प्रभाव भी है. सिलीगुड़ी शहर दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी क्षेत्र से मिलकर बना है. गौतम देव की सिलीगुड़ी पर अच्छी पकड़ है उनके काफी चाहने वाले भी हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर के रूप में गौतम देव ने अच्छा कार्य किया है. उनका टॉक टू मेयर कार्यक्रम काफी लोकप्रिय रहा है.
दार्जिलिंग संसदीय सीट से गोपाल लामा तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. जबकि जलपाईगुड़ी संसदीय सीट के लिए तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार निर्मल चंद्र राय हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने यहां से विजय चंद्र बर्मन को टिकट दिया था. इस बार निर्मल चंद्र राय पर दाव खेला है. गौतम देव अपने प्रभाव की दोनों सीटो पर उम्मीदवारों को विजई बनाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं. भाजपा की ओर से प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया गया है. दार्जिलिंग से राजू बिष्ट को फिर से टिकट दिया गया है. जबकि जलपाईगुड़ी संसदीय सीट से जयंत राय को भाजपा ने एक बार फिर टिकट दिया है. होली बीत गई है. नामांकन के साथ ही पार्टियों के चुनाव प्रचार में तेजी आने की उम्मीद है. गौतम देव राजू बिष्ट और जयंत राय के खिलाफ कौन सी नई चुनावी रणनीति तैयार करेंगे, यह देखना होगा.पर उनकी चुनावी रणनीति क्या होगी, इसका संकेत मिलने लगा है.
वर्तमान में दोनों ही सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार जोरदार प्रचार कर रहे हैं और सभी दलों से आगे चल रहे हैं. सूत्र बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दोनों ही सीटों पर चुनावी रणनीति तैयार करने और भाजपा से सीटें छीनने के लिए गौतम देव को अधिकृत कर रखा है. हालांकि गौतम देव दीदी के भरोसे को कायम रखने में कितना सफल हो पाते हैं, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. लेकिन उससे पहले कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जिससे पता चलता है कि इस बार तृणमूल कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है. भाजपा को अपनी परंपरागत सीट बचाना आसान नहीं होगा.
लोकसभा चुनाव में इन दोनों सीटों को भाजपा से छीनकर तृणमूल कांग्रेस की झोली में डालने के लिए गौतम देव एक रणनीति तैयार कर रहे हैं. गौतम देव और तृणमूल कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के प्रभाव से पार्टी में गुटबाजी को कम करने की दिशा में सफलता मिली है. इसके अलावा ऐसे नेता जो तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित हुए थे अथवा पार्टी छोड़कर अन्य दल में शामिल हो चुके थे, उनकी घर वापसी हो रही है. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवारों की ओर से यह प्रचार किया जा रहा है कि इस बार उनका मैदान साफ है. भाजपा द्वारा उम्मीदवारों के नाम की घोषणा में विलंब होने और पुराने चेहरे को ही फिर से लाने से यह संकेत जाता दिख रहा है. गौतम देव चुनाव में इसे भुनाने में पीछे नहीं रहेंगे. इससे तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा .
कहना ना होगा कि गौतम देव इस समय पार्टी में संगठन, एकता और चुनाव में जीत की रणनीति तैयार कर रहे हैं. भाजपा और वर्तमान सांसदों की छवि खराब करने के लिए गौतम देव की रणनीति का ही एक हिस्सा है कि चाहे वह सिलीगुड़ी की घटना हो अथवा जलपाईगुड़ी संसदीय क्षेत्र की घटना, जनता के बीच से ही भाजपा सांसदों ,विधायकों और पार्षदों का विरोध किया जा रहा है. कुछ समय पहले जलपाईगुड़ी संसदीय क्षेत्र में एक पोस्टर लगाया गया था, जिसमें मौजूदा सांसद जयंत राय को लापता बताया गया था. विपक्षी पार्टियों की ओर से संदेशखाली, कथित घोटाले, भ्रष्टाचार और दूसरे विवादास्पद मुद्दे उठाए जा सकते हैं, इसलिए फिलहाल गौतम देव की कोशिश यही होगी कि वर्तमान ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान हटाकर उसे सकारात्मक रूप से भुनाया जाए. लेकिन यह कैसे होगा, यह देखना दिलचस्प होगा. सूत्र बता रहे हैं कि यह सब भाजपा उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार और उनकी रणनीति पर ही निर्भर करेगा. अब देखना होगा कि गौतम देव इसका ‘तोड़’ निकाल पाने में कितना सफल होते हैं.
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