सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों का प्रमुख रेलवे स्टेशन एनजेपी को विश्व स्तरीय स्टेशन बनाने के लिए कई परिवर्तन किए गए हैं. इन परिवर्तनों के कारण कई मार्गों को बंद कर दिया गया है तो कई मार्ग इस स्थिति में हैं कि बाहर से स्टेशन आने वाला व्यक्ति भ्रमित हो जाता है. उसे पता ही नहीं चलता कि स्टेशन परिसर में कैसे प्रवेश करें. रेलवे की ओर से ना तो कोई विशेष मार्ग परिदर्शन संकेतक लगाए गए हैं और ना ही यात्रियों के लिए कोई खास एंट्री गेट है. ताकि यात्री स्टेशन में दाखिल हो सके.
अगर आप सिक्किम, दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी के दूरदराज क्षेत्रों से एनजेपी ट्रेन पकड़ने के लिए जा रहे हैं तो समय से कुछ पहले ही स्टेशन जाएं. क्योंकि एनजेपी स्टेशन के पास गाड़ी से उतरने के बाद स्टेशन के भीतर जाने के लिए मुख्य मार्ग को बंद कर दिया गया है. हालांकि रेलवे की ओर से वैकल्पिक मार्ग खोला गया है, परंतु वह बाहर से दिखाई नहीं देता है. सामने दुकान नजर आती है. दुकान के पीछे में वैकल्पिक रास्ता है. या तो आपको आसपास के दुकानदारों से पता करना होगा या फिर आपको वैकल्पिक मार्ग के बारे में पहले से पता होना चाहिए.
रेलवे की ओर से यात्रियों की सुविधा के लिए संकेतक का प्रयोग करना चाहिए कि बाहर से आया यात्री किस तरह से स्टेशन में प्रवेश कर सके. एक तो यात्री के पास सामान होता है. दूसरे में वह घर से समय पर ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन रवाना होता है. लेकिन जब वह स्टेशन पर पहुंचता है तो मुख्य मार्ग ही बंद नजर आता है. रात के समय तो और ज्यादा परेशानी होती है. जब यात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है. एक तो रिमझिम हो रही बारिश से लोगों को परेशानी हो रही है. ऊपर से जगह-जगह कीचड़ और जल जमाव स्टेशन के पास देखा जा सकता है. सामान के साथ इधर-उधर भागना कितना कष्टकारी होता है, यह आसानी से समझा जा सकता है.
यात्रियों की शिकायत जायज है. जब उन्हें स्टेशन में दाखिल होने में परेशानी होती है तो उनके मुंह से यही निकलता है कि कम से कम रेलवे को यात्रियों की सुविधा के लिए वैकल्पिक मार्ग के बारे में बड़े-बड़े अक्षरों में संकेतक लगाए जाना चाहिए, ताकि दूर से ही यह नजर आए. जबकि ऐसा वहां कुछ नहीं किया गया है. यात्रियों को हो रही परेशानी को देखते हुए सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष ने रेलवे के जीएम को एक पत्र लिखा है और इसके समाधान की मांग की है. शंकर घोष ने एनएफ रेलवे के जीएम अंशुल गुप्ता को लिखे पत्र में कहा है कि यह अच्छी बात है कि एनजेपी स्टेशन को विश्व स्तरीय स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि निर्माण कार्यों के कारण यात्रियों को स्टेशन तक पहुंचने में कोई बड़ी बाधा का सामना न करना पड़े.
वर्तमान में एनजेपी स्टेशन प्रांगण में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. ऐसा लगता है कि यह पूरी तरह से अव्यवस्थित है. बरसात के समय लगातार हो रही बारिश के चलते कई जगह जल जमाव देखने को मिलता है. पार्किंग से स्टेशन तक रूट कवर्ड न होने और ऊपर से बारिश होने तथा जल जमाव के कारण उनका सामान भीग जाता है. महिला यात्रियों को तो सबसे ज्यादा परेशानी होती है, जब उन्हें पानी में ही चलना पड़ता है. रात के समय यह स्थिति ज्यादा भयानक हो जाती है.
इस समय अगर आप एनजेपी स्टेशन जा रहे हैं तो उपरोक्त बातों का ध्यान रखें. स्टेशन के पास या तो टोटो या ऑटो वालों से पूछे या फिर दुकानदार बता सकते हैं कि स्टेशन जाने का रास्ता किधर से है. बारिश के समय अगर स्टेशन में प्रवेश कर रहे हैं तो छाता अवश्य लेकर चले. उन यात्रियों को भी परेशानी हो रही है जो एनजेपी स्टेशन उतरते हैं. बारिश के समय प्लेटफार्म से स्टेशन परिसर आने के बाद या तो बारिश रुकने का इंतजार करें या फिर छाता रखें. अन्यथा बारिश में भीगना पड़ सकता है.
फिलहाल रेलवे की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया है. इसलिए यात्रियों में बेचैनी है कि आखिर इस समस्या का समाधान कब तक होगा. हालांकि यह कहा जा रहा है कि वैकल्पिक मार्ग भी कुछ दिनों में बंद हो जाएगा. कुछ दिनों में ही प्रवेश और निकास मार्ग अलग-अलग नजर आएंगे. लेकिन तब तक यात्रियों को परेशानी हो रही है.
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