RGकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को दूसरी बार सीबीआई ने गिरफ्तार किया है. जिस संदीप घोष को सीबीआई ने RGकर मामले से अब तक अलग रखा था, अब इस मामले में गिरफ्तार कर एक बड़ी सनसनीखेज सच्चाई को सामने लाने की कोशिश की है. इससे पहले संदीप घोष की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार, कदाचार और अस्पताल प्रशासन की वित्तीय अनियमितता के मामले में हुई थी. लेकिन जैसे-जैसे मामले में खुलासा होता चला गया, उसका दूसरा छोड़ RGकर मामले पर आकर ठहर गया है. सीबीआई ने 14 सितंबर को इस मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उनके साथ-साथ कोलकाता पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर को भी गिरफ्तार किया गया है.
RGकर मामले में इन दोनों की गिरफ्तारी ने इस पूरे मामले को ही रहस्यमय बना दिया है. अब तक तो यही समझा जा रहा था कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाला एक ही शख्स था, जो जेल की सलाखों के पीछे है. पर सीबीआई ने अब इस मामले में संदीप घोष और पुलिस के एक अधिकारी को गिरफ्तार कर इस मामले को रहस्यमय बना दिया है. संदीप घोष और पुलिस के अधिकारी पर जो धारा लगाई गई है, उसके अनुसार संदीप घोष और पुलिस अधिकारी ने सबूत मिटाने, सबूत से छेड़छाड़ करने और जांच एजेंसी को गुमराह किया गया है.
हालांकि सीबीआई की ओर से अभी तक संदीप घोष और पुलिस जांच अधिकारी की गिरफ्तारी को लेकर कोई बड़ा बयान सामने नहीं आया है और ना ही इसका खुलासा किया गया है. परंतु सवाल यह है कि अगर इस मामले में दुष्कर्मी और हत्यारा एक ही व्यक्ति है तो उस व्यक्ति के साथ संदीप घोष और जांच अधिकारी की भूमिका क्या है. क्यों संदीप घोष और जांच अधिकारी ने सबूत के साथ छेड़छाड़ की है? क्यों संदीप घोष ने जांच एजेंसी को गुमराह करने की कोशिश की? इसका मतलब यह है कि आरोपी के साथ संदीप घोष का कहीं ना कहीं संबंध है. इसका मतलब यह भी है कि मृतका डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर मामले में संदीप घोष की संलिप्तता को अलग नहीं रखा जा सकता.
सीबीआई ने संदीप घोष और पुलिस जांच अधिकारी के खिलाफ बेईमानी करने, आपराधिक मामला और अन्य मामलों में मुकदमा दायर किया है. जिन धाराओं को जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ लगाया है, उसमें जमानत नहीं हो सकती है. इस नई जानकारी के बाद यह मामला और पेचीदा होता जा रहा है. इस बीच RGकर मामले में पीड़िता को न्याय दिलाने और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा की मांग में जूनियर डॉक्टर रोजाना प्रदर्शन कर रहे हैं. जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन और काम पर नहीं लौटनै के कारण राज्य का स्वास्थ्य प्रशासन चौपट हो गया है. अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है.
राज्य के विभिन्न अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल और मरीज की देखभाल नहीं होने के कारण कई रोगियों की जान चली गई. इसके एवज में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रत्येक मृतक रोगी के आश्रित को दो दो लाख रुपए की सहायता दी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने हड़ताली और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बातचीत करने का प्रस्ताव भेजा और यह भी कहा कि अगर डॉक्टर काम पर लौट जाते हैं तो वह उन्हें माफ कर सकती हैं. आरंभ में तो प्रदर्शनकारी डॉक्टर तैयार नहीं हो सके. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को भी हस्तक्षेप करना पड़ा. लेकिन फिर भी जूनियर डॉक्टर अपनी मांग पर अड़े रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर्स को काम पर लौटने के लिए कहा था. लेकिन तब भी डॉक्टर काम पर नहीं लौटे और प्रदर्शन करते रहे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बीच स्वास्थ्य प्रशासन में मची हड़कंप के बाद कहा था कि वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगी. उनका यह बयान तेजी से सुर्खियों में छा गया था. काफी कोशिश के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गत दिन प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स के साथ एक बैठक हुई थी. लेकिन इसमें नतीजा कुछ नहीं निकला. इस तरह से यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हड़ताली डॉक्टर इस बात पर अडिग है कि जब तक उनकी सुरक्षा और मृतका को इंसाफ नहीं मिल जाता, वे प्रदर्शन करते रहेंगे.लेकिन इससे कहीं ना कहीं राज्य के अस्पतालों की स्थिति खराब होती जा रही है. बहरहाल देखना होगा कि सरकार और हड़ताली डॉक्टरों के बीच समन्वय कब तक स्थापित होता है. साथ ही आरजीकर मामले में और कौन सा नया सच सामने आता है.
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