सिलीगुड़ी में सब्जियों के मूल्य में कमी लाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं. टास्क फोर्स के अधिकारी सिलीगुड़ी के बाजारों में जाकर सब्जियों के मूल्य में कमी लाने के मुद्दे पर दुकानदारों से बातचीत कर रहे हैं. थोक दर और खुदरा दर में कम से कम गैप रहे, इसके लिए प्रयास हो रहा है. टास्क फोर्स के अधिकारी चाहते हैं कि व्यापारी थोक दर पर खरीद की गई सब्जियों के भाव उचित मुनाफा लेकर ग्राहकों को बेच सकें. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने भी व्यापारियों से अनुरोध किया है कि अनाज और सब्जियों के थोक तथा खुदरा मूल्य में ज्यादा असंतुलन न रहे.
अब तक टास्क फोर्स के अधिकारियों ने बाजार के सर्वेक्षण में पाया है कि कुछ व्यापारी भारी मुनाफा कमाने के लिए थोक दर पर खरीदी गई वस्तुओं को 15 से 20% अधिक मुनाफे के साथ ग्राहकों को बेचते हैं. मेयर गौतम देव ने ऐसे व्यापारियों को चेतावनी दी है कि वे किसी भी वस्तु का मनमानी मूल्य तय न करें. टास्क फोर्स के अधिकारी भी यही चाहते हैं कि व्यापारियों का एक निश्चित कमीशन हो. एजेंट आदि व्यापार में शामिल सभी लोग ग्राहकों के हित का भी ध्यान रखें.
इसमें कोई शक नहीं कि बरसात के दिनों में सब्जियों के मूल्य में भारी वृद्धि हो जाती है. परंतु सिलीगुड़ी में पहली बार देखा जा रहा है कि मूल्य वृद्धि का पिछला रिकॉर्ड भी टूट गया है. टास्क फोर्स के अधिकारी लगातार अभियान चला रहे हैं. अब सवाल यह है कि टास्क फोर्स का प्रयास सब्जियों की कीमत में कमी लाने में कितना सफल हो पाएगा? क्योंकि जब इस संबंध में व्यापारियों से मूल्य वृद्धि के बारे में बात की गई तो उनका जवाब सुनकर यही लगता है कि सब्जियों के मूल्य में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आने वाली है. इसका कारण क्या है?
उत्तर बंगाल में आई बाढ़ और बरसात के कारण सब्जियों की खेती नष्ट हो गई है. सिलीगुड़ी के बाजारों में बिक रही अधिकांश सब्जियां दूसरे राज्यों से मंगाई जा रही है. बैंगन, टमाटर, आलू, हरी मिर्च, शिमला मिर्च ,भिंडी, परवल इत्यादि दूसरे राज्यों से मंगाए जाते है. इस समय पूरे देश में बारिश हो रही है. इसलिए सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन में समस्या आ रही है. व्यापारी को भाड़ा भी अधिक चुकाना पड़ता है. बरसात में सब्जियों के गलने और खराब होने के ज्यादा अवसर होते हैं. व्यापारी अपनी जेब से यह सब वहन नहीं करता और सब्जियों पर ही घाटे को लाद दिया जाता है. इस तरह से सब्जियों की कीमत बढ़ जाती है.
रेगुलेटेड मार्केट के थोक व्यापारियों ने बताया कि इस समय भारत के दक्षिणी राज्यों से अधिकांश सब्जियां मंगाई जा रही हैं. दक्षिण भारत से ट्रक को सिलीगुड़ी पहुंचने में कम से कम 3 दिन का समय लग जाता है. अगर रास्ते में बरसात हुई तो ट्रक में रखी सब्जियां सडने और गलने लगती हैं.टमाटर बेंगलुरु से मंगाया जा रहा है. धनिया पत्ता को विमान से मंगाया जा रहा है. इसका किराया भी बढ़ जाता है और अंततः सब्जियों पर ही घाटा लाद दिया जाता है. इसके बाद माल मंडी में पहुंचता है तो एजेंट का कमीशन और व्यापारी के कमीशन के बाद इसकी लागत बढ़ जाती है.
पश्चिम बंगाल में आलू और प्याज की खेती कम हुई है.आलू और प्याज दक्षिण के राज्यों से मंगाए जा रहे हैं. महाराष्ट्र के नासिक और मध्य प्रदेश के इंदौर से प्याज मंगाया जाता है.ऐसे में जाहिर है कि प्याज के मूल्य में वृद्धि होगी. बारिश और बाढ़ में सब्जी की फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचता है. कोई भी व्यापारी अपनी जेब हल्का करना नहीं चाहता है. ऐसे में सब्जी पर ही इसका भार बढ़ जाता है. आलू की खेती कूचबिहार, फालाकाटा और धुपगुडी में अधिक होती है. लेकिन इस बार इसका उत्पादन यहां भी कम हुआ है. बाहर से मंगाने के कारण आलू का भाव भी बढा है. देश में किसी भी कोने में आलू की कीमत ₹30 किलो से नीचे नहीं है.
इस तरह से व्यापारियों ने बरसात में सब्जी की कीमत बढ़ने के जो कारण बताए, उसे देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि टास्क फोर्स के बाजार सर्वेक्षण या निरीक्षण से सब्जियों की कीमत में कोई ज्यादा कमी आ सकती है. व्यापारियों के अनुसार अधिक से अधिक एक या दो रुपए की कमी संभव है. इससे ज्यादा की कमी संभव नहीं है. क्योंकि कोई भी व्यापारी घाटे में सौदा नहीं करेगा. टास्क फोर्स के अधिकारी और सिलीगुड़ी नगर निगम भी नहीं चाहते कि व्यापारी घाटे में वस्तु बेचे. बस यह ध्यान रखना जरूरी है कि थोक मूल्य और खुदरा मूल्य में ज्यादा असंतुलन न हो. यानी कम मुनाफा में सब्जियों की बिक्री करें तो कम से कम ₹5 प्रति किलो की कमी जरूर आ सकती है.
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