एक भाई की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. दूसरा भाई अस्पताल में पड़ा जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहा है. किसी परिवार का चिराग बुझ गया. 5 साल के उस मासूम को क्या पता था कि एक ट्रैक्टर यमराज बनकर आएगा और उसका जीवन समाप्त करके चला जाएगा. चर्चा है कि अगर पुलिस ने कातिल ट्रैक्टर चालक को बचाया नहीं होता, तो हिंसक भीड़ उसका काम तमाम कर देती. यह घटना आज सुबह घटी है. यह सिलीगुड़ी के निकट फांसीदेवा इलाके की है. इस हृदय विदारक घटना की पृष्ठभूमि में चलते हैं.
सुबह का समय था. 7:30 बजे थे. गंगाराम खूंटीपाड़ा इलाके में रहने वाले लियोन कुजूर तथा यूनुस कुजूर नामक दो बच्चे खुशी खुशी साइकिल से स्कूल जा रहे थे. कल रामनवमी को लेकर स्कूल में छुट्टी थी. इसकी भी उन्हें खुशी थी. बच्चों के माता-पिता बेंगलुरु गए थे. लेकिन वह जल्द ही घर आने वाले थे. अपने माता-पिता को देखने की भी उन्हें खुशी थी. घर में दादी थी. दादी ही बच्चों की देखभाल कर रही थी. दादी ने सुबह-सुबह बच्चों को नाश्ता कराया. उसके बाद बच्चे साइकिल से स्कूल की ओर निकल पड़े. दोनों सगे भाईयों में से एक की उम्र 5 साल थी. जबकि दूसरा भाई उससे काफी बड़ा था. वही साइकिल चला रहा था.
अचानक विपरीत दिशा से बालू पत्थर लदा एक ट्रैक्टर तेजी से आ रहा था. अक्सर कहा जाता है कि बालू पत्थर का ढुलाई करने वाले ट्रैक्टर अथवा ट्रक के चालक अत्यंत लापरवाह और खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाते हैं. ऐसी गाड़ियों से अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं. लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की ओर से उन पर लगाम नहीं लगाई जाती आज एक बार फिर से ट्रैक्टर ने साइकिल को धक्का मार दिया. इससे साइकिल पर सवार दोनों बच्चे ट्रैक्टर की चपेट में आ गए. छोटे बच्चे लियोन कुजूर की तो मौके पर ही मौत हो गई.जबकि यूनुस कुजूर बुरी तरह जख्मी हो गया.
इस घटना को वहां आसपास के लोगों ने देखा तो तुरंत ही घटनास्थल पर भागते हुए पहुंचे. ग्रामीणों ने बच्चों को निकटवर्ती अस्पताल में पहुंचाया. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. डॉक्टर ने छोटे बच्चे को मृत घोषित कर दिया. बड़े भाई की चिकित्सा चल रही है. वह बुरी तरह घायल है. इस घटना से लोगों का गुस्सा काफी भड़क उठा. उन्होंने 5 साल के बच्चे का शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इस बीच सूचना पाकर बागडोगरा थाना की पुलिस लाव लश्कर के साथ पहुंच चुकी थी.
ग्रामीणों का एक बड़ा हुजूम आक्रोशित और उत्तेजित था. पुलिस बल को देखते ही उनका गुस्सा भड़क उठा. पुलिस अधिकारियों ने उत्तेजित भीड़ को समझाने की चेष्टा की. लेकिन भीड़ का एक ही कहना था कि इस सबके लिए पुलिस जिम्मेदार है. ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि जब नदी में बालू पत्थर निकालने का काम बंद कर दिया गया है, तो ऐसे में नदी से पत्थर कैसे निकाले जा रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस बालू पत्थर का चोरी छिपे काम करने वाले ट्रैक्टर मालिकों से मिली हुई है.
रास्ता खाली कराने को लेकर पुलिस और ग्रामीणों में काफी बहस हुई. ग्रामीणों का कहना था कि जब तक प्रशासन का कोई बड़ा व्यक्ति अथवा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां नहीं आएगी, तब तक वे भी वहां से हटेंगे नहीं. स्थिति बिगड़ते देखकर पुलिस बल की ओर से भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल करना पड़ा. इसके साथ ही पुलिस बल ने भीड़ को जबरन खदेड़ना शुरू कर दिया. चर्चा यह भी है कि पुलिस बल का मुकाबला करने के लिए भीड़ की ओर से पत्थर बाजी भी शुरू कर दी गई. हालात बिगड़ते देखकर माटीगाड़ा थाना से भी बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स को मंगाया गया. सूत्रों ने बताया कि पत्थर बाजी में 22 पुलिसकर्मी आहत हुए हैं.इनमें माटीगाड़ा थाना आईसी और डीसीपी हेडक्वार्टर भी शामिल हैं.
यह पूरी घटना फांसी देवा प्रखंड के अंतर्गत गंगारामपुर खूंटीपाड़ा इलाके की है. इस बीच पुलिस ने घटना की छानबीन शुरू कर दी है. ट्रैक्टर को कब्जे में लेकर पुलिस ने ट्रैक्टर चालक को हिरासत में ले लिया है. पूछताछ की जा रही है. ट्रैक्टर चालक को सिलीगुड़ी अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा. पुलिस घटना में दोषी लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रही है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि ट्रैक्टर चालक तीव्र गति से गाड़ी चला रहा था. पुलिस इसकी भी छानबीन कर रही है. स्थानीय लोगों कहना है कि जब तक बालू पत्थर का काम करने वाले ट्रैक्टर अथवा ट्रक चालकों पर लगाम नहीं लगाया जाएगा, तब तक ऐसी दुर्घटनाएं होती रहेंगी.
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