सिक्किम को पूरे भारत में ऑर्गेनिक स्टेट का दर्जा मिला है. यहां 100% ऑर्गेनिक खेती होती है. पर जैसी खबर आ रही है, उसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या यहां बिकने वाली सब्जियों के अलावा अनाज पूरी तरह ऑर्गेनिक है? खासकर उस चावल की बात करते हैं, जो सिक्किम में ऑर्गेनिक चावल कहा जाता है और उसका निर्यात किया जाता है. क्या यह सचमुच ऑर्गेनिक चावल होता है?
सिक्किम का चावल विदेशों में निर्यात होता है. यहां के किसानों को ऑर्गेनिक अनाज का प्रमाण पत्र सिक्किम सरकार की एक संस्था SSOCA देती है. ऑर्गेनिक चावल प्रमाण पत्र अनियमितता सामने आने के बाद एग्रीकल्चरल और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी ने संस्था को 1 साल के लिए निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही यहां से ऑर्गेनिक चावल विदेशों में निर्यात करने वाले एक निजी एक्सपोर्टर को 10 लाख रुपए का दंड भी लगाया है.
इस खबर के सामने आने के बाद सिक्किम जैसे राज्य में ऑर्गेनिक खेती तथा ऑर्गेनिक खेती के नाम पर दिए जा रहे प्रमाण पत्र पर सवाल उठने लगे हैं. क्या सिक्किम से ऑर्गेनिक अनाज चावल की जगह पर सफेद चावल भेजा जा रहा था? क्या यहां से निर्यात किए जाने वाले ऑर्गेनिक अनाज की जगह पर सामान्य चावल भेजा जा रहा था? आखिर किस तरह से बिना जांच के यह संस्था किसानों को ऑर्गेनिक अनाज का प्रमाण पत्र देती थी? कहीं ना कहीं यह पूरा मामला सिक्किम राज्य की साफ छवि को धूमिल करता है.
12 अगस्त 2024 को द हिंदू में एक खबर प्रकाशित हुई थी. रिपोर्ट के अनुसार 2024 2025 के दौरान शुरुआती 4 महीने में ही सिक्किम समेत पूरे देश से 146585 टन ऑर्गेनिक चावल का निर्यात किया गया था. यह मात्रा इतनी ज्यादा थी कि 2023 24 में ऑर्गेनिक चावल के निर्यात के आंकड़ों से काफी अधिक थी. यह एक चौंकाने वाली खबर थी. इस खबर की पड़ताल की गई. पुष्टि होने के बाद डी आर आई के अधिकारियों ने देश के विभिन्न बंदरगाहों जैसी जेएनपीटी, मुंद्रा और कांडला बंदरगाहों पर छापा मार कर ऑर्गेनिक चावल के 400 कंटेनर्स जब्त कर लिए.
मीडिया खबरों के अनुसार जब्त ऑर्गेनिक चावल की जांच की गई, तो कंटेनर्स में नॉन ऑर्गेनिक व्हाइट राइस पाया गया. यानी ऑर्गेनिक चावल के नाम पर सामान्य सफेद उबले चावल का निर्यात किया जा रहा था. डी आर आई के अधिकारियों ने पाया कि शिपमेंट में 127120 टन सफेद चावल और 8000 टन टूटे चावल थे. कंटेनर्स को वियतनाम और कीनिया जैसे देशों में भेजा जा रहा था, जहां मजे की बात तो यह है कि ऑर्गेनिक चावल की कोई खपत ही नहीं थी. राजस्व विभाग के अधिकारियों ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाया तो एक दक्षिण भारतीय निर्यातक से एक सनसनीखेज जानकारी मिली.
ऑर्गेनिक चावल के दक्षिण भारतीय निर्यातक व्यक्ति ने बताया कि बरामद शिपमेंट में काफी शिपमेंट सिक्किम से आए हुए थे. इस रिपोर्ट के बाद वाणिज्य मंत्रालय ने सिक्किम में ऑर्गेनिक अनाज का प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्था SSOCA से पूछताछ शुरू कर दी. दूसरी संस्था जयपुर की थी.SSOCA से पूछताछ के क्रम में पता चला कि अधिकांश कंटेनर सिक्किम जैसे ऑर्गेनिक खेती करने वाले राज्य के थे. डी आर आई के अधिकारियों को यह भी पता चला कि यह संस्था धोखाधड़ी कर रही थी. जांच में एक नेटवर्क फ्लाई बाय नाइट के कुछ संचालकों के भी इसमें लिप्त होने का पता चला.
हालांकि अभी जांच प्राथमिक चरण में है. पर सवाल उठ रहा है कि सिक्किम जो अपनी ऑर्गेनिक खेती के लिए पूरे भारत ही नहीं बल्कि विश्व में प्रसिद्ध है, वहां ऑर्गेनिक चावल के नाम पर यह गोरख धंधा क्यों हो रहा था और कब से हो रहा था? क्या इस गोरख धंधे में और लोग भी शामिल हैं? किसकी शह पर यह गोरख धंधा किया जा रहा था?
सवाल यह भी है कि ऑर्गेनिक चावल के कंटेनर्स की कस्टम अधिकारियों ने जांच क्यों नहीं की थी? उन्होंने बिना जांच पड़ताल के ही उसे क्लीयरेंस कैसे दे दिया? यहां सवाल यह भी है कि भारत सरकार ने जुलाई 2023 में ही सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है. इसके बावजूद सफेद चावल का निर्यात कैसे किया जा रहा था? और भी कई सवाल उठ रहे हैं और इस सवाल के केंद्र में सिक्किम में ऑर्गेनिक अनाज का प्रमाण पत्र जारी करने वाली एजेंसी एसएसओसीए है. जो भी हो, धांधली की खबर सामने आने के बाद सिक्किम राज्य के ऑर्गेनिक स्टेट की छवि धूमिल हुई है.
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