November 14, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

क्या आपके रसोई गैस सिलेंडर में पानी भरा होता है?

क्या आप जो रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं, उसमें पानी भरा होता है? हो सकता है, कुछ लोग इसकी शिकायत कर सकें. क्योंकि वर्तमान में अनेक रसोई गैस उपभोक्ता इसकी शिकायत कर रहे हैं. खासकर सिलीगुड़ी के आसपास के क्षेत्र के लोग. सिलीगुड़ी में ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर बंगाल में उपभोक्ताओं की यह शिकायत रहती है कि उनका गैस सिलेंडर कुछ ही दिनों में खत्म हो जाता है. जांच करने पर पता चलता है कि सिलेंडर में पानी भरा होता है.

इन दिनों उदलबाड़ी क्षेत्र में रसोई गैस उपभोक्ताओं को उनके गैस सिलेंडर में पानी पाए जाने की शिकायत मिल रही है. रसोई गैस वितरकों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि रसोई गैस सिलेंडर में पानी भरा होने से उपभोक्ता उसे वापस वितरक को देते हैं और वितरक को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. वितरकों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर गैस सिलेंडर में पानी कैसे आ जाता है. उन्हें लगता है कि जरूर कोई गोरख धंधा है जिस वजह से गैस वितरकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

उदलाबाड़ी गैस डिस्ट्रीब्यूटर के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों में 40 गैस सिलेंडर बदले हैं, जिसमें पानी पाया गया. सूत्र बता रहे हैं कि मालदा से लेकर कूचबिहार तक पूरे उत्तर बंगाल में रसोई गैस उपभोक्ताओं के द्वारा यह शिकायत की जा रही है कि गैस सिलेंडर में गैस कम, जबकि पानी अधिक होता है. उदलाबाड़ी के एक गैस उपभोक्ता ने बताया कि उसने दो दिन पहले रसोई गैस की डिलीवरी प्राप्त की थी.इसका इस्तेमाल उसने 14 अगस्त से करना शुरू किया और 16 अगस्त को ही गैस खत्म हो गई. इस परिवार में कुल मिलाकर तीन सदस्य हैं और तीन दिन में ही रसोई गैस खत्म हो जाए, यह किसी के गले नहीं उतर सकता.

हालांकि सिलीगुड़ी में रसोई गैस उपभोक्ताओं के द्वारा यह शिकायत कम सुनी जाती है, जितना कि बस्ती क्षेत्रों में उपभोक्ताओं के द्वारा चिंता व्यक्त की जाती है. माल बाजार, मेटली, उदलाबाड़ी,चालसा, इत्यादि क्षेत्रों में रसोई गैस सिलेंडर में पानी होने की शिकायत वर्तमान में एक बड़ी समस्या बन गई है. इसके चलते वहां के वितरक भी परेशान है और उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर यह कैसे संभव है.

उत्तर बंगाल में रानी नगर बॉटलिंग प्लांट है, जहां सिलेंडर में गैस भरी जाती है और वहां से गैस सिलेंडर को वितरक तक पहुंचाया जाता है.तो क्या रानी नगर बॉटलिंग प्लांट में ही यह गोरख धंधा हो रहा है? जब प्लांट के मैनेजर से इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा होना नामुमकिन है.क्योंकि यहां रिफिलिंग की जो प्रक्रिया है, वह आधुनिक तकनीक पर आधारित है, जहां गैस सिलेंडर में पानी भरे जाने वाली कोई तकनीक ही नहीं है. उन्होंने बताया कि यहां से सिलेंडर वितरक तक भेजे जाते हैं. बीच रास्ते में कुछ गड़बड़ हो सकती है. इसकी उनकी कोई जिम्मेवारी नहीं है.

उत्तर बंगाल और सिक्किम के एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर संगठन के सचिव कौशिक सरकार का भी मानना है कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है ही. उन्हें लगता है कि रसोई गैस सिलेंडर में पानी भरने के कार्य में कुछ लोग शामिल हो सकते हैं. सूत्रों ने भी बताया कि रानी नगर बॉटलिंग प्लांट में भले ही कोई हेरा फेरी नहीं हो रही हो परंतु वहां से डिस्ट्रीब्यूटर तक माल भेजने के क्रम में कुछ हेरा फेरी जरूर हो सकती है.

सूत्रों ने बताया कि बॉटलिंग प्लांट से सिलेंडर लदी गाड़ियां सीधे वितरक तक नहीं जाती हैं. बल्कि रास्ते में कहीं और चली जाती हैं. जहां सिलेंडरों की अदला-बदली की जाती है. इस कार्य में कुछ प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं.बहरहाल यह चिंता का विषय है.न केवल रसोई गैस उपभोक्ताओं के लिए ही बल्कि वितरकों के लिए भी. रानी नगर बॉटलिंग प्लांट को भी उपभोक्ताओं की शिकायत पर गौर करना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि गैस सिलेंडर में पानी भरने के गोरख धंधे में लगे लोगों का पता लगाया जाए.

आखिर उपभोक्ता जाए तो कहां जाए. समस्या का समाधान तो अधिकारियों को ही करना होगा. वह चाहे वितरक हो अथवा प्लांट के अधिकारी,अगर कहीं कुछ गड़बड़ है तो मिलकर ही समस्या का समाधान और दोषी लोगों का भंडाफोड़ किया जाना चाहिए. ताकि रसोई गैस उपभोक्ताओं का भरोसा लौट सके और रसोई गैस वितरकों का भी नुकसान नहीं हो सके.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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