करवा चौथ सुहागिन महिलाओं का महापर्व है. इस दिन का महिलाएं पूरे साल बेसब्री से इंतजार करती हैं. रविवार को करवा चौथ मनाया जाएगा. विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. यह व्रत हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. हिंदू धर्म में इस महत्वपूर्ण पर्व के दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा 16 श्रृंगार करके पूजा में शामिल होने का विधान है.
चांद का दीदार करने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है. सिलीगुड़ी में काफी संख्या में महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं. रविवार को होने वाले करवा चौथ व्रत के लिए बाजार में खरीददारी बढ़ गई है. अगर आप करवा चौथ का व्रत व्रत रख रही है, तो यह जानना काफी महत्वपूर्ण है कि सिलीगुड़ी में चांद का दीदार कब होगा. बताया जा रहा है कि कोलकाता और सिलीगुड़ी में उस दिन 7:22 पर चांद का दीदार होने वाला है. जबकि पूजा का समय शाम 5:46 से शुरू होगा. 7:02 तक यह मुहूर्त प्रभावी रहेगा.
करवा चौथ पर सुहागिन स्त्रियां साहूकार के सात बेटों और बेटी वाली कथा जरूर पढती है. एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी. साहूकार के बेटे अपनी बहन को काफी चाहते थे. साहूकारनी और उसकी बहुओं तथा बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था. इस व्रत में चांद देखकर ही व्रत खोला जाता है. रात को जब साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन के लिए कहा. बहन ने भोजन करने से मना कर दिया. उसने कहा कि आज उसका व्रत है. वह तभी खाना खाएगी, जब वह चंद्रमा का दीदार करेगी.
बहन की मुरझाई हालत देखकर भाईयों को दर्द होने लगा. क्योंकि उसकी बहन ने ना कुछ खाया था, ना ही पानी पीया था. भाइयों में से सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत जब देखी नहीं गई तो वह वहां से दूर एक पेड़ पर एक दीपक जलाकर तने की ओट में रख दिया. इसके बाद दूसरे भाई ने दूर से बहन को दिखाया कि चांद पेड़ की ओट में नजर आ रहा है. बहन ने अपनी भाभियों से कहा कि चांद निकल आया है. इसलिए वे लोग अपना व्रत खोल ले. लेकिन भाभियों ने व्रत नहीं खोला. दूसरी तरफ बहन ने चांद देखा और उसने अपना व्रत खोल दिया.
जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डाली, अचानक उसे छींक आ गई. दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालते ही उसके पति की मौत हो गई. इसके बाद वह गहरे गम में निढाल पड़ गई. इसके बाद सच्चाई सामने आई. भाभियों ने बताया कि गलत तरीके से व्रत खोलने के कारण करवा माता नाराज हो गई है. बहन ने पूरे विधि विधान के साथ करवा चौथ का व्रत किया. करवा माता की कृपा हुई तो उसका पति जीवित हो गया. इसके बाद उसकी जिंदगी में सुख लौटा. यह कथा शास्त्रों के आधार पर है.
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