तीस्ता नदी के किनारे रहने वाले कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. कुछ बस्तियां तो जल में समा चुकी हैं. जबकि कई घर बाढ़ के पानी में जमींदोज हो गए हैं. उन्हीं में से एक है लालटंग बस्ती जो बंगाल सफारी के नजदीक वन क्षेत्र में तीस्ता नदी के तट पर स्थित है. इस गांव के लोग लकड़ी और टीन के कच्चे मकानों में रहते हैं. जिन्हें टांडे घर कहा जाता है. कृषि और पशुपालन उनकी प्रमुख जीविका है. लेकिन इन दिनों कृषि के साथ-साथ पशु घर और उनका खुद का घर बार भी तीस्ता के बाढ़ के पानी में समा चुका है.
जब आप सेवक रोड से सालूगाड़ा और बंगाल सफारी की ओर बढ़ते हैं तो बंगाल सफारी से कुछ आगे और सेवक से पहले एक रास्ता दायी तरफ की ओर चला जाता है. इसी रास्ते पर आगे चलकर तीस्ता नदी के तट पर ही स्थित है लालटंग बस्ती. गांव के लोग छोटे-छोटे मकानों में रहते हैं और मेहनत करके गुजारा करते हैं. वन क्षेत्र होने के कारण इस गांव में जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है. यहां हाथियों का आना-जाना लगा रहता है.पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं. इस गांव के लोगों को कई बार जंगली जानवरों का सामना करना पड़ा है. लेकिन बड़े बहादुर होते हैं यह लोग.
इस गांव के लोग हमेशा खतरे से खेलते रहते हैं. नजदीक सालूगाड़ा बाजार है. लेकिन बाजार जाने के लिए इन्हें जंगल से होकर जाना पड़ता है. बरसात के समय इस रास्ते से होकर हाथी निकलते रहते हैं. आजकल लालटंग बस्ती के लोग तीस्ता की बाढ के कारण बड़ी विपदा में है. कई परिवार बेघर हो चुके हैं. कुछ लोग घर बार छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर रहने चले गए हैं. जिन लोगों का मकान लकड़ी के खंभे पर स्थित है, वे तो किसी तरह अपने घर में ही गुजर बसर कर रहे हैं. लेकिन अगर बाढ का पानी ऐसे ही बढता रहा तो उनका जर्जर और खंडहर हो चुका मकान कभी भी धराशाई हो सकता है.
ग्रामीणों ने बताया कि बस्ती में कमर तक पानी फैल चुका है. घर-घर में पानी घुसा हुआ है. उनके पास खाने का कुछ भी नहीं है. यहां तक कि पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है. एक ग्रामीण ने कहा कि पिछले दो दिनों से ना तो वह खाना खाया है और ना ही पानी पीया है. इस गांव के कई लोगों की आजीविका पशुपालन पर निर्भर करती है. मवेशी, बकरियां और दूसरे जानवर पाल रखे हैं. लेकिन बाढ में मवेशियों के घर डूब चुके हैं. खुद मुसीबत से जूझ रहे ग्रामीण पालतू जानवरों को तो भगवान भरोसे ही छोड़ रखे हैं. आय के स्रोत इन जानवरों की चिंता तो है ही, साथ ही अपनी और अपने परिवार के लोगों की सुरक्षा की भी चिंता भी है. पर उनका दुख सुनने वाला कोई नहीं है. यहां नेता, अधिकारी भी नहीं आ रहे हैं जिनसे वह फरियाद कर सके.
ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. आज जलपाईगुड़ी जिला के डाब ग्राम 1 ग्राम पंचायत के प्रधान और उप प्रधान तथा पंचायत समिति के सदस्य इन ग्रामीणों का हाल जानने लालटंग बस्ती पहुंचे तो ग्रामीणों ने रो रोकर उन्हें अपना हाल कह सुनाया. बस्ती में कोई भी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है. प्रधान और उप प्रधान की ओर से इन बस्ती वालों को 25 सीट तर्पॉलिन शीट, पानी की बोतल, बिस्कुट और अन्य खाद्य सामग्री प्रदान की गई. पंचायत के लोगों ने बेघर हो चुके इन ग्रामीणों को समाज घर में बनाए गए राहत शिविर में भेजने में मदद की.
लालटंन बस्ती के अलावा क्रांति ब्लॉक के चेंगमारी ग्राम पंचायत के सैकड़ो निवासी तीस्ता बांध पर बनाए गए अस्थाई शिविरों में शरण लिए हुए हैं. उनके घर पानी में डूब चुके हैं. खेत की फसल नष्ट हो चुकी है. उदलाबाड़ी के पास टोट गांव में पानी भर गया है. यहां के लोगों ने घर खाली कर दिया है और सुरक्षित दूसरे स्थान पर रहने चले गए हैं. इस गांव में घुटनों से ऊपर पानी भर रहा है. बेघर हो चुके इन लोगों को सहायता, समर्थन और प्रशासनिक मदद की जरूरत है.
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