आज सिलीगुड़ी और देश के अधिकांश भागों में धूमधाम के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया. सिलीगुड़ी में आज मौसम भी साफ था. धूप निकल रही थी. कई बच्चों और बड़ों ने मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का भी लुफ्त उठाया.
गंगासागर में पुण्य स्नान तो कल से ही चल रहा है.आज भी गंगासागर में डुबकी लगाने वालों की तादाद अत्यधिक थी. हालांकि स्थानीय प्रशासन और सरकार ने साफ सफाई, सुरक्षा और सभी तरह की व्यवस्थाएं कर रखी है. सिलीगुड़ी में लोगों ने सुबह सवेरे महानंदा और सहायक नदियों में स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और तिल चावल का नदी के पानी में अर्पण किया
आज दान का सबसे ज्यादा महत्व है. ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति को किया गया दान मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है. घर में सुख शांति आती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है. सिलीगुड़ी में आज शहर के विभिन्न इलाकों में विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के द्वारा गरीब और जरूरतमंद लोगों के बीच खाना व कपड़ा का वितरण किया गया. शहर के विभिन्न स्थानों में खिचड़ी प्रसाद का भी वितरण किया गया.
सिलीगुड़ी के खालपाड़ा, वार्ड नंबर 8 के शिवाजी बाजार रोड में स्थानीय लोगों के सहयोग से भंडारे का आयोजन किया गया. यह भंडारा सुबह 9:00 बजे से शुरू हुआ और देर शाम तक चला. इस भंडारे के स्टाल की सबसे बड़ी खासियत इसकी सजावट थी. पतंग से स्टॉल की सजावट की गई थी. इसकी खूब प्रशंसा की गई. इसी तरह से हिलकार्ट रोड, झंकार मोड, वर्धमान रोड, जलपाई मोड, एस एफ रोड, सेवक रोड, चंपासारी, सिलीगुड़ी जंक्शन, एनजेपी इत्यादि विभिन्न इलाकों में स्थानीय धार्मिक संगठनों और सामाजिक संगठनों के द्वारा खिचड़ी प्रसाद, वस्त्र वितरण इत्यादि का आयोजन धूमधाम से किया गया.
बस्ती क्षेत्रों में भी लोगों में मकर संक्रांति का उत्साह देखा गया. सुबह से ही महिलाओं ने घर की साफ सफाई के साथ ही स्नान ध्यान पूजा पाठ शुरू किया और तिल के लड्डू खाए. इस अवसर पर कई घरों में दही चुड़ा का भी जायका लिया गया. पंडितों और शास्त्रियों के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होता है. इसलिए इस समय किए गए जाप और दान का फल अनंत होता है.
सूर्य का किसी राशि विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करता है. इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में 12 संक्रांतियां होती है. लेकिन इनमें से दो संक्रांतियां सबसे महत्वपूर्ण होती है. मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति. सूर्य जब मकर राशि में जाता है तब मकर संक्रांति होती है. मकर संक्रांति से अग्नि तत्व की शुरुआत होती है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं. शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है. इसलिए यह समय शुभ कार्यों के लिए जाना जाता है.
आज विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से गरीब और जरूरतमंदों में कंबल और गर्म कपड़ों का वितरण किया गया. मकर संक्रांति पर नए वस्त्र, कंबल और घी का दान का काफी महत्व है. सिलीगुड़ी के साथ ही देश के कई भागों में पतंगबाजी देखी गई. गुजरात के विभिन्न शहरों और खासकर अहमदाबाद में अद्भुत तरीके से पतंगबाजी होती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. सिलीगुड़ी में भी कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों में पतंगबाजी की झलक देखी गई.