ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच चल रही खींचातानी का समापन इतनी जल्दी नहीं होने वाला है . पिछले काफी समय से राज्यपाल बनाम मुख्यमंत्री का विवाद सुर्खियों में रहा है.कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश के बाद तृणमूल कांग्रेस हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है.
आज राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वकील संजय बसु ने बताया कि हाई कोर्ट के फैसले को वे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. संजय बसु ने कहा कि मुख्यमंत्री को अभिव्यक्ति का गण तांत्रिक अधिकार मिला है. इसलिए उनका बयान किसी को अपमान करने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान संविधान के आर्टिकल 19 के तहत दिया गया बयान था. कोलकाता हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में आगामी 14 अगस्त तक राज्यपाल के खिलाफ किसी भी तरह की टिप्पणी करने से मुख्यमंत्री और मंत्रियों को रोका है.
ऐसा नहीं लगता कि यह विवाद इतना जल्दी थम जाएगा. आज जिस तरह से संकेत उभर रहा है, वह आने वाले तूफान का आभास करा रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा तृणमूल कांग्रेस कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जा रही है. जानकार मानते हैं कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अधिकारों के बीच टकराव थमने वाला नहीं है .
कोलकाता हाई कोर्ट ने पिछले कई दिनों से राज्यपाल सी वी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने की कोशिश की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री अथवा उनके मंत्रिमंडल का कोई भी मंत्री राज्यपाल के खिलाफ वाक युद्ध नहीं कर सकता. कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल के खिलाफ किसी भी प्रकार की बयानबाजी ठीक नहीं है.
कोलकाता हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू हुई. हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी समेत तीन अन्य व्यक्तियों को राज्यपाल सी वी आनंद बोस के खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी करने से मना किया है. यह मामला काफी समय से सुर्खियों में था. इसको लेकर राष्ट्रीय मुद्दा भी बनाया गया. राज्यपाल के अधिकार को भी चुनौती दी गई. राष्ट्रपति से दखलंदाजी की भी अपील तृणमूल कांग्रेस की ओर से की गई थी. यह विवाद उस समय से चल रहा है, जब राज्यपाल के खिलाफ कुछ महिलाओं ने शिकायत की थी कि उन्हें राजभवन जाने से डर लगता है.
राज्य में इस विवाद ने खूब तूल पकड़ा. बाद में यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि कुछ महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि वे राजभवन में सुरक्षित नहीं है. राज्यपाल आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान के बाद 28 जून को उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था. कोलकाता हाई कोर्ट में इसी मामले की सुनवाई चल रही है.
सोमवार को जब इस मुकदमे की सुनवाई आरंभ हुई तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने पुराने बयान पर ही अडिग रही. उन्होंने कहा कि महिलाओं ने यह शिकायत की थी. वह अपनी उन महिलाओं के नाम बताने के लिए भी तैयार हैं. अपने वकील के माध्यम से बयान देने के बाद राज्य सरकार के वकील S N मुखर्जी ने न्याय मूर्ति कृष्ण राव के सामने दलील दी कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी कोई मानहानि कारक नहीं थी.
हाईकोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कोई किसी को अपमानजनक बयान नहीं दे सकता है. आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 जून को राज्य सचिवालय में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान कहा था कि कुछ महिलाओं ने उन्हें बताया कि वह राज भवन में जाने से डरती हैं. ममता के इस बयान पर राज्यपाल ने नाराजगी व्यक्त की थी.
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