पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी पर छाई धुंध और आसपास के इलाकों में अग्निकांड की घटनाओं ने लोगों को दहशत में डाल दिया है. डंपिंग ग्राउंड और आसपास, संलग्न इलाकों के लोग दूषित वायु की चपेट में आ चुके हैं. सांस के रोगी सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं. बच्चों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आज सिलीगुड़ी का वायु गुणवत्ता स्तर 263 दर्ज किया गया है, जो काफी निम्न श्रेणी में आता है. 240 औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स माना जाता है. इससे ऊपर हवा में गुणवत्ता का स्तर कम होता जाता है.
अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो हवा में क्वालिटी इंडेक्स सबसे खतरनाक स्थिति में पहुंच जाएगा. तब स्थिति को संभालना और मुश्किल हो जाएगा. वैसे भी सिलीगुड़ी को देश के प्रदूषित शहरों में से एक माना जाता है. सवाल यह है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई? अगर इसकी पृष्ठभूमि में जाएं तो यह कोई पहला मामला नहीं है. पिछले साल भी इस तरह की घटना का सिलीगुड़ी के लोगों को सामना करना पड़ा था. तब सिलीगुड़ी नगर निगम और विभिन्न जिम्मेदार संगठनों के लोगों और अधिकारियों ने आनन फानन में बैठक करके स्थिति पर नियंत्रण पा लिया था.
एक बार फिर वही स्थिति देखी जा रही है. सिलीगुड़ी के चारों तरफ जंगल और पहाड़ हैं. ईस्टर्न बाईपास इलाके में डंपिंग ग्राउंड है, जहां सिलीगुड़ी शहर का पूरा कचरा जमा होता है. यहां अक्सर आगजनी की घटना होती रहती है. यहां के लोग इसकी विभीषिका का अक्सर सामना करते रहते हैं. उन्हें सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु नहीं मिलती. डंपिंग ग्राउंड में अक्सर लगने वाली आग के चलते सिलीगुड़ी में जहरीले धुएं का असर तो है ही. इसके साथ ही सिलीगुड़ी के आसपास के इलाकों में आगजनी की बहुत सारी घटनाएं भी है. जिसके कारण वायु में जहर का स्तर बढ़ता जा रहा है.
बसंत ऋतु के बाद पतझड़ का मौसम काफी खुश्क रहता है. ऊपर से पिछले तीन-चार दिनों से तेज हवाएं भी चल रही हैं. ऐसे में जंगलों में आग लग जाना स्वाभाविक है. कुछ लोग जानबूझकर जंगलों में आग लगा देते हैं. आग लगने से धुआं उठता है, जो तेज हवाओं के साथ सिलीगुड़ी में फैलता जा रहा है. यही कारण है कि पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी में यह धुआं देखा जा रहा है, जिसके कारण वायु गुणवत्ता स्तर में लगातार ह्रास हो रहा है. कई इलाकों में लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है.
आपको याद होगा कि बैकुंठपुर वन विभाग तथा कर्सियांग डिवीजन में आगजनी की बड़ी घटनाएं हुई थी. कर्सियांग डिवीजन में चाय बागान में आग लगी थी, जिसमें लगभग 150 एकड़ पर लगी फसल काफी प्रभावित हुई थी. लॉन्ग व्यू चाय बागान में लगी आग को बुझाने के लिए वन विभाग से लेकर विभिन्न सरकारी महकमा के अधिकारियों और दमकल विभाग ने अथक प्रयास किया. सालूगाड़ा के निकट बंगाल सफारी पार्क इलाके में भी भयावह आग लगी थी. इस तरह से यह कहा जा सकता है कि सिलीगुड़ी के चारों तरफ आगजनी की घटनाओं ने ही सिलीगुड़ी के लोगों की स्वास्थ्य समस्या को बढ़ा दिया है.
आज एयर क्वालिटी इंडेक्स का जो डेटा जारी किया गया है, वह चिंताजनक है. इसके साथ ही सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन, वन विभाग, प्रशासनिक अधिकारियों तथा संबंधित विभाग के लोगों को चेतावनी देता है कि अगर समय से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मिलकर काम नहीं किया गया तो सिलीगुड़ी की स्थिति दिल्ली और कोलकाता से भी बदतर हो सकती है. सूत्रों ने बताया कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सिलीगुड़ी नगर निगम, वन विभाग और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ जल्द ही एक बैठक करने वाली है.उम्मीद की जानी चाहिए कि आज जो स्थिति है, कल उसमें सुधार होगा.
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