हर साल छठ पूजा के समय छठ व्रतधारियों की शिकायत रहती है कि उन्हें पूजा करने के लिए छठ घाट नहीं मिला. या फिर मीडिया में यह भी खबर आती है कि अधिक पैसे लेकर छठ घाट बेचे गए. जो अमीर होते हैं, उन्हें तो उनकी पसंद का छठ घाट मिल जाता है.जबकि जो गरीब लोग होते हैं, पैसे के अभाव में वे छठ घाट खरीद नहीं पाते. ऐसे में उन्हें पूजा करने में काफी कठिनाई होती है. हर साल यही राम कहानी होती है.
छठ पूजा कमेटियां और स्थानीय प्रशासन दावा करते हैं कि इस बार व्रतधारियों की शिकायत नहीं होगी. सभी को छठ घाट मिलेंगे. उन्हें सभी तरह की सुविधा दी जाएगी. यहां तक कि छठ पूजा कमेटियां व्रतधारियों से वादा करती है कि छठ पूजा घाट की बिक्री नहीं होगी. परंतु उनकी कथनी और करनी में अंतर तो आ ही जाता है. लोगों को छठ घाटों की आवश्यकता तो छठ पूजा के दिन ही होती है. छठ पूजा की हलचल में लोगों का शोर शराबा सब कुछ दबकर रह जाता है. प्रशासन भी ऐसे मौके पर खामोश रह जाता है. छठ पूजा कमेटियों के ही लोग चुपचाप छठ घाट का सौदा कर लेते हैं. बाद में जब कोई इस पर ज्यादा शोर मचाता है तो उसे समझा बुझाकर और छठ घाट देकर शांत करा दिया जाता है. क्या इस बार ऐसा नहीं होगा? ऐसा लगता नहीं है. फिर भी सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव के बयान को हल्के से नहीं लिया जा सकता है.
सिलीगुड़ी नगर निगम दुर्गा पूजा को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के बाद अब काली पूजा और छठ पूजा की तैयारी में जुट गया है. सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में जितने भी छठ पूजा घाट हैं, उन सभी की देख-देख सिलीगुड़ी नगर निगम के अंतर्गत रहती है. आमतौर पर सिलीगुड़ी नगर निगम स्थानीय छठ पूजा कमेटियों के साथ मिलकर छठ घाट का निर्माण करती है. जबकि सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र के बाहर के छठ पूजा घाटों का निर्माण और देख-देख का जिम्मा एसजेडीए के अंतर्गत रहता है. इस बार एसजेडीए की ओर से पिछले साल के मुकाबले कुछ ज्यादा ही छठ घाटों का निर्माण कराया जा रहा है.
चाहे एसजेडीए हो अथवा सिलीगुड़ी नगर निगम, दोनों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि छठ घाटों को बेचने पर होगी बड़ी कार्रवाई. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने स्पष्ट रूप से कहा है कि छठ पूजा घाट को बेचने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से दुर्गा पूजा को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया गया है, इसी तरह से काली पूजा और छठ पूजा को भी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया जाएगा. सिलीगुड़ी नगर निगम की ओर से नदियों की साफ सफाई का काम शुरू कर दिया गया है. छठ व्रत धारी के लिए इस बार बालू के बोरों को लेकर कोई समस्या उत्पन्न नहीं होने दी जाएगी. पिछले साल निगम की ओर से पर्याप्त मात्रा में बालू के बोरे घाट पर उपलब्ध नहीं कराए गए थे.
सिलीगुड़ी में हालांकि दर्जनों छठ पूजा घाट तैयार कराए जाते हैं. परंतु सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 1, 4 और 5 नंबर में तैयार घाट को मुख्य घाट कह सकते हैं. एक नंबर में लालमोहन मौलिक घाट और दूसरे नंबर में मां संतोषी घाट का स्थान आता है. इन दोनों ही घाटों पर साज सजावट और साफ सफाई की उत्तम व्यवस्था रहती है. मजे की बात तो यह है कि इन दोनों ही घाटों पर श्रद्धालुओं और व्रतधारियों की ज्यादा भीड़ होती है. ऐसे में इन्हीं घाटों पर पूजा के लिए घाट खरीदने और बेचने का धंधा चोरी चुपके खूब चलता है. क्या इस बार यह सब नहीं होगा?
जानकार बताते हैं कि यह मुमकिन नहीं लगता. वास्तव में छठ पूजा कमेटियों की भी मजबूरी होती है. निगम की ओर से उन्हें जो फंड उपलब्ध कराया जाता है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान होता है. ऐसे में छठ पूजा कमेटियों को चंदा लेकर खुद से काफी तैयारी करनी होती है. इसमें काफी खर्च होता है. इसकी भरपाई के लिए ही कुछ लोग छठ पूजा घाट बेचते हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम तो व्रतधारियों के लिए रास्ता वगैरह ही ठीक करवाती है. इसके अलावा लाइटिंग और थोड़ी साफ सफाई के अलावा शेष कार्य छठ पूजा कमेटियों के द्वारा ही किए जाते हैं. बहरहाल मेयर के इस बयान के के बाद यह देखना होगा कि छठ पूजा कमेटियों की क्या प्रतिक्रिया सामने आती है.
सिलीगुड़ी की कई छोटी छठ पूजा कमेटियों की शिकायत रहती है कि सिलीगुड़ी नगर निगम कुछ खास छठ पूजा कमेटियों को बुलाकर बैठक करती है. जबकि अधिकांश छठ पूजा कमेटियों को कुछ पता ही नहीं चलता. फंड वगैरह उपलब्ध कराने की बात तो छोड़ ही दीजिए. उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से मदद नहीं मिलने पर उन्हें खुद ही घाट तैयार करना और व्रत धारी और श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था करनी होती है. इसका स्पष्ट संकेत है कि इस स्थिति में ऐसे घाटों पर घाटों की खरीद बिक्री को टाला नहीं जा सकता!