पिछले 3 महीने से लापता 14 वर्षीय किशोर ईशान गुरुंग का अब तक कोई पता नहीं चला है. उसे धरती निगल गई या आसमान खा गया, अब तक पुलिस उसे ढूंढ क्यों नहीं पाई है? आखिर ईशान कहीं ना कहीं तो होगा ही! फिर भी अब तक उसे ढूंढा नहीं जा सका है. क्या यह प्रशासन की उपेक्षा या लापरवाही है? इसे लेकर गोरखाओं का धैर्य जवाब देता जा रहा है. आज इसकी बानगी सिलीगुड़ी के सेवक रोड पर देखने को मिली, जब भारी तादाद में गोरखा नर नारी हाथ में वी वांट जस्टिस की तख्ती लिए सड़कों पर निकल पड़े और नारे लगाते हुए इंसाफ की मांग करने लगे.
गोरखाओं की एकता और एक आवाज देखकर कुछ पल के लिए सिलीगुड़ी थम सा गया. माया सेवा संस्था की ओर से एक गोरखा ने पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार को आइना दिखाना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि मोदी जी कहते हैं कि गोरखाओं का सपना मेरा सपना है, तो गोरखाओं का सपना ईशान गुरुंग है. हमें हमारा सपना चाहिए. आप सीबीआई अथवा कोई भी जांच संस्थाओं का सहयोग लेकर हमें हमारा निशान गुरुंग वापस लाएं. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी अपील की है कि गोरखाओं के साथ इंसाफ होना चाहिए.
ईशान गुरुंग 23 अगस्त 2025 को सेवक से लापता हो गया था. उसके बाद उसका कोई पता नहीं चला है. सेवक पुलिस थाने में ईशान गुरुंग की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. लेकिन पुलिस 3 महीने में भी ईशान गुरुंग को ढूंढ नहीं पाई है. आखिर कारण क्या है? गोरखाओं ने सवाल भी किया है. ईशान गुरुंग का अपहरण हुआ था या उसे गायब किया गया था, आज तक कोई पुख्ता सुराग नहीं मिल सका है. इसलिए यह मामला लगातार रहस्यमय होता जा रहा है.
ईशान गुरुंग के अपहरण और लापता होने के बाद पहाड़ में यह मामला काफी गरमाया था. पुलिस पर दबाव भी बढ़ाया गया. लेकिन पुलिस हाथ पांव मारने के सिवाय कुछ नहीं कर सकी. जब पहाड़ में चारों तरफ से ईशान गुरुंग की बरामदगी के लिए आवाज आने लगी तब 4 सितंबर को दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू विष्ट ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस मामले को उछाला और दार्जिलिंग की पुलिस पर भरोसा ना करते हुए इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की थी.
उधर पुलिस द्वारा ईशान की बरामदगी नहीं होते देखकर पहाड़ के कुछ सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों ने पुलिस की कार्यशैली और निष्क्रियता को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन किया और जुलूस निकाले. पूरे पहाड़ से एक ही आवाज आ रही थी. जल्द से जल्द ईशान गुरुंग की घर वापसी हो. पहाड़ के कुछ क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों के नेताओं ने भी पुलिस और प्रशासन पर दबाव बढ़ाया. लेकिन इन सबके बावजूद ईशान गुरुंग का कोई पता नहीं चला. पिछले 3 महीने से ईशान गुरुंग की घर वापसी की राह देखते आ रहे पहाड़ के गोरखाओं का धैर्य आज जवाब दे गया और उन्होंने सिलीगुड़ी में एक विशाल रैली निकाली.
रैली में शामिल गोरखाओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हमें न्याय चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि गोरखाओं के साथ भेदभाव क्यों होता है? क्या गोरखा इस देश के नागरिक नहीं है? क्या गोरखाओं का झंडा अलग होता है? पूरा गोरखा परिवार एक ही राष्ट्रीय झंडे के नीचे रहता है. फिर उनके साथ भेदभाव क्यों? उनका कहना था कि आज जब देश में किसी नेता की भैंस गायब हो जाती है, किसी की साइकिल चोरी हो जाती है, तो पुलिस उसे जल्द ही ढूंढ लेती है. लेकिन एक गोरखा परिवार का सदस्य 3 महीने से लापता है, फिर भी प्रशासन उसे ढूंढ नहीं पाया! उन्होंने पूछा कि आखिर पूर्वोत्तर के साथ भेदभाव क्यों होता रहा है?
गोरखाओं ने राष्ट्रीय मीडिया पर भड़ास उतारते हुए कहा कि नेशनल मीडिया पूर्वोत्तर के सिवाय देश के सभी जगहों की छोटी-छोटी खबरें दिखाता है. लेकिन इतनी बड़ी घटना घट गई, इसके बावजूद नेशनल मीडिया इस घटना को महत्व नहीं दे रहा है. क्या इसलिए कि यह गोरखाओं का मामला है? बहरहाल माया सेवा संस्था की ओर से निकाली गई इस रैली में काफी संख्या में गोरखा स्त्री पुरुष नौजवान सेवक रोड पर वी वांट जस्टिस के नारे लगाते हुए चल रहे थे. आज की उनकी रैली और आवाज का प्रशासन पर क्या असर पड़ता है और लापता ईशान गुरुंग की कब घर वापसी होती है, होती भी है या नहीं, यह भी देखना होगा कि गोरखाओं को कब तक इंसाफ मिलता है!

