नए साल पर एक अनोखे अपराध की पहली घटना माटीगाड़ा से आई है. यहां एक नवजात बच्ची को उसके ही दादा-दादी ने गायब कर दिया. आखिर दाना दादी ने यह कदम क्यों उठाया? क्या वे अपनी ही संतान के दुश्मन थे? उन्होंने जो कदम उठाया अपनी बहू की भलाई के लिए उठाया. ऐसे में नवजात बच्ची की मां ने अपने सास ससुर पर मुकदमा क्यों दर्ज किया? मां क्या चाहती थी, ऐसे कई प्रश्न है, जिनके उत्तर इस घटनाक्रम में छिपे हैं.
माटीगाड़ा में रानी नगर एक स्थान है. यहां नौन दास अपनी पत्नी और बहू के साथ रहते थे. उनके परिवार में पत्नी बेला दास के अलावा एक पुत्र और बहू विशाखा दास थे. विशाखा दास के पति का कुछ समय पहले देहांत हो गया था. विशाखा दास ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. उनमें से एक लड़की और एक लड़का था.
विशाखा दास ने बेटी को तो घर में ही जन्म दिया. परंतु इससे उनकी प्रसव पीड़ा समाप्त नहीं हुई. बगल में ही एक नर्स ने विशाखा दास की हालत देखकर कहा कि उसे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है. क्योंकि हो सकता है कि उसकी कोख में जुड़वा बच्चे पल रहे हो. नर्स की सलाह के बाद विशाखा दास को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कर दिया गया, जहां उसने एक और शिशु को जन्म दिया.
जब विशाखा दास अस्पताल से घर लौटी तो उसके सास ससुर ने बताया कि उसकी बच्ची की मौत हो गई थी. इसलिए उसे उन्होंने दफना दिया. परंतु सच यह नहीं था. वास्तव में नौन दास और उनकी पत्नी बेला दास ने गुपचुप तरीके से नवजात बच्ची को कावाखाली में रहने वाले एक निःसंतान दंपति रजत विश्वास तथा सोमा विश्वास के सुपुर्द कर दिया था.
नौन दास तथा बेला दास ने यह कदम दिल पर पत्थर रखकर उठाया था. उनकी माली हालत काफी खराब थी. घर में आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया था. बुजुर्ग दंपति के पास बच्चों की परवरिश के लिए कुछ भी नहीं था. बेटा मर ही चुका था और बहू कोई काम नहीं करती थी. वे नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे अभाव में पले. इसलिए उन्होंने अपनी पोती की अच्छी परवरिश के लिए संतान के इच्छुक अपने एक परिचित को दे दिया था. यह भेद तब खुला, जब नवजात बच्ची की तबीयत खराब हो गई और उसे सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
विशाखा दास को जानकारी हुई तो उसने अपने सास ससुर को काफी भला बुरा कहा. फिर उसने रजत विश्वास तथा सोमा विश्वास को भी काफी फटकार लगाई और उसकी जानकारी के बगैर बच्ची चुराने का आरोप लगाया तथा पुलिस में इसकी शिकायत करने की भी धमकी दी.
कहा तो यह भी जा रहा है कि विशाखा दास ने रजत विश्वास दंपति से बच्चा लेने के एवज में ₹100000 की मांग की. लेकिन उन्होंने इतना पैसे देने से इनकार कर दिया. इसके बाद विशाखा दास तथा उसके देवर ने मिलकर माटीगाड़ा थाने में जाकर अपने ससुर और उसकी संतान खरीदने वाले रजत विश्वास दंपति के खिलाफ बच्चा चोरी का मुकदमा दर्ज कराया.
माटीगाड़ा पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए मामला पंजीकृत करके इस मामले में जुड़े नवजात के दादा तथा बच्चा खरीदने वाले रजत विश्वास दंपति को गिरफ्तार कर लिया और उन सभी को सिलीगुड़ी अदालत में पेश करके रिमांड पर लिया है, जहां आरोपी व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है. पुलिस इस मामले की विभिन्न पहलुओं से जांच कर रही है.आखिर इस घटनाक्रम का सच क्या है. पुलिस यह जानना चाहती है. क्योंकि चर्चा तो यह भी है कि नौन दास और उनकी पत्नी बेला दास ने बच्ची को जन्म देने वाली मां को बताए बगैर ₹100000 में अपनी पोती को बेचा है.