January 8, 2025
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उत्तर बंगाल स्वस्थ

HMPV वायरस से निबटने के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल तैयार!

एचएमपीवी वायरस बंगाल में भी दस्तक दे चुका है. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका खंडन किया है और कहा है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है, वैसा नहीं है. जो भी हो, ह्यूमन मेटा न्यू मोवायरस यानी एचएमपीवी भारत में भी फैल रहा है. बेंगलुरु, नागपुर, तमिलनाडु और अहमदाबाद में इसके कई मामले सामने आ चुके हैं. अब तक आठ मामले सामने आए हैं. इसलिए लोगों की चिंताएं लगातार बढ़ रही है. क्योंकि कोरोना के समय लोगों ने देखा भी था कि किस तरह से इस वायरस का देश में प्रसार हुआ और देखते-देखते लाशों का अंबार लग गया था.

हालांकि विशेषज्ञ इस एचएमपीवी वायरस को कोई नया वायरस नहीं बता रहे हैं. जबकि कोरोना एक नया वायरस था. इसलिए वायरस से बचने के लिए मानव में एंटीबॉडीज नहीं थी. जबकि एचएमपीवी वायरस 2001 से ही हमारे देश में विद्यमान है. इसके प्रति भारतीयों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है. इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. कई विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एचएमपीवी अपनी खोज से पहले दशकों या सदियों से मनुष्य में एक दूसरे में फैल रहा है. उस समय अच्छी तकनीक और उपकरणों की कमी के कारण इसकी पहचान नहीं की जा सकी थी. यह वायरस आमतौर पर छोटे बच्चों को ही प्रभावित करता है और अधिकांश मामलों में सांस संबंधित लक्षण पैदा करता है.

भारत में दस्तक के साथ ही अस्पताल इसके लिए तैयारी में जुट गए हैं.अगर मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़े तो उसके लिए बेड भी पर्याप्त संख्या में चाहिए. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी इसकी तैयारी चल रही है. कहा तो यह भी जा रहा है कि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल को राज्य स्वास्थ्य विभाग ने पहले से ही अलर्ट कर रखा है, ताकि मरीज को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो और समय रहते रोगी का इलाज हो सके. हालांकि उत्तर बंगाल में अभी एचएमपीवी का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. पर अस्पताल सतर्क जरूर हो गए हैं.

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर संजय मलिक भी दावा करते हैं कि अस्पताल में पूरी तैयारी है. सूत्रों ने बताया कि 30 बेड को रिजर्व कर दिया गया है. इनमें से 10 बेड सांस संबंधित मरीज के लिए तथा 20 बेड आइसोलेशन वार्ड के रूप में रखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अंतर्गत वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेट्री में जांच की व्यवस्था की गई है. अभी कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन जैसे ही कोई संदिग्ध मरीज यहां आता है, तो जांच के लिए पीसीआर किट भी उपलब्ध हो जाएगा.

अगर किसी बच्चे को खांसी और बहती हुई नाक, बुखार, गले में खराश, गले में जलन या कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई हो तो ऐसे बच्चों या बुजुर्गों को अस्पताल में डॉक्टर से जरूर दिखा देना चाहिए. क्योंकि यह लक्षण एचएमपीवी के हो सकते हैं. कुछ मामलों में ब्रोंकाइटिस,निमोनिया अथवा अस्थमा के लक्षण भी दिख सकते हैं. इस वायरस का अभी तक कोई टीका या ट्रीटमेंट नहीं है. केवल बचाव ही इसका इलाज है.

संक्रमण की जोखिम को कम करने के लिए इन उपायों को अपनाया जा सकता है. अपने हाथों को साबुन और पानी से धोते रहे.सैनिटाइजर का उपयोग करें. सांस संबंधी बीमारी के लक्षण वाले लोगों से दूर रहे. बार-बार छुई जाने वाली सतह को साफ करते रहें. फ्लू होने पर मास्क का इस्तेमाल करें. सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें. इत्यादि उपाय हैं. इन पर अमल करके इस वायरस से बचाव किया जा सकता है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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