अनाथ उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय को अब जल्द ही नाथ मिलने जा रहा है. यानी उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय को शीघ्र ही वाइस चांसलर मिलने जा रहा है. आज सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जल्द से जल्द राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति की जाए. कुलपति नहीं रहने से उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय का प्रशासन कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. पिछले दो महीने से विश्वविद्यालय को रजिस्ट्रार चला रहे थे. छात्रों और विभिन्न संगठनों की ओर से लगातार उप कुलपति की नियुक्ति की मांग की जा रही थी. परंतु मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच टकराव के कारण यह मामला अधर में लटक गया था.
आज सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल के छात्रों और शिक्षकों को एक नई उम्मीद और उत्साह से भर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के सभी विश्वविद्यालय में उप कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया 3 महीने के भीतर पूरी कर ली जाए. सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह प्रक्रिया अगले दो सप्ताह के भीतर शुरू कर दी जानी चाहिए. सरकार को 3 महीने के अंदर विज्ञापन देकर प्रक्रिया पूरी करनी है. बंगाल के शिक्षा मंत्री बी. बसु इस आदेश से खुश हैं. उन्होंने x हैंडल पर पोस्ट किया है और लिखा है कि लोकतंत्र जीत गया.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक साथ समितियां बनाई जा सकती हैं. विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग खोज समितियां भी अध्यक्ष बना सकता है. प्रत्येक विश्वविद्यालय के कुलपति के चुनाव के लिए समिति तीन नाम को शामिल करेगी या उसकी सूची तैयार करेगी.
तीनों के नाम मुख्यमंत्री के पास भेजे जाएंगे. मुख्यमंत्री उनका चुनाव करेगी. इसके बाद सूची को राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा .अगले दो हफ्ते के भीतर यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार को 3 महीने के अंदर विज्ञापन देकर प्रक्रिया पूरी करनी है. विज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख होना चाहिए. इसका पूरा खर्च राज्य सरकार को उठाना होगा.
आपको बताते चलें कि राज्य के विश्वविद्यालय में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल और सरकार के बीच तकरार चल रहा है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर दिया था.राज्य सरकार ने इस मामले में आनंद बोस के खिलाफ कुलपति की एक तरफा नियुक्ति का आरोप लगाया था. इसके बाद कई सुनवाईयों में मामले की प्रकृति पर चर्चा हुई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज भवन में जाकर राज्यपाल से मुलाकात भी की थी. पिछली सुनवाई में राजपाल के वकील को कई बार कोर्ट की ओर से फटकार भी लगाई गई थी.
जो भी हो, सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल समेत पूरे बंगाल की शिक्षा को एक बड़ा सहारा मिला है. पश्चिम बंगाल की शिक्षा पर उठते सवाल का अब जवाब मिल जाएगा. उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय समेत पूरे राज्य के विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति न होने से राज्य शिक्षा जगत अंधेरे में डूबा था. उम्मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार त्वरित कार्रवाई करेगी और कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा कर लेगी.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)