भारत देश के कई नाम है, आर्यावर्त, हिंद, इंडिया, भारत इत्यादि… लेकिन सबसे अधिक प्रचलित नाम भारत ही है.अंग्रेज तथा विश्व के अधिकांश देश भारत को इंडिया कहते हैं. लेकिन भारत के लोग भारत कहने में गर्व की अनुभूति करते हैं. क्योंकि भारत नाम सबसे प्राचीन है. यह नाम भारत की विरासत से जुड़ा है. यही कारण है कि इंडिया नाम को भारत से अलग करने की काफी समय से मांग की जा रही है. कई लोग इंडिया शब्द को गुलामी का प्रतीक मानते हैं.
पिछले दो दिनों से देश की राजनीति में उबाल आ चुका है. हालांकि सरकार की ओर से अभी कोई बात नहीं कही गई है, परंतु विपक्षी पार्टियों के द्वारा यह कहा जा रहा है कि सरकार जी-20 सम्मेलन के बाद इंडिया नाम को हटा देगी. हाल ही में कई विपक्षी दलों का एक गठबंधन इंडिया नाम से बना है.ऐसे में स्वाभाविक है कि विपक्षी पार्टियों के नेता इस पर हंगामा तो मचाएंगे ही.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने एक ट्वीट में कहा कि मैंने सुना है कि इंडिया नाम बदलकर भारत हो रहा है. इसमें नया क्या है.हम हमेशा भारत नाम ही प्रयोग करते हैं. इंडिया के कॉन्स्टिट्यूशन को भारत का संविधान कहते हैं.विश्व भर में भारत को इंडिया के नाम से जाना जाता है. अचानक ऐसा क्या हुआ कि सरकार इसका नाम इंडिया से भारत करना चाहती है. क्या वे लोग इतिहास नहीं बदल रहे हैं? कांग्रेस,राष्ट्रीय जनता दल तथा दूसरे दलों के नेता बयान दे रहे हैं कि भाजपा उनके गठबंधन इंडिया से डर गई है.इसलिए इंडिया शब्द हटाना चाहती है.
कांग्रेस के नेता कहते हैं कि अभी जुमा जुमा इंडिया को खड़ा किए एक महीना भी नहीं हुआ कि बीजेपी को पसीने छूटने लगे हैं. बीजेपी इतना कमजोर निकलेगी, उन्होंने सोचा भी नहीं था. वास्तव में यह सारा कुछ दो संकेत से चर्चा में है. मंगलवार की सुबह भारत के प्रेसीडेंसी g20 ने नया हैंडल g20 भारत लॉन्च किया है. इससे पहले भारत के राष्ट्रपति की ओर से राष्ट्र अध्यक्षों तथा भारत के राज्यों के मुख्यमंत्री के लिए डिनर का जो इनविटेशन कार्ड तैयार किया गया है, उस पर रिपब्लिक इंडिया ऑफ प्रेसिडेंट नहीं लिख कर भारत का राष्ट्रपति लिखा गया है.
ऐसे में कांग्रेस के नेता सवाल उठाते हैं कि अभी तक निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया लिखा जाता रहा है. अचानक भारत का राष्ट्रपति लिखने की क्या जरूरत पड़ी और इसका मायने क्या है. हालांकि यह सिर्फ एक अफवाह के अलावा कुछ नहीं है. क्योंकि सरकार की ओर से अभी कोई बयान ही नहीं आया है. लेकिन यह भी सच है कि भारत से इंडिया शब्द हटाने की मांग काफी समय से की जा रही है.
भाजपा के कुछ सांसदों ने केंद्र सरकार से मांग की थी कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है.जबकि भारत विरासत की पहचान है.इसलिए इंडिया शब्द को संविधान में संशोधन कर हटा देना चाहिए. इससे पहले आरएसएस ने भी इंडिया शब्द हटाने की मांग की थी. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत शब्द हमारी संस्कृति से जुड़ा है जबकि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है.इसलिए इंडिया शब्द को हटा दिया जाना चाहिए.
भाजपा नेताओं तथा मोहन भागवत के बयान का असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा भी स्वागत करते हैं.उन्होंने लिखा है कि यह बड़ी खुशी और गर्व का विषय है. भारत की सभ्यता अमृत काल की ओर बढ़ रही है. इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है. चर्चा है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान सरकार एक विधेयक ला सकती है. आपको बताते चलें कि इंडिया शब्द भी संविधान में है. इसलिए यह इतना आसान भी नहीं है कि सरकार यह नाम बदल सके. क्योंकि इसका असर देश की तमाम वेबसाइट पर पड़ेगा.
किसी भी देश के नाम बदलने पर उसके टॉप लेवल डोमेन यानी TLD पर भी असर पड़ता है. TLD किसी देश की पहचान से जुड़ा होता है. जैसे अमेरिका के लिए us, यूनाइटेड किंगडम के लिए यूके, जर्मनी के लिए de का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह से भारत के लिए आई एन है. लेकिन अगर इसका नाम भारत बदला जाता है तो इसके आखिर में बीएच लगाना पड़ सकता है. इस तरह से इंडिया नाम बदलना इतना आसान भी नहीं है. कोई भी फैसला करने से पहले सरकार नफा नुकसान के बारे में जरूर विचार करेगी.