उत्तर बंगाल को अलग राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश बनने का सपना देखने वाले लोगों को झटका लगा है. बारंबार उत्तर बंगाल को अलग करने की मांग की जाती रही है. खासकर चुनाव के समय भाजपा इसे मुद्दा बनाती रही है. पर जब राज्य विभाजन के पक्ष में रणनीति बनाने का यह मौका आता है तो भाजपा इसके उलट बंगाल विभाजन के खिलाफ हो जाती है. राज्य विधानसभा में सत्ता पक्ष द्वारा बंगाल विभाजन के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करके भाजपा ने यह साबित कर दिखाया है.
उत्तर बंगाल को अलग राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश अथवा इसी तरह की मांग करने वाली प्रदेश भाजपा तथा भाजपा के नेता राज्य विधानसभा में इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि बंगाल का विभाजन नहीं होगा. प्रस्ताव तृणमूल कांग्रेस की ओर से लाया गया था. संसदीय कार्य मंत्री शोभन देव चट्टोपाध्याय ने विधानसभा के नियम 185 के अंतर्गत उक्त प्रस्ताव को लाया था. जिस पर 2 घंटे तक चर्चा हुई. इस दौरान विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अभूतपूर्व नजारा देखा गया.
कदाचित यह पहला मौका है जब राज्य विधानसभा में किसी एक प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने सहमति जताई हो. वह भी ऐसे मुद्दे पर जो भाजपा के एजेंडे में रहा हो. क्योंकि भाजपा के कई नेता और सांसद पूर्व में बयान दे चुके हैं कि उत्तर बंगाल का विकास के लिहाज से विभाजन होना चाहिए. ऐसी पार्टी ने राज्य विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस द्वारा लाए गए बंगाल विभाजन के खिलाफ प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया. यह कम हैरानी की बात नहीं है. यही कारण है कि अब दार्जिलिंग और उत्तर बंगाल में क्षेत्रीय पार्टियों के नेता भाजपा को दोहरा चरित्र बता रहे हैं.
पहाड़ में वीरेंद्र रसाइली ने चुटकी लेते हुए कहा कि उत्तर बंगाल में वोट लेने के समय भाजपा विभाजन की बात करती है. लेकिन विधानसभा में विभाजन के खिलाफ मतदान करती है. उन्होंने कहा कि भाजपा के चरित्र से गोरखा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के नेता मन घीसिंग को भी यह अच्छा नहीं लगा. उन्होंने भाजपा के खिलाफ काला झंडा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है.गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा भाजपा की सहयोगी पार्टी है.
बंगाल विभाजन का मुद्दा कोई पहली बार नहीं उठा है. इससे पहले भी दो बार यह मुद्दा उठा और दोनों ही बार विधानसभा में पारित किया गया.2021 के विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल को विभाजित करने के खिलाफ पिछले साल फरवरी में भी यह ध्वनि मत से पारित हुआ था. यह तीसरा मौका है जब विपक्ष ने भी प्रस्ताव को पारित कर दिया है.
आपको बताते चलें कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल के जिलों को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के अधीन शामिल करने का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद भाजपा नेता और राज्यसभा सदस्य अनंत महाराज ने अलग कूच बिहार राज्य की मांग उठाई. कई भाजपा नेताओं ने उत्तर बंगाल को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग उठाई. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुबेंदु अधिकारी ने सफाई दी कि भाजपा ने कभी भी बंगाल विभाजन के पक्ष में कुछ नहीं कहा था.
सुबेंदु अधिकारी ने यह भी कहा कि सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को समृद्ध करने की बात कही थी. उन्होंने उत्तर बंगाल के विकास के लिए धनराशि के बारे में बात की थी. क्योंकि उत्तर बंगाल हमेशा से उपेक्षित रहा है. बंगाल विभाजन के खिलाफ प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हम सहकारी संघवाद में यकीन करते हैं. हम राज्य को विभाजित करने की किसी भी कोशिश के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी है. बंगाल की संस्कृति और विरासत पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है. हम सभी बंगाल के विकास के लिए साथ मिलकर काम करेंगे.
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