वर्तमान में कई रेल गाड़ियां हैं, जो अलग-अलग नाम और संख्या से देश भर में चलती हैं. आप एक दशक से इन मेल, एक्सप्रेस,सुपरफास्ट जैसी रेलगाड़ियों को देखते आ रहे हैं.एन जे पी से कोलकाता जाने वाली अनेक रेल गाड़ियां हैं. वैसे ही एनजेपी से दिल्ली और भारत के दूसरे शहरों में भी कई रेल गाड़ियां जाती हैं. इन रेलगाड़ियों के नाम वही हैं और बरसों से आप वही देख रहे हैं. पर यह कहूं कि बहुत जल्द भारत से यह रेल गाड़ियां उठ जाएंगी तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
नए भारत में भारतीय रेलवे नई और आधुनिक ट्रेने चलाने जा रहा है. एक-एक करके पुरानी ट्रेनों को हटाने की तैयारी चल रही है. नई-नई ट्रेने तैयार हो रही है. ट्रेन के डिब्बो का निर्माण तेजी से चल रहा है.देश भर की पटरियों पर अब चार प्रकार की ही ट्रेने दौड़ेंगी. छोटी दूरी के लिए वंदे भारत मेट्रो, मध्यम दूरी के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस, जबकि लंबी दूरी के लिए वंदे भारत स्लीपर और अमृत भारत एक्सप्रेस. उपरोक्त के अलावा और कोई नई ट्रेन नहीं होगी.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना पर अगले 7-8 सालों में चलने वाली आधुनिक ट्रेनों का ढांचा तैयार किया जा रहा है.इन ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ाई जा रही है. वंदे मेट्रो की गति अधिकतम 130 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. जबकि बंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है. जबकि लंबी दूरी के लिए चलाई जाने वाली बंदे भारत स्लीपर और अमृत भारत एक्सप्रेस की गति को 200 किलोमीटर प्रति घंटा किया जा सकता है. इस तरह से आने वाले समय में आपकी यात्रा अत्यंत छोटी होने वाली है.
उदाहरण के लिए वर्तमान में आप एनजेपी से दिल्ली तक की यात्रा ट्रेन से कर रहे हैं, तो कम से कम 28 से 36 घंटे का समय लग जाता है.लेकिन 8-10 साल के बाद अनुमानित 7 से 8 घंटे में आपकी यात्रा पूरी हो जाएगी. यानी 1 दिन में आप ट्रेन से सिलीगुड़ी से दिल्ली जा सकते हैं और वापस आ भी सकते हैं. भारतीय रेलवे इसी फार्मूले पर काम कर रहा है. वर्तमान में देश के लगभग सभी भागों में बंदे भारत ट्रेन चल रही है. हालांकि अभी स्लीपर कोच की व्यवस्था नहीं है.
अब तक 50 वंदे भारत मेट्रो ट्रेन लगभग तैयार हो चुकी है. बन रही मेट्रो ट्रेन का जुलाई में परीक्षण संभव है. यह मेट्रो ट्रेन देश भर की 124 रूटों पर चलाई जाने वाली है. वंदे भारत मेट्रो में कम से कम चार और अधिक से अधिक 16 बोगियां होंगी. इन मेट्रो ट्रेनों के चलने से ऐसे लोगों को आने-जाने में सुविधा होगी, जो अपने कार्य स्थल पर पहुंचने के लिए वर्तमान में लोकल ट्रेन से सफर करते हैं. जिसमें काफी समय लग जाता है. भारतीय रेलवे ने छोटे शहरों से बड़े शहरों में नौकरी या कारोबार करने वालों के लिए मेट्रो का डिजाइन तैयार किया है और सभी आधुनिक सुविधाएं सुलभ कराई हैं.
500 किलोमीटर से 800 किलोमीटर के बीच के दो शहरों मे आने जाने के लिए मध्यम दूरी की वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है, जिसकी अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़ाकर 200 किलोमीटर प्रति घंटा की जा सकती है. इस तरह से कह सकते हैं कि भविष्य के भारत की योजना तैयार है. वर्तमान में चल रही रेलगाड़ियों को भारतीय रेलवे विदा करने की तैयारी में जुट गया है. नए संस्करण की नई रेल गाड़ियां स्पीड से लेकर रंग रूप और लुक में बेजोर दिखेंगी. मजे की बात है कि रेलवे की ओर से यात्रियों से सामान्य किराया ही लिया जाएगा. जबकि इसके बदले में यात्रियों को आकर्षक सुविधाएं मिलने जा रही हैं.
वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि रेलवे की स्लीपर बोगी जैसे जनरल बन जाती है. यात्री सीट की अपेक्षित संख्या से लगभग चार गुना पांच गुना बढ़ जाते हैं और वेटिंग का टिकट लेकर सफर करते हैं. इसका परिणाम यह होता है कि जिन लोगों के पास बर्थ या स्लीपर की टिकट होती है, अत्यधिक भीड़ के कारण उन्हें भी काफी परेशानी होती है. इन सभी स्थितियों का शीघ्र ही समाधान होने जा रहा है और अगले 7 से 8 सालों में मौजूदा समय में ट्रेनों में होने वाली भीड़भाड़ का जो मंजर दिख रहा है, वह एक इतिहास की बात बन जाएगी!
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