पानी की कीमत तुम क्या जानो, जाकर पाकिस्तान से पूछ लो, यह हल पाकिस्तान हाल का हो गया है | पहलगाम में आतंकी हमले के बाद एक के बाद एक मोदी सरकार ने जबरदस्त एक्शन लिए पहले तो सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया | बता दे कि भारत पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को लेकर सीजफायर पर सहमति बन गई, लेकिन सिंधु जल संधि को लेकर कोई चर्चाएं नहीं हुई | 12 मई को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, इसका अर्थ यह हुआ कि, भारत सरकार फिलहाल ‘सिंधु जल संधि’ को फिर से बहाल करने के मूड में नहीं है. पीएम के इस बयान ने भारत का रुख साफ कर दिया कि, आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते |
वहीं दूसरी और ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई और सिंधु जल संधि स्थगित करने से पाकिस्तान बिलबिला गया है, दुनिया के कई देशों के सामने हाथ जोड़ने के बाद अब उसने भावी संकट को देखते हुए भारत से सिंधु जल संधि स्थगित नहीं करने की गुहार लगाई है, पाकिस्तान ने भारत से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है | पाकिस्तान ने कहा है कि इस फैसले से हमारे देश में बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा, पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने इसको लेकर भारत को पत्र लिखा है और फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है |
लेकिन भारत एक के बाद एक कड़े फैसले लेकर पाकिस्तान की परेशानियों को और गहरा कर रहा है | सिंधु के बाद चिनाब नदी गाद बहाने की योजना बनाई गई है | इस कदम को भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ रणनीति के जवाब के रूप में देखा जा रहा है | केंद्रीय जल आयोग ने सिफारिश की है कि चिनाब नदी पर बने सलाल और बगलिहार बांधों में फ्लशिंग अब हर महीने नियमित रूप से की जाए | बता दिया फ्लशिंग क्यों जरूरी है, फ्लशिंग यानी बांधों के जलाशय में जमा रेत, गाद और मिट्टी को तेज धारा के माध्यम से बहार निकलना जाए, गाद जलाशय की क्षमता को काम करती है, टरबाइनों की कार्य क्षमता घटती है जिससे बिजली उत्पादक प्रभावित होता है, नियमित फ्लैशिंग से जलाशयों की संग्रहण क्षमता बढ़ती है और बिजली उत्पादन में स्थिरता आती है |
बता दे कि, मई की शुरुआत में शुरू हुई इस फ्लैशिंग की प्रक्रिया के दौरान सलाल और बगलिहार जलाशयों से 7.5 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक गाद निकाली गई थी, यह पहली बार है जब सलाल और बगलिहार सफाई की गई हो, बता दे की सलाल बांध का निर्माण वर्ष 1987 में हुआ था, वही बगलिहार का निर्माण 2008 से 9में बीच हुआ था | सलाल और बगलिहार की सफाई को लेकर पाकिस्तान का तर्क है कि, फ्लैशिंग के दौरान पानी छोड़े जाने से नीचे के इलाकों में बहाव बढ़ सकता है, जबकि जलाशय को फिर से भरने की प्रक्रिया से बाद में छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कम हो सकती है, लेकिन अब भारत ने स्पष्ट कर दिया है की संधि के स्थगन के बाद ना तो पाकिस्तान को कोई जल संबंधित सूचना साझा की जाएगी और ना ही फ्लशिंग से पहले उसे सूचित किया जाएगा | वही सरकारी सूत्रों की माने तो, भारत अब इन जल जलाशयों से परियोजनाओं को तेजी से पूरा करेगी, जिन्हें पाकिस्तान की ओर से की गई आपत्ति के चलते रोका गया था |
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