अगर आप सिलीगुड़ी के बाजार में चले जाइए तो दूसरी सब्जियों की तरह आलू की कीमत भी हैरान करने वाली है. क्योंकि सब्जियों मे आलू की मांग सबसे ज्यादा रहती है. वर्तमान में सिलीगुड़ी के बाजार में आलू की कमी देखी जा रही है. फुटकर व्यापारी और दुकानदार कम मात्रा में आलू रख रहे हैं. दुकानदारों के अनुसार माल नहीं आ रहा है.जिसके कारण आलू का भाव महंगा हुआ है. परंतु ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि आलू की कीमत और महंगाई से परेशान जनता को जल्द ही आलू की बढी हुई कीमतों से राहत मिल सकती है.
इस समय सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरे भारत में आलू काफी महंगा बिक रहा है. अगर देश भर के बाजारों का अध्ययन करें तो आलू देश के किसी भी खुदरा बाजार में ₹30 प्रति किलो से कम नहीं है. जहां तक सिलीगुड़ी के खुदरा बाजारों में आलू बेचे जाने की बात है तो यह ₹35 प्रति किलो से लेकर ₹50 प्रति किलो तक बिक रहा है. भूटान का आलू ₹50 प्रति किलो खुदरा बाजार में बिक रहा है. राज्य सरकार के कृषि विपणन विभाग की ओर से सफल बांग्ला स्टॉल पर आलू ₹28 प्रति किलो बेचा जा रहा है. हालांकि यहां से 1 किलो प्रति ग्राहक ही आलू मिल पाएगा.
बाजार के जानकारों के अनुसार इस साल आलू के किसानों ने अच्छी कमाई की है. लेकिन किसानों से ज्यादा बिचौलिए और व्यापारी पैसे कमा रहे हैं. उनके अनुसार एक तो आलू की कमी है. ऊपर से कोल्ड स्टोरेज से आलू का निर्यात किया जा रहा है. जिसके कारण सिलीगुड़ी और आसपास के बाजारों में आलू की कमी देखी जा रही है. अब तक आलू का यह भाव सबसे ज्यादा पाया गया है. क्योंकि पिछले एक दशक में आलू ने कभी ₹30 प्रति किलो का भाव खुदरा बाजार में पार नहीं किया था. सूत्र बता रहे हैं कि सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी के व्यापारी कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालकर महंगे दाम पर निर्यात कर रहे हैं, जिसके कारण बाजार में आलू पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच रहा है.
टास्क फोर्स के अधिकारियों ने पुलिस के सहयोग से आलू के गोदाम और कोल्ड स्टोरेज पर पहरा लगा दिया है ताकि आलू का निर्यात नहीं हो सके. कई जगह दुकानों और व्यापारियों के गोदाम पर टास्क फोर्स और पुलिस ने छापा भी मारा है. जिन व्यापारियों के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं, उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि अगर पुलिस और टास्क फोर्स के अधिकारियों ने छापेमारी समेत कोल्ड स्टोरेज पर पहरे को नहीं रोका तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन कर सकते हैं.
व्यापारियों का कहना है कि अगर आलू को बाहर नहीं भेजा जाता है तो यहां बाजार में ₹5 प्रति किलो भी कोई खरीदने को तैयार नहीं होगा. इसका यह मतलब है कि यहां आलू का कृत्रिम अभाव पैदा किया जा रहा है. व्यापारी मोटा मुनाफा कमाने के लिए आलू का निर्यात करने लगे है. जब से सुफल बांग्ला केंद्र पर आलू नियंत्रित भाव पर बेचा जा रहा है तथा टास्क फोर्स के अधिकारियों के द्वारा मूल्य को लेकर छानबीन की जा रही है, तभी से आलू के भाव में स्थिरता देखी जा रही है.
यहां सवाल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि जब सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में आलू की कोई कमी नहीं है तो फिर बाजार में आलू महंगा क्यों बिक रहा है. उत्तर बंगाल आलू व्यवसाय समिति के सलाहकार कार्तिक दास का कहना है कि अगर पुलिस व्यापारियों को परेशान करना बंद कर दे तो आलू के भाव में अपने आप कमी आ जाएगी. टास्क फोर्स के अधिकारियों तथा पुलिस अधिकारियों की कार्य शैली के बाद विभिन्न बाजारों में आलू की कीमत में कुछ कमी देखी जा रही है.
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