कहा जाता है कि जब कोई वस्तु का अभाव हो, तो उस वस्तु का मूल्य समझ में आने लगता है. लेकिन जब कोई वस्तु पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाती है, तो उस वस्तु का दुरुपयोग भी होने लगता है. सिलीगुड़ी में जल की कीमत अब तक लोगों की समझ में नहीं आई थी. लेकिन अब सिलीगुड़ी के लोगों को जल की कीमत समझ में आने लगी है. हालांकि अभी सिलीगुड़ी में जल संकट नहीं देखा जा रहा है. पर एक नकारात्मक वातावरण जरूर तैयार हो रहा है.
सिलीगुड़ी के कई इलाकों में लोगों ने बूंद बूंद जल बचाने की पहल शुरू कर दी है. सरकार पहले से ही लोगों को जल संकट से बचने के लिए जल का सही सदुपयोग करने और दुरुपयोग से बचने की सलाह देती रही है. वर्तमान में जल का अभाव होते देखकर लोग स्वत: भाव से सरकार के निर्देशों का पालन करने में जुट गए हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन के द्वारा सिलीगुड़ी में जल संकट ना हो, इसकी व्यवस्था की जा रही है. वैकल्पिक उपाय किए जा रहे हैं.आज सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने फुलबारी महानंदा बैरेज और गाजलडोबा में जाकर स्थिति का मुआयना किया है.
स्थानीय प्रशासन के द्वारा उन सभी उपायों पर विचार किया जा रहा है जिससे कि सिलीगुड़ी में जल संकट की स्थिति का सामना लोगों को ना करना पड़े. आने वाले कुछ दिनों में यह भी सच है कि लोगों को जल के अभाव का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में सिलीगुड़ी के लोगों को जल की बूंद बूंद बचाने और जल ज की कीमत समझ में आने लगी है. जल को बचाना जरूरी है. क्योंकि जल ही जीवन है. जल संकट एक वैश्विक समस्या है. दुनिया के कई देश जल संकट का सामना कर रहे हैं.
भारत में तो पहले से ही जल संकट है. जानकार बता रहे हैं कि 2025 तक भारत में पानी की समस्या बेहद गंभीर हो जाएगी. संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 तक भारत में पानी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी. इस तरह की आशंका व्यक्त की जा रही है कि जल संरक्षण की कमी, प्रदूषण, अतिक्रमण, शहरीकरण और ग्लेशियर पिघलने के कारण आने वाले समय में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियों का प्रवाह कम हो जाएगा.
आज विश्व का एक बड़ा हिस्सा अपनी दैनिक आवश्यकताओं के लिए जल की कमी से जूझ रहा है. इस समस्या को समझते हुए विश्व में पानी की बर्बादी रोकने, महत्व समझने, संरक्षण करने और सही मात्रा में पानी का इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए तरह-तरह की योजनाएं और तरीके अपनाने जरूरी है. नागरिकों को भी इसमें अपनी जिम्मेदारी का पालन करने के लिए तैयार रहना चाहिए. भारत में ज्यादातर जल स्रोत जैसे तालाब, कुएं ,नदी, नहर सूखते जा रहे हैं अथवा प्रदूषित हो गए हैं.यह सभी जल संकट की ओर इशारा करते हैं.
आज भी लोग वर्षा जल का संरक्षण करने की ओर अग्रसर नहीं हुए हैं. खासकर सिलीगुड़ी और पूरे बंगाल में केवल सरकारी मशीनरी ही इस दिशा में सक्रिय है. आम नागरिक वर्षा के पानी को बहते अथवा नष्ट होते देखते हैं. क्योंकि उन्होंने कभी जल संकट का सामना नहीं किया है. अब समय आ गया है कि वर्षा जल संरक्षण के लिए तैयार रहें. सिलीगुड़ी नगर निगम को भी ऐसे प्लान लाने की जरूरत है जिसमें लोग आने वाली बरसात के दौरान वर्षा के पानी का संचय करने तथा उसका सही सदुपयोग करने पर विचार कर सकें.
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