“पापा, पापा… सूरज, रोहित तो स्कूल जा रहे हैं.उनका स्कूल तो खुल चुका है, लेकिन हमारा स्कूल क्यों बंद है?” 12 साल के प्रियांशु ने अपने पापा से पूछा, जब उसने पड़ोसी अंकल तिवारी जी के बच्चों को सुबह-सुबह स्कूल के लिए तैयार होते देखा, तो उसका भी स्कूल जाने के लिए दिल मचल उठा. प्रियांशु सिलीगुड़ी के एक सरकारी स्कूल में पढ़ता है. दुर्गा पूजा को लेकर उसका स्कूल बंद है. दुर्गा पूजा तो बीत चुकी है. सब कुछ खुल गया है, लेकिन प्रियांशु का स्कूल नहीं खुला है.
मजे की बात तो यह है कि सिलीगुड़ी के निजी स्कूल भी खुल गए हैं. लेकिन सरकारी स्कूल बंद है. इसका कारण क्या है, कोई नहीं जानता. पहली बार देखा जा रहा है कि निजी स्कूलों के अपने गाइडलाइंस चल रहे हैं. पहले सरकारी शिक्षा आदेश का पालन सरकारी स्कूल के साथ-साथ निजी स्कूलों को भी करना पड़ता था. परंतु पहली बार निजी स्कूलों का गाइडलाइंस अलग है और सरकारी स्कूलों का गाइडलाइंस अलग मालूम पड़ता है. प्रियांशु का स्कूल क्यों नहीं खुला है, नन्हे बच्चे के दिमाग में कौतूहल तो रहेगा ही. इसका जवाब उसके पिता के पास भी नहीं है. और तो और सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल के पास भी नहीं है.
वैसे मोटै तौर पर सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल 17 नवंबर से स्कूल खोले जाने की बात कहते हैं. परंतु इस संबंध में अभी तक शिक्षा विभाग की ओर से उन्हें कोई लिखित सूचना उपलब्ध नहीं है. ऐसे में यकीन के साथ वे भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. बच्चे असमंजस में हैं. निजी स्कूलों के बच्चों को स्कूल जाते देखकर कहीं ना कहीं उनके दिमाग में यह भी चल रहा होता है कि क्या सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के नियम और गाइडलाइंस अलग-अलग होते हैं. उन्हें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर पूजा के बाद अब तक उनके स्कूल को क्यों बंद रखा गया. लेकिन इसका जवाब स्वयं स्कूल के प्रिंसिपल भी नहीं दे पा रहे हैं.
दुर्गा पूजा का त्यौहार बीत चुका है. दशहरा के बाद सिलीगुड़ी के सभी सरकारी, गैर सरकारी संस्थान खुल चुके हैं और इन संस्थानों में काम भी हो रहा है. लेकिन बच्चों की पढ़ाई नहीं हो रही है. क्योंकि सरकारी स्कूल अभी भी बंद है. अब दीपावली, काली पूजा और छठ पूजा का त्यौहार आने वाला है. इन त्योहारों के मद्देनजर भी स्कूल और कॉलेज की छुट्टियां होंगी. यह तो समझ में आता है. लेकिन उससे पहले सरकारी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थाओं को क्यों बंद रखा गया. निजी स्कूलों के साथ-साथ सरकारी स्कूल भी खुल जाने चाहिए थे. दुर्गा पूजा के बाद लगभग सभी सरकारी और निजी संस्थान खुल चुके हैं. लेकिन बंद है तो स्कूल और कॉलेज. छात्र और छात्राएं पूछ रहे हैं कि उनके स्कूल-कॉलेज कब तक खुलेंगे? इसका जवाब प्रशासन के पास भी नहीं है.
सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल 17 नवंबर से खुलने जा रहे हैं. हालांकि अभी तक शिक्षा विभाग की ओर से कोई लिखित सूचना जारी नहीं की गई है. तो क्या स्कूल अपने हिसाब से दिवाली के बाद खुलेंगे या फिर छठ पूजा के बाद स्कूल खुल सकते हैं? इसी तरह से कॉलेज के बारे में जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार कॉलेज भी 18 नवंबर से खुलेंगे. कॉलेज की बात समझ में आती है. क्योंकि कॉलेज में पढ़ाई कम और छुट्टियां ज्यादा होती है. लेकिन स्कूल भी कॉलेज की तरह हो जाए, तो ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी?
ऐसा लगता है कि हर शैक्षणिक संस्थान अपने अपने नियम और गाइडलाइंस के अनुसार कार्य कर रहा है. सरकारी आदेश की जैसे किसी को परवाह नहीं है. या यह भी कह सकते हैं कि सरकारी गाइडलाइंस महत्वहीन हो चुका है. जहां तक कॉलेज में छुट्टियों की बात है, तो हर कॉलेज में अलग-अलग नियमों का पालन देखा जा रहा है. कुछ कॉलेज तो एक-दो दिन में खुल जाएंगे जबकि कुछ कॉलेज दिवाली के बाद खोले जाएंगे. कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि सरकारी शिक्षा विभाग निष्क्रिय-सा हो गया है. या सरकारी शिक्षा विभाग में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है. सिलीगुड़ी के बुद्धिजीवियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल सरकार, शिक्षा विभाग सो गया है. तभी उसे कुछ नजर नहीं आता है.