पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार कहलाने वाला सिलीगुड़ी जहां पर्यटन, व्यापार और शिक्षा के लिए जाना जाता है, आजकल एक और कारण से चर्चा में है—देह व्यापार। यह धंधा कोई नया नहीं है, लेकिन बीते कुछ महीनों से लगातार बढ़ते खुलासे इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यहां सेक्स रैकेट का जाल गहराई तक फैल चुका है।
11 अगस्त को माटीगाड़ा के एक नामी शॉपिंग मॉल के भीतर से गुप्तचर विभाग ने स्पा की आड़ में चल रहे देह व्यापार का भंडाफोड़ किया। इस दौरान पुलिस ने चंपासारी निवासी विवेक कुमार महतो और दार्जिलिंग की एक युवती को रंगे हाथों पकड़कर गिरफ्तार किया। घटना ने पूरे महानगर में हड़कंप मचा दिया।
गुप्त सूचना पर की गई इस कार्रवाई में पुलिस को पुख्ता सबूत मिले। लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह तो सिर्फ बर्फ की चोटी है। दरअसल, सिलीगुड़ी में ऐसे कई स्पा सेंटर और वेलनेस हब हैं, जिनके बोर्ड पर तो ‘थैरेपी’, ‘मसाज’ और ‘ब्यूटी’ लिखा होता है, लेकिन भीतर का कारोबार कुछ और ही होता है। यहां केवल चुनिंदा और ‘विश्वसनीय ग्राहकों’ को ही प्रवेश मिलता है।
पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि देह व्यापार सिर्फ स्पा तक सीमित नहीं है। पंजाबी पाड़ा, हाकिमपाड़ा, सेवक रोड, एनजेपी, चंपासारी और मल्लागुड़ी जैसे इलाकों में किराए के मकानों और होटलों में भी यह धंधा लंबे समय से चल रहा है। होटल और रिसॉर्ट मैनेजरों की मिलीभगत से ग्राहकों को लड़कियों की तस्वीरें दिखाई जाती हैं, पसंद आने पर सौदा पक्का होता है और फिर सब कुछ “पैकेज” के नाम पर पेश किया जाता है।
सूत्र बताते हैं कि अब यह कारोबार पूरी तरह सुनियोजित है। दलाल, ग्राहक, स्थान, सौदा और संरक्षक—ये पांच तत्व इस नेटवर्क को चलाते हैं। ग्राहक तक पहुँचने के लिए सोशल मीडिया, गुप्त चैट ग्रुप और ऑनलाइन बुकिंग का सहारा लिया जाता है। दलाल मोटा कमीशन लेते हैं और लड़कियों को केवल आधी रकम दी जाती है। बाक़ी हिस्सा एजेंट और नेटवर्क के संरक्षक तक जाता है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ रसूखदार लोग इन रैकेट्स को संरक्षण देते हैं। वे पुलिस कार्रवाई होने पर जमानत की व्यवस्था से लेकर छापेमारी की सूचना पहले ही पहुंचा देते हैं। इसके बदले हर सक्रिय रैकेट से 20 से 30 हज़ार रुपये मासिक वसूला जाता है। यही वजह है कि पुलिस को सबकुछ पता होने के बावजूद कार्रवाई अक्सर ‘आधे-अधूरे’ स्तर पर ही सिमट जाती है।
दार्जिलिंग, सिक्किम, कालिमपोंग और डुआर्स घूमने आने वाले टूरिस्ट भी इन रैकेट्स का मुख्य निशाना हैं। होटल-लॉज मैनेजर पर्यटकों की रुचि भांपकर उन्हें एजेंट से जोड़ते हैं। एक बार ग्राहक तैयार होते ही चैट पर बातचीत, फोटो सेलेक्शन और सौदा तय हो जाता है। पर्यटक, खासकर बाहरी राज्य से आने वाले लोग, इस जाल में आसानी से फंस जाते हैं।
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस मानती है कि यह नेटवर्क बेहद संगठित है और इसीलिए कार्रवाई में मुश्किल आती है। 11 अगस्त की गिरफ्तारी ने इस बात को और पुख्ता कर दिया कि मामला सिर्फ एक मॉल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शहर में फैला हुआ है। सवाल यह है कि जब पुलिस को रैकेट और उनके संचालकों के नाम तक पता हैं, तो कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं होती?
देह व्यापार केवल कानून तोड़ने का मामला नहीं है, यह समाज की नींव को भी खोखला करता है। इसमें नाबालिग और बेरोजगार युवाओं के शामिल होने की आशंका सबसे बड़ी चिंता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो सिलीगुड़ी की पहचान पर्यटन और व्यापार से ज्यादा अपराधों के शहर के रूप में होने लगेगी।