दार्जिलिंग समेत उत्तर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी अपनी सीट बचाने में कामयाब रही है. केवल कूचबिहार सीट भाजपा के हाथ से निकल गयी है. यहां से निशित प्रमाणिक जो केंद्रीय मंत्री भी थे, चुनाव हार गए हैं. उत्तर बंगाल की कुल आठ लोकसभा सीटों में से भाजपा को 6 सीटों पर सफलता मिली है. पिछली बार भाजपा ने उत्तर बंगाल की आठ लोकसभा सीटों में से 7 पर सफलता हासिल की थी. कमोवेश स्थिति वैसी ही है. अलीपुरद्वार से मनोज तिग्गा, जलपाईगुड़ी से डॉक्टर जयंत राय, दार्जिलिंग से राजू बिष्ट, रायगंज से कार्तिक चंद्रपाल, बालूरघाट से सुकांत मजूमदार और मालदा उत्तर से खगेन मुर्मू सभी 6 भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है.
दार्जिलिंग लोकसभा सीट भाजपा का किला समझा जाता रहा है. पिछले 15 सालों से भाजपा यहां से चुनाव जीतती आ रही है. यहां से राजू बिष्ट ने दोबारा सफलता हासिल की है. इस बार राजू बिष्ट के लिए रास्ता बड़ा कठिन था. पहाड़ में पंचायत चुनाव से लेकर समतल सिलीगुड़ी में कॉर्पोरेशन चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने गोपाल लामा को टिकट दिया था. गोपाल लामा के नाम का प्रस्ताव स्वयं जीटीए के प्रमुख अनित थापा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समक्ष रखा था. सूत्र बता रहे हैं कि अनित थापा ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिया था कि गोपाल लामा की जीत निश्चित है.
गोपाल लामा को जीत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर अभिषेक बैनर्जी और स्वयं जीटीए के प्रमुख अनित थापा ने अथक प्रयास किया. लेकिन गोपाल लामा चुनाव हार गए और राजू बिष्ट चुनाव जीत गए. ऐसे में सवाल यह उत्पन्न होता है कि क्या राजू बिष्ट पहाड़ और समतल में इतने लोकप्रिय हैं कि जनता का दोबारा उन्हें आशीर्वाद मिला है. इस सवाल का उत्तर आंकड़ों में छिपा है. सबसे पहले यह देखते हैं कि दार्जिलिंग लोकसभा के अंतर्गत सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को कितने वोट मिले. इसके आधार पर ही राजू बिष्ट और गोपाल लामा की लोकप्रियता को समझा जा सकता है.
इस बार दार्जिलिंग संसदीय सीट से राजू बिष्ट को 679331 वोट मिले हैं. जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी गोपाल लामा को 500806 वोट हासिल हुए. क्षेत्रवार देखते हैं कि राजू बिष्ट को पहाड़ और समतल से अलग-अलग क्षेत्रों से कितने वोट हासिल हुए. कालिमपोंग विधानसभा क्षेत्र से राजू बिष्ट को 77 हजार 745 और गोपाल लामा को 54113 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के मुनीष तमांग को मात्र 6092 वोट ही मिले. दार्जिलिंग विधानसभा क्षेत्र से राजू बिष्ट ने 87252 वोट हासिल किया. जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी गोपाल लामा को यहां से 55907 वोट ही हासिल हुआ. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार मुनीष तमांग ने 6691 वोट हासिल किया. कर्सियांग विधानसभा क्षेत्र से राजू बिष्ट ने 93981 वोट हासिल किया. जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी गोपाल लामा को 55474 वोट मिले. मुनीष तमांग मात्र 5075 वोट ही हासिल कर सके.
अब समतल में आते हैं. माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र में राजू बिष्ट को 154 140 वोट मिले. जबकि गोपाल लामा ने यहां से 70185 मत हासिल किया. कांग्रेस के मुनीष तमांग को मात्र 15190 वोटो से ही संतोष करना पड़ा. अब सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र का आंकड़ा भी देख लेते हैं. यहां से राजू बिष्ट को 114570 वोट हासिल हुए. जबकि गोपाल लामा को 48561 वोट हासिल हुए. वहीं कांग्रेस के मुनीष तमांग को मात्र 10732 वोट ही हासिल हो सके. फांसी देवा क्षेत्र में राजू बिष्ट को 106491 वोट मिले. गोपाल लामा को 81 273 जबकि मुनीष तमांग को मात्र 13309 वोट मिले.
चोपड़ा क्षेत्र से राजू बिष्ट को गोपाल लामा से कम मत हासिल हुए. गोपाल लामा ने यहां से 133276 वोट हासिल किया. जबकि राजू बिष्ट ने 41 145 वोट प्राप्त किया. कांग्रेस के मुनीष तमांग ने 25508 वोट हासिल किया. इस तरह से राजू बिष्ट को सभी क्षेत्रों से 679331 वोट हासिल हुए. उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी गोपाल लामा को 5 लाख 806 वोट हासिल हुए. जबकि मुनीष तमांग को कुल 83374 वोट ही हासिल हो सके. राजू बिष्ट को सर्वाधिक वोट पहाड़ में कर्सियांग से मिले हैं. जबकि समतल में माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी क्षेत्र से उन्हें सर्वाधिक मत मिले हैं.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि पहाड़ में राजू बिष्ट की लोकप्रियता बरकरार है. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में पहाड़ और समतल में मिले उनके वोटो को देखते हुए इस बार उन्हें अपेक्षाकृत कम मत मिले हैं. लेकिन यह गोपाल लामा से कहीं काफी ज्यादा है. अगर यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि पहाड़ में अनित थापा का फैक्टर काम नहीं कर सका है.पहाड़ की जनता राजू बिष्ट को चाहती है. हां, बेशक वोटो के हिसाब से उनकी लोकप्रियता में थोड़ी कमी आई जरूर है. हालांकि राजू बिष्ट के प्रशंसक और भाजपा कार्यकर्ता यह कहते हैं कि मुकाबला काफी टफ था.
आपको बताते चलें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजू बिष्ट को 750000 से ज्यादा वोट मिले थे. जबकि तत्कालीन टीएमसी उम्मीदवार अमर सिंह राई को मात्र 3 लाख 36 हजार वोट ही मिले थे. उस समय राजू बिष्ट ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी टीएमसी के अमर सिंह राई को चार लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से हराया था. लेकिन इस बार उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी गोपाल लामा को एक लाख से अधिक मतों से हराया है. अगर किसी उम्मीदवार की लोकप्रियता का पैमाना वोट है तो बेशक राजू बिष्ट गोपाल लामा से अधिक लोकप्रिय साबित हुए हैं.
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