ऑपरेशन थिएटर एक ऐसी जगह होती है, जहां डॉक्टर और रोगी के अलावा कोई नहीं होता. रोगी के लिए डॉक्टर भगवान होता है. सुनकर शायद किसी को भी विश्वास नहीं हो कि आरजीकर अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में कुछ डॉक्टर अपने कर्तव्य और धर्म की परवाह नहीं करते हुए रंगरेलियां मनाते थे, जिसका पीड़िता ने हमेशा विरोध किया था और उसने कुछ डॉक्टरों की एक वीडियो क्लिप भी बना ली थी. इस ऑपरेशन थिएटर में ही पीड़िता काम करती थी. उसे यह अच्छा नहीं लगता था. यह सनसनीखेज जानकारी सीबीआई के सूत्रों से मिली है.
अपनी जांच के क्रम में सीबीआई ने कई प्रभावशाली लोगों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ कर रही है. सीबीआई का दावा अखबारों और न्यूज़ चैनल्स की सुर्खियों में है. सोशल मीडिया ने भी इसे हाईलाइट करना शुरू कर दिया है. सीबीआई ने दावा किया है कि ऑपरेशन थिएटर में अस्पताल के कुछ प्रभावशाली डॉक्टर शराब मांस की पार्टी करते थे. जब जब पार्टी का आयोजन होता था, प्रशिक्षु महिला डॉक्टर्स को यहां बुलाया जाता था. पीड़िता को यह सब अच्छा नहीं लगता था. उसने उन्हें चेतावनी भी दी थी कि वह इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाएगी. लेकिन इसके बावजूद भी रंगरेलियों का क्रम थमा नहीं था.
जब RGकर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष को पता चला कि पीड़िता ने डॉक्टरों की रंगरेलियों का वीडियो क्लिप शूट किया है, तब वह घबरा गए. उन्होंने आरंभ में पीड़िता को समझाना शुरू किया कि वह अपने स्मार्टफोन से इस तरह का वीडियो शूट डिलीट कर दे. लेकिन पीड़िता ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद संदीप घोष ने पीड़िता को अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. सीबीआई के दावे में यह सब बात कही गई है. सीबीआई की जांच में कुछ ऐसी सनसनी खेज सच्चाई सामने आई है, जो पैरों तले की धरती खिसका देने वाली है.
जिस दिन महिला डॉक्टर से दरिंदगी हुई थी, डॉक्टर संदीप घोष ने अपने एक निजी सहायक को फोन किया था. उसका नाम प्रसून चट्टोपाध्याय है. चट्टोपाध्याय मेडिकल कॉलेज का डाटा एंट्री ऑपरेटर था. वह एक मोबाइल सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी था. वर्तमान में प्रसून भी सीबीआई की हिरासत में है. जांच एजेंसी ने दावा किया है कि डॉक्टर संदीप घोष ने प्रसून चट्टोपाध्याय को पीड़िता के स्मार्टफोन से वीडियो डिलीट करने के लिए कहा. उसके बाद प्रसून ने पीड़िता के स्मार्टफोन से वीडियो को डिलीट कर दिया था. उसने केवल इतना ही नहीं, बल्कि कई आपत्तिजनक वीडियो भी डिलीट कर दिया था. इसमें अस्पताल के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी शामिल थे.
सीबीआई ने यह भी कहा है कि जांच को गुमराह करने के लिए सीसीटीवी कैमरे के कई फुटेज भी ब्लॉक कर दिए गए थे. जैसे-जैसे जांच में तेजी आ रही है, एक-एक करके कई प्रभावशाली लोग सीबीआई के जांच दायरे में आ रहे हैं. इनमें निर्मल घोष, जो एक राजनीतिक दल के विधायक भी है, इसमें शामिल हैं. निर्मल घोष वारदात के बाद अस्पताल तथा पोस्टमार्टम हाउस गए थे. वह पीड़िता के दाह संस्कार के समय श्मशान घाट में भी मौजूद थे. उनकी अस्पताल के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष से फोन पर कई बार बात भी हुई थी.
सीबीआई ने निर्मल घोष के करीबी तथा पूर्व पार्षद संजीव मुखोपाध्याय को भी हिरासत में लिया है. चर्चा है कि संजीव मुखोपाध्याय ने पीड़िता का पोस्टमार्टम करने वाले एक डॉक्टर को धमकी दी थी कि अगर उस दिन पोस्टमार्टम नहीं हुआ तो खून की नदी बहेगी. उस व्यक्ति ने खुद को मृतका का चाचा बताया था. यह बात डॉक्टर अपूर्व विश्वास ने सीबीआई को बताई थी. सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है. आरजीकर अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रही सीबीआई का दावा है कि मोबाइल, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मेमोरी कार्ड समेत कम से कम 18 डिजिटल उपकरणों को क्लोन किया गया है. जांच एजेंसी का मानना है कि इन उपकरणों में मौजूद दस्तावेज से कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं.
इस बीच अलीपुर कोर्ट स्थित सीबीआई की अदालत ने आरजीकर अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में संदीप घोष, सुमन हाजरा, विप्लव सिंह और संदीप घोष के सुरक्षा गार्ड अफसर अली को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दे दिया. वे 7 अक्टूबर तक जेल में ही रहेंगे. बहरहाल सीबीआई के दावे ने आरजीकर अस्पताल के कुछ सफेदपोश लोगों को उजागर किया है. अगर सीबीआई का दावा पूरी तरह सच निकलता है तो यह चिंता की बात है. क्योंकि ऑपरेशन थिएटर जैसी जगह में जहां एक रोगी को जीवन दान मिलता है, वहां इस तरह का काम रोगी का जीवन बचाने वाले करें तो, किसी के लिए भी शर्मिंदगी की बात है. ऐसा लगता है कि पीड़िता को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ा है. देखना है कि सीबीआई अब कौन सा नया रहस्य खोलती है.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)