बंगाल से भाजपा ने राज्यसभा के लिए अनंत महाराज को उम्मीदवार क्या बनाया, राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा बंगाल में विभाजन कारी तत्वों को बढ़ावा दे रही है. हालांकि भाजपा बंगाल के एक और विभाजन के पक्ष में नहीं है. तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अनंत राय महाराज को लेकर कहना शुरू कर दिया है कि बंगाल का एक और विभाजन नहीं होने देंगे…
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव की रणनीतियां तेजी से बनने लगी है. पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को भारी सफलता मिली है. पार्टी इसे लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल बता रही है. हालांकि राजनीतिक पंडित मानते हैं कि पंचायत चुनाव को लोकसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.फिर भी जीतने वाली पार्टी अक्सर यह दावा करती है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी दमदार प्रदर्शन करेगी!
लोकसभा चुनाव की तैयारी भाजपा ने अभी से ही शुरू कर दी है. तृणमूल कांग्रेस द्वारा राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा के बाद भाजपा ने भी बंगाल से राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.उम्मीदवार का नाम अनंत राय महाराज है. अनंत राय महाराज का उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों में सीधी पकड़ है. यह वही अनंत राय महाराज हैं जो खुद को ग्रेटर कूचबिहार का महाराजा बताते हैं और राजवंशी समुदाय से आते हैं.
अनंत राय महाराज को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया जाना ममता बनर्जी को पसंद नहीं आ रहा है. दरअसल अनंत राय महाराज उत्तरी बंगाल के कूचबिहार जिले को अलग राज्य बनाने की मांग करते आ रहे हैं. अनंत राय ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. यही संगठन लंबे समय से ग्रेटर कूचबिहार को अलग राज्य बनाने की मांग करता आ रहा है.
पश्चिम बंगाल की 6 राज्यसभा सीटों के लिए 24 जुलाई को मतदान होना है. एक सीट पर उपचुनाव हो रहा है. जब से भाजपा ने राज्यसभा के लिए अनंत महाराज को उम्मीदवार बनाया है, तभी से ही राजनीतिक गलियारे में उनकी चर्चा शुरू हो गई है. आपको याद होगा कि कुछ समय पहले कामतापुरी पीपुल्स पार्टी, ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन और भाजपा ने बंगाल विभाजन की मांग की थी. हालांकि भाजपा एक और बंगाल विभाजन के पक्ष में नहीं है.
अनंत महाराज राजवंशी समुदाय से आते हैं. उत्तर बंगाल में राजवंशी समुदाय कई जिलों तक फैला है.उत्तर बंगाल में राजवंशी समुदाय की लगभग 30% आबादी है. बंगाल के दक्षिणी भाग में मतुआ के बाद यह राज्य का सबसे बड़ा अनुसूचित जाति समुदाय है. जानकारों के अनुसार उत्तर बंगाल की 8 लोकसभा सीटों में से 4 लोकसभा सीटों में राजवंशी समाज निर्णायक भूमिका निभाता है.
उत्तर बंगाल की 23 विधानसभा और 2 लोकसभा सीट ऐसी है जहां राजवंशी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं. अनंत महाराज का इस पर बड़ा असर है. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि अनंत महाराज की राज्यसभा उम्मीदवार निर्वाचित होने पर लोकसभा चुनाव में बड़ा फायदा मिल सकता है.अनंत महाराज की उम्मीदवारी का तृणमूल कांग्रेस इसलिए विरोध कर रही है क्योंकि टीएमसी जानती है कि अनंत महाराज शुरू से ही बंगाल का एक और विभाजन चाहते हैं.यही कारण है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के साथ ही कह दिया कि बंगाल एक है और किसी भी हाल में इसका बंटवारा नहीं होने दिया जाएगा.
टीएमसी नेताओं की लगातार प्रतिक्रिया सामने आ रही है तृणमूल कांग्रेस के सांसद और प्रवक्ता शांतनु सेन ने कहा है कि भाजपा राज्य में अलगाववाद को बढ़ावा देना चाह रही है. उत्तर बंगाल के 8 जिलों में दार्जिलिंग भी शामिल है.यह पूरा क्षेत्र चाय की पत्ती, लकड़ी और पर्यटन के लिए जाना जाता है.यह क्षेत्र नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से लगता है.यहां 80 के दशक की शुरुआत में ही राजवंशी के साथ-साथ गोरखा, कोच और कामतापुरी जातीय समूह ने अलग राज्य का दर्जा की मांग कर दी थी.