आज कारगिल विजय दिवस है | कारगिल युद्ध के 25 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी इस युद्ध में शहीद हुए जवानों को याद कर पूरा देश उन पर गर्व करता है | कारगिल को एक शब्द के तौर पर ना देखें, यह सिर्फ कोई स्थान नहीं, या कोई शब्द नहीं, यह तो पूरे देश से जुड़ी हुई भावना है | कारगिल की चोटी ने ना जाने कितने ही शहीदों के बलिदान को दिखा और देश के जवानों ने अपनी जान को दाव पर रखकर कभी पाकिस्तान तो कभी चीन से कारगिल को बचाया | दोनों देशों की बुरी नजर हमेशा ही कारगिल पर बनी रहती है, 1999 भी यह एक ऐसा दौर था जब पाकिस्तान ने अपनी कायरता का परिचय देते हुए किस तरह से छुप कर वार करने की कोशिश की थी | जंग तो मई में शुरू हुई, लेकिन पाकिस्तान कायरों की चार से सात बटालियन भारतीय सीमा पार कर फरवरी में ही कारगिल आ गई थी, जिन्होंने कारगिल के 132 ऊंचे पॉइंट पर बेस बनाया गया था | उस समय सर्दियां कहर बान बरस रही थी और चारों ओर बर्फ जमी हुई थी | मई से जुलाई तक चले इस युद्ध में देश के करीब 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और करीब 1400 जवान घायल हुए थे। शरीर के रोम,रोम को जमा देने वाली और हड्डियों को गला देने वाली उस ठंड में भी भारतीय जवान डटकर खड़े रहें | 1999 में कारगिल युद्ध में देश के जवान बहादुरी और देश के लिए समर्पण की भावना से डटकर पाकिस्तानी कायरों से लड़ते रहें और भारत माँ के सपूतों की बहादुरी को देखकर पाकिस्तानी कायर पीठ दिखाकर भाग निकले | 1999, 26 जुलाई को कारगिल युद्ध जीतकर देश के बहादुर जवानों ने राष्ट्रीय ध्वज को भारत माता की जय और जय हिंद के नारे के साथ लहरा दिया |
”शायद उस दिन के कारगिल विजय को देखकर आज भी कारगिल इतराता होगा और कहता होगा ”ए दुश्मनों के बुलंद हौसले तूने मुझ पर वार तो किया, लेकिन तू भूल गया, मेरे देश के जवानों के हौसले मेरी चोटियों से भी ऊंचे है, लड़ते रहें वे आखरी दम तक जब तक दुश्मनों को खदेड़ ना दिया, ”वह सुबह भी कितनी खास थी जिसे याद कर आज भी इतराता हूँ भारत माता का हिस्सा हूं मैं कारगिल कहलाता हूँ ” देश के जवानों ने खुद को शहादत कर मुझे बचाया, याद कर लो ए देशवासियों उन्हें भी जिन्होंने मेरी चोटियों पर भारत माँ के ध्वज को लहराया |
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