May 7, 2024
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कालिम्पोंग लाइफस्टाइल

अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराने के मिशन में कालिमपोंग के समर्पण प्रधान का भी योगदान!

भारत में गगनयान मिशन की तैयारी शुरू हो गई है. गगनयान का डिजाइन भी तैयार हो चुका है. तकनीकी कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि गगनयान स्पेस सूट का जो डिजाइन पसंद किया गया है, उसे कालिमपोंग के कर्मठ युवा समर्पण प्रधान ने तैयार किया है. समर्पण प्रधान के डिजाइन किए गए अंतरिक्ष ब्राउन सूट की खूब चर्चा हो रही है. इसके साथ ही समर्पण प्रधान भी सुर्खियों में है. प्रधानमंत्री इसकी तारीफ भी कर चुके हैं.

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन में अंतरिक्ष में जाने वाले चारों अंतरिक्ष यात्रियों के नाम का ऐलान कर दिया था. उनमें ग्रुप कमांडर प्रशांत बालकृष्णन नैयर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला के नाम शामिल है. चारों अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे. गगनयान मिशन को 2025 में लॉन्च किया जाएगा. इसके तहत 2 से 3 अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की निम्न कक्षा में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. यह सभी व्यक्ति भारतीय वायु सेना के टेस्ट पायलट हैं. इस मिशन के लिए चारों युवकों ने रूस में जाकर प्रशिक्षण प्राप्त किया है.

इन अंतरिक्ष यात्रियों का परिचय दूं, उससे पहल कालिमपोंग के समर्पण प्रधान के बारे में जानने की उत्सुकता हो रही होगी. आखिर किस तरह से पहाड़ का एक युवा गगनयान मिशन से जुड़ा? न केवल अंतरिक्ष मिशन से जुड़ा ही, बल्कि उसने वह कर दिखाया जिसके लिए न केवल सिलीगुड़ी और बंगाल के लोगों को गर्व है, बल्कि पहाड़ के लोग भी उस पर नाज कर रहे हैं. भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. अगर सही प्लेटफॉर्म मिले तो युवा शक्ति एक नया इतिहास लिखने की सामर्थ्य रखती है.

समर्पण प्रधान कालिमपोंग के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम डॉक्टर देवेंद्र प्रधान और माता का नाम डॉक्टर संजीता प्रधान है. बचपन से ही कुछ नया कर दिखाने का हौसला रहा. अत्यंत मेधावी और विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में खोजपरक प्रवृत्ति के इस युवक ने कालिमपोंग स्थित सेंट अगस्टाइन स्कूल से प्राथमिक शिक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बेंगलुरु का रुख किया. उसने नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया और डिजाइन की दुनिया में अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.

उन्हीं दिनों की बात है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 2025 में गगनयान मिशन की बात देशवासियों से की थी. इसकी तैयारी की शुरुआत हो चुकी थी. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी बेंगलुरु द्वारा गगनयान स्पेस सूट डिजाइन तैयार करने की जिम्मेवारी बैचलर के छात्रों और शिक्षकों को दी गई. इस बैच में समर्पण प्रधान भी शामिल थे. समर्पण प्रधान ने अपने साथियों और फैकल्टी मेंबर के साथ गगनयान मिशन ब्राउन सूट का डिजाइन करना शुरू कर दिया. अंतरिक्ष में समर्पण प्रधान की शुरू से ही रुचि रही थी. इसलिए जब उनके प्रोफेसर ने यह कार्य सौंपा तो समर्पण प्रधान की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. यह उनका सपना भी था.

एक कहावत है, जहां चाह वहां राह. समर्पण प्रधान ने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया. लगन और अपनी प्रतिभा के बल पर समर्पण प्रधान ने एक से बढ़कर एक 50 से अधिक डिजाइन तैयार किया. उन्हीं में से एक डिजाइन को गगनयान मिशन के लिए चुन लिया गया. उनकी इस डिजाइन टीम में फैकल्टी मेंबर के रूप में प्रोफेसर जे डी बाजपेई, प्रोफेसर मोहन कुमार के अलावा उनके क्लासमेट लामिया एनिस और जूलिया डी शामिल थे. हालांकि डिजाइन तैयार करने में सभी का सहयोग रहा, परंतु समर्पण प्रधान के दृष्टिकोण और उसकी परिकल्पना की सभी ने सराहना की थी.

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन की शुरुआत कर दी है. गगनयान पर तकनीकी कार्य चल रहा है. इसे 2025 में लॉन्च किया जाएगा. अब अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में भी संक्षेप में जान लेते हैं. ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर केरल के रहने वाले हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा कुवैत में हुई है. उन्होंने एनडीए से स्नातक की डिग्री हासिल की है. वह वायु सेना में बतौर पायलट सुखोई युद्धहक विमान उड़ा चुके हैं. दूसरे अंतरिक्ष यात्री सुभांशु शुक्ला ने रूस की राजधानी मॉस्को के यूरी गागरिन कोस्मॉनोट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण हासिल किया है. 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला 17 जून को 2006 को भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे.

ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन का जन्म 19 अप्रैल 1982 को तमिलनाडु में हुआ था. वह एनडीए के छात्र रहे हैं. वायु सेना अकादमी में राष्ट्रपति की ओर से स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुके हैं. वह फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं. उनके पास लगभग 2900 घंटे की उड़ान का अनुभव है. चौथे अंतरिक्ष यात्री का नाम अंगद प्रताप है. ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने 13 महीने तक प्रशिक्षण हासिल किया है. 17 जुलाई 1982 को उनका जन्म प्रयागराज में हुआ था. वह भी एनडीए के छात्र रहे हैं. 18 दिसंबर 2004 को उन्होंने भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्ति प्राप्त की थी. ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट है. उन्होंने कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं.

आपको बताते चलें कि यह भारत का पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन होगा, जिसमें दो से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की निम्न कक्षा में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. 2 से 3 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद उन्हें सुरक्षित वापस हिंद महासागर में समुद्र के भीतर उतारा जाएगा. इस साल में इस मिशन से जुड़ी कई परीक्षण उड़ाने शुरू की जानी है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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