समुद्र तल से लगभग 12000 फीट ऊंचा संदकफू की सैर करना दार्जिलिंग आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद रहा है. यहां काफी संख्या में पर्यटक आते हैं और कंचनजंघा का दीदार करते हुए खुद को धन्य समझते हैं. जब मौसम साफ हो तो संदकफू से कंचनजंगा ऐसे दिखाई देता है जैसे भगवान बुद्ध की सोई हुई आकृति में हो. कुछ लोग इसे स्लीपिंग बुद्ध भी कहते हैं. शांत, सुरम्य और सुंदर… इसे देखकर पर्यटक भाव विभोर हो जाते हैं.
संदकफू सिंगलीला रेंज की सबसे ऊंची चोटी है. दार्जिलिंग जिले में स्थित संदकफू ट्रैक सिंगलीला नेशनल पार्क के बहुत करीब स्थित है. यहां पहुंच कर आप दुनिया की 5 सबसे ऊंची चोटियों में से चार का नजारा देख सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ट्रैकिंग का सबसे अच्छा दृश्य कंचनजंगा पर्वत है. आप लैंड रोवर से ट्रैकिंग करते हुए इस चोटी के शिखर तक पहुंच सकते हैं. संदकफू को जहरीले पौधों के पहाड़ के रूप में भी जाना जाता है.
लेकिन संदकफू पहुंचना आसान नहीं है. यह एक कठिन ट्रैक है. इसलिए यहां जाने से पहले अपनी फिटनेस का पूरा ध्यान रखें. शिखर तक पहुंचने से पहले ट्रैक कई अलग-अलग इलाकों से होकर गुजरता है. इनमें चुनौती पूर्ण घाटियां, रोडोडेंड्रोन, मैगनोलियास के साथ बनी जमीनों के हरे-भरे मैदान भी आते हैं. यह काफी कठिन और जोखिम भरा है. प्रत्येक ट्रैक एक दूसरे से ज्यादा खतरनाक है.
पिछले दिनों एक पर एक कई घटनाएं घट चुकी है. उत्तर दिनाजपुर के रहने वाले एक पर्यटक की यहां ट्रैकिंग के क्रम में मौत हो चुकी है. वह अपने पांच दोस्तों के साथ यहां आया था. 26 मई की घटना है. टुमलिंग में तन्मय कुंडू नामक उक्त पर्यटक की मौत हो गई थी. स्थिति बिगड़ने के बाद इलाज के लिए उक्त पर्यटक को वहां से सुखिया पोखरी लाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने चेकअप के बाद पर्यटक को मृत करार दे दिया था. पोस्टमार्टम के बाद मृतक के शरीर को उसके घर वालों के हवाले कर दिया गया है. इसके अलावा दो और शव बरामद होने के बाद जीटीए की ओर से सुरक्षित ट्रैकिंग के लिए गाइडलाइंस को अनिवार्य किए जाने पर बल दिया जा रहा है.संदकफू जाने के लिए सबसे पहले सुखिया पोखरी से लैंड रोवर से यात्रा शुरू करनी पड़ती है.यहां से माने भंजन, टुमलिंग होते हुए संदकफू को जाया जाता है. सुखिया पोखरी से संदकफू की दूरी लगभग 45 किलोमीटर है.
सुखिया पोखरी में एक हेल्थ सेंटर है. लेकिन उसके बाद मानेभंजन टुमलिंग और संदकफू में कोई भी हेल्थ सेंटर नहीं है. जब आप यहां से ट्रैकिंग शुरू करते हैं तो माने भंजन और उसके बाद टुमलिंग होते हुए संदकफू जाते हैं. प्रत्येक पड़ाव दूसरे पड़ाव से ज्यादा कठिन होता जाता है. अगर रास्ते में कुछ हो गया तो इलाज के लिए वापस सुखिया पोखरी ही जाना होगा. यह इतनी ऊंचाई पर स्थित है कि अनेक पर्यटकों के शरीर का तापमान ऊंचाई के हिसाब से अनुकूलित नहीं हो पाता है, जिसके कारण अगर आप फिट नहीं है तो तबीयत खराब होने की पूरी गुंजाइश रहती है.
उपरोक्त घटनाओं को देखते हुए अब जीटीए की ओर से एक विशेष गाइडलाइंस जारी किया जाने वाला है. प्रस्ताव तैयार हो चुका है. सिर्फ अनुमोदन बाकी है. मुख्य संयोजक जीटीए टूरिज्म के देवा शेरपा की ओर से बयान जारी किया गया है कि पीक सीजन में रोजाना लगभग 500 पर्यटक संदकफू की ट्रैकिंग करते हैं. दुखद घटनाओं को देखते हुए पर्यटकों से अनुरोध किया गया है कि ट्रैकिंग की जटिलता को देखते हुए पर्यटक टुमलिंग में कम से कम 1 दिन का स्टे जरूर करें. उसके बाद ही ट्रैकिंग शुरू करें. इसके अलावा इस पर भी विचार किया जा रहा है कि पर्यटकों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट को अनिवार्य किया जाए.यह सर्टिफिकेट जीटीए के प्रतिनिधि जारी करेंगे.
पिछले दिनों इस संदर्भ में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस तरह के कुछ प्रस्ताव तैयार किए गए हैं, जिसे जल्द ही अनुमोदन के लिए जीटीए के मुख्य सचिव को भेजा जाएगा. इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि जीटीए की ओर से दो स्वास्थ्य कर्मचारियों को माने भंजन और स॔दकफू में पर्यटकों की सेवा के लिए रखा जा सके. अगर किसी पर्यटक की तबीयत खराब होती है तो यह दोनों स्वास्थ्य कर्मचारी उनकी प्राथमिक चिकित्सा करेंगे. स्वास्थ्य कर्मचारियों को जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर इत्यादि का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
सुखिया पोखरी के बाद ट्रैकिंग शुरू करने पर रास्ते में पर्यटकों की स्वास्थ्य की देखभाल के लिए एक हेल्थ पोस्ट खोला जाएगा. जीटीए की बैठक में इस पर विचार होगा और कार्यकारी समिति इस पर अनुमोदन करेगी. उपरोक्त के अलावा एक एंबुलेंस की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है. यह संदकफू तक होगी और प्रत्येक दिन इसकी व्यवस्था हो, इस पर विचार किया जा रहा है.जीटीए स्थाई डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित कर सके, इसके लिए भी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. व्यवस्था ऐसी होगी कि जब पर्यटक यहां से ट्रैकिंग शुरू करें तो उनके साथ ही उनकी सुरक्षा के तमाम उपाय साथ-साथ चलते रहें. अब देखना है कि जीटीए इस पर क्या फैसला लेता है और उक्त गाइडलाइंस को कब अनिवार्य किया जाता है. वैसे पर्यटक अच्छी तरह जानते हैं कि संदकफू की ट्रैकिंग करने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जरूरी होता है.
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