किसी भी दल के नेताओं के कुछ सपने होते हैं. लेकिन जब पार्टी में उनके सपने पूरे नहीं होते, तो वे हवा का रुख देखकर अपनी पीठ कर लेते हैं. शंकर मालाकार एक लंबे समय से कांग्रेस में थे. सिलीगुड़ी से लेकर दार्जिलिंग जिले में कांग्रेस का वह चेहरा बने. लेकिन फिर भी कांग्रेस का बेड़ा पार नहीं लगा सके. अब उन्होंने कांग्रेस को ही अलविदा कह दिया है.
खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे की तरह कांग्रेस ने शंकर मालाकार को दार्जिलिंग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद समेत अखिल भारतीय कांग्रेस के सभी पदों से हटा दिया है. यह तो होना ही था. शंकर मालाकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. जिला कांग्रेस से लेकर राज्य कांग्रेस दोनों को ही बड़ा नुकसान होगा. यूं तो प्रदेश में कांग्रेस की हालत पहले से ही खराब है. जो थोड़ी प्रतिष्ठा थी, वह भी शंकर मालाकार के रूप में खत्म हो गई.
शंकर मालाकार ने एक रास्ता दिखाया है. आने वाले समय में कांग्रेस के और भी कई नेता उनके नक्शे कदम पर चलेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है. टीएमसी रणनीतिक तौर पर एक बड़ा गेम खेल रही है. सिलीगुड़ी के कई कांग्रेसी नेता टीएमसी के पाले में जा सकते हैं. सिलीगुड़ी नगर निगम में एकमात्र कांग्रेस पार्षद सुजय घटक हैं. माना जा रहा है कि देर सवेर कांग्रेस के ओर भी कई वरिष्ठ नेता टीएमसी में शामिल हो सकते हैं. इससे पूर्व टीएमसी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता जॉन वारला को अपनी पार्टी में शामिल किया था.
शंकर मालाकार दो दो बार कांग्रेस के विधायक रहे हैं. वे कोलकाता में टीएमसी के राज्य सचिव सुब्रत बक्शी और मंत्री अरूप विश्वास की मौजूदगी में तृणमूल भवन में टीएमसी में शामिल हो गए. बता दें कि शंकर मालाकार 2011 से लेकर 2021 तक माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी के विधायक थे. वे लगभग 20 साल तक जिला कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर उनकी संगठनात्मक शक्ति पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. जानकार मानते हैं कि शंकर मालाकार का कांग्रेस छोड़ना विधानसभा चुनाव से पहले अधीर रंजन चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष शुभंकर के लिए एक बड़ा झटका है.
शंकर मालाकार के टीएमसी में शामिल होने पर सुब्रत बख्शी ने कहा है कि इससे न सिर्फ टीएमसी कार्यकर्ताओं को ऑक्सीजन मिलेगी बल्कि सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में पार्टी की ताकत भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि 15 सालों तक शंकर मालाकार दार्जिलिंग जिले के जिला अध्यक्ष रहे. उनके TMC में शामिल होने से जमीनी स्तर पर टीएमसी संगठन को मजबूती मिलेगी. सूत्र बताते हैं कि पार्टी हाई कमान के निर्देश पर शंकर मालाकार को टीएमसी में शामिल किया गया.
टीएमसी ज्वाइन करने के बाद शंकर मालाकार ने कहा कि भाजपा उत्तर बंगाल में काफी अत्याचार कर रही है. कभी उनकी तरफ से कामता पुरी, गोरखालैंड तो कभी उत्तर बंगाल को बांटने की राजनीति होती है. कांग्रेस के अंदर रहकर भाजपा से लड़ना आसान नहीं है. इसलिए उन्होंने टीएमसी ज्वाइन किया.
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