पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने बच्चों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक कारगर कदम उठाया है. बच्चे प्राथमिक कक्षाओं से ही प्रतियोगिता परीक्षा के लिए खुद को तैयार कर सकेंगे. क्योंकि जब उनकी बुनियाद मजबूत होगी तो वह जीवन में अपने सफ़र को आसान कर सकेंगे. बहुत सोच समझकर राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है. इसमें सरकार का सभी पक्षों से समर्थन मिलने की संभावना बढ़ गई है.
पश्चिम बंगाल राज्य प्राथमिक शिक्षा पर्षद ने पहली कक्षा से ही शिक्षा की गुणवत्ता को और बेहतर करने के लिए शिक्षा प्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव किया है. प्राथमिक शिक्षा पर्षद के अध्यक्ष गौतम पाल के अनुसार स्कूलों में 2025 से ही प्राथमिक स्तर से सेमेस्टर प्रणाली शुरू हो जाएगी. 2025 के शैक्षणिक वर्ष से कक्षा एक से ही सेमेस्टर प्रणाली के तहत परीक्षा आयोजित किए जाने की जानकारी मिली है. इस नई प्रणाली का नाम क्रेडिट बेस्ड सेमेस्टर सिस्टम रखा गया है.
इस नई प्रणाली के अंतर्गत अब हर साल दो बार परीक्षा होगी. जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर तक साल को दो भागों में बांटा जाएगा. पहले सेमेस्टर में 40 अंकों की परीक्षा होगी. जिसमें 20 अंक उपस्थिति और कक्षा में व्यवहार जैसे पहलुओं पर केंद्रित होंगे. जबकि बाकी 20 अंक परियोजनाओं के आधार पर दिए जाएंगे. दूसरी सेमेस्टर परीक्षा 60 अंकों की होगी. यह पूरी तरह लिखित होगी. प्राथमिक शिक्षा परिषद के अनुसार छात्रों के लिए प्रश्न पत्र बाहर से मंगाए जाएंगे. स्कूलों की इसमें कोई जिम्मेवारी नहीं होगी.
मिली जानकारी के अनुसार छात्रों के लिए प्रश्न पत्र परिषद द्वारा ही तैयार किए जाएंगे. जो राज्य स्तर पर होगा. जबकि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन स्कूल में ही शिक्षक करेंगे. 2025 के शैक्षणिक सत्र में पुराने पाठ्यक्रम व्यवस्था के अनुसार परीक्षा आयोजित की जाएगी. लेकिन 2026 से पाठ्यक्रम में बदलाव लागू कर दिया जाएगा. शिक्षा विभाग ने मंजूरी दे दी है. नई शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत छात्रों को क्रेडिट स्कोर दिया जाएगा. पहली और दूसरी कक्षा के लिए 376 घंटे की वार्षिक परीक्षाओं के आधार पर अधिकतम 13.5 क्रेडिट स्कोर तय किया गया है.
तीसरी से पांचवी कक्षा के लिए 460 घंटे की कक्षाओं के अनुसार अधिकतम 16.5 क्रेडिट स्कोर दिया जाएगा. नई शिक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. राज्य सरकार का उद्देश्य प्राथमिक कक्षा से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास और उनकी मजबूत मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए उन्हें तैयार करना है. 2009 के शिक्षा का अधिकार अधिनियम में कक्षा 5 से 8 तक नो डिटेंशन नीति है. प्री प्राइमरी श्रेणी को इस ढांचे में नहीं लाया जाएगा. पूरे शैक्षणिक वर्ष में पहली से दूसरी कक्षा तक 800 घंटे की उपस्थिति होनी चाहिए.
तीसरी से पांचवी कक्षा तक पूरे शैक्षणिक वर्ष में 1000 घंटे की उपस्थिति होनी चाहिए. प्रत्येक सेमेस्टर में प्रत्येक विषय की 100 नंबर की परीक्षा होगी. प्रथम सेमेस्टर में 40 और दूसरे सेमेस्टर में 100 अंकों की परीक्षा होगी. अब देखना होगा कि शिक्षा सिलेबस में नए बदलाव का छात्रों के जीवन पर क्या असर पड़ता है और अभिभावक इसे किस रूप में लेते हैं.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)