November 14, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल घटना जुर्म

रायगंज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में महिला डॉक्टर्स से छेड़खानी का सनसनीखेज मामला!

कोलकाता के निर्भया बलात्कार हत्याकांड के बाद देश भर में जूनियर डॉक्टर्स की सुरक्षा को लेकर बवाल मचा है. उत्तर बंगाल भी इससे अछूता नहीं है. यहां के तमाम सरकारी और निजी अस्पतालों में काम करने वाली जूनियर महिला डॉक्टर्स भी अपनी सुरक्षा की मांग कर रही हैं. दिनहटा महकमा अस्पताल से लेकर अलीपुरद्वार जिला अस्पताल, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, रायगंज गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल तथा निजी नर्सिंग होम की महिला डॉक्टर्स प्रशासन से सुरक्षा प्रदान करने की मांग कर रही हैं.

हालांकि उत्तर बंगाल में 1982 के बाद आरजीकर अस्पताल जैसी कोई भी घटना नहीं घटी है. पर उत्तर बंगाल के कई अन्य सरकारी मेडिकल अस्पतालों को लगता है कि भविष्य में इस तरह की घटना यहां भी घट सकती है. 1982 में नर्स बरनाली दत्त की हत्या हुई थी. उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा भी मानते हैं कि अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए. यहां के कई अस्पताल प्रशासन भी इस बात को महसूस कर रहे हैं कि महिला डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए अस्पताल में उचित व्यवस्था होनी चाहिए. कुछ अस्पताल जैसे अलीपुरद्वार जिला अस्पताल सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा रहे हैं. सभी अस्पतालों में आरजीकर अस्पताल महिला दुष्कर्म हत्याकांड का विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है और अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की जा रही है.

इसी बीच रायगंज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवा देने वाली 2 महिला डॉक्टर्स के साथ छेड़खानी का सनसनीखेज मामला सामने आया है. द टेलीग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार शराब के नशे में धुत एक युवक ने 2 महिला डॉक्टर्स के साथ बदसलूकी की. घटना के अनुसार सोमवार को दोपहर के समय रायगंज गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कॉलेज कैंपस में आरजीकर अस्पताल जूनियर डॉक्टर बलात्कार हत्याकांड का विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. 2 महिला जूनियर डॉक्टर्स ल॔च करने के लिए कॉलेज कैंपस की कैंटीन में गई. तभी वहां नशे में धुत एक युवक ने महिला डॉक्टर्स के साथ गाली गलौज करते हुए छेड़खानी शुरू कर दी.

शराबी युवक के मुंह न लगते हुए दोनों महिला डॉक्टर चुपचाप वहां से जाने लगी तो उस युवक ने उनका पीछा करना भी शुरू कर दिया. महिला डॉक्टरों द्वारा सहायता की गुहार लगाए जाने के बाद आसपास के कुछ लोगों ने युवक को पकड़ लिया और पुलिस को बुलाकर पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने उक्त युवक को गिरफ्तार कर लिया. उसका नाम जीवन राजवंशी है. लेकिन रायगंज में ही एक निजी नर्सिंग होम में काम करने वाली एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ जो कुछ हुआ, उसके बाद यह सवाल खड़ा हो जाता है कि पुलिस महिला डॉक्टर को सुरक्षा देने की बात कौन करे, उस आरोपी को भी अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है, जिसने महिला डॉक्टर के साथ छेड़खानी की है.

टेलीग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सुबह लगभग 10:30 बजे जब महिला डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर अस्पताल जा रही थी, तभी साइकिल पर सवार एक अज्ञात युवक ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया. उसने महिला के पास पहुंचकर उस पर अश्लील कमेंट किया. लेकिन महिला डॉक्टर ने इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की और सीधा अपने मार्ग पर बढ गई. यह देखकर युवक की हिम्मत बढ़ गई. उसने साइकिल से उतरकर महिला की कलाई पकड़ ली और उसे लगभग घसीटते हुए एक दीवार के पास ले गया और उसके साथ छेड़खानी शुरू कर दी. किसी तरह से महिला डॉक्टर उसके कब्जे से भागने में सफल रही.

इस घटना से महिला डॉक्टर काफी डर गई है. उसने रायगंज पुलिस थाने में अपने साथ हुई छेड़छाड़ को लेकर अज्ञात युवक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है. इस घटना का एक महीना बीत जाने के बावजूद पुलिस अभी तक अपराधी का पता तक नहीं लगा पाई है. इस घटना से महिला डॉक्टर काफी डर गई है. उसने पुलिस की कार्य शैली तथा नर्सिंग होम की उदासीनता को देखकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.महिला डॉक्टर ने कहा कि वह जल्द ही रायगंज छोड़ने वाली है. क्योंकि उन्हें लगता है कि वह मनचला व्यक्ति फिर से उस पर आक्रमण कर सकता है.

यह कितनी बड़ी विडंबना की बात है कि एक तरफ देश भर में महिला डॉक्टर की सुरक्षा तथा आरजीकर अस्पताल दुष्कर्म हत्याकांड में इंसाफ के लिए देश भर में डॉक्टर्स का धरना प्रदर्शन हो रहा है, वही रायगंज अस्पताल में दिनदहाड़े दो महिला डॉक्टर्स के साथ छेड़छाड़ और एक नर्सिंग होम की महिला डॉक्टर की असुरक्षा, अपराधी को पुलिस द्वारा अब तक गिरफ्तार नहीं किया जाना, कई गंभीर सवाल खड़ा करता है. महिला डॉक्टर द्वारा रायगंज छोड़ने की बात पुलिस प्रशासन और सरकार के लिए एक चिंता का विषय है. आखिर कब तक महिला डॉक्टर के साथ ऐसी घटनाएं घटती रहेगी?

आमतौर पर अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं होता है. चाहे वह उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल हो या कोलकाता का आरजीकर अस्पताल, डॉक्टरों की सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं होता. यहां तक कि कई कई अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे ही नहीं होते. साथ ही बुनियादी संसाधन भी नहीं होते. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरजीकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में अव्यवस्था और बाहरी लोगों की आवाजाही ने अस्पताल को एक नशाखोरी के केंद्र में बदल दिया था.

सूत्रों ने बताया कि इस अस्पताल में बाहरी लोगों का आना-जाना रहता था, जहां शराब और नशा भी किया जाता था. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी कुछ ऐसा ही हाल है. महिला डॉक्टर के लिए अलग से वॉशरूम की व्यवस्था नहीं है. अथवा यह पर्याप्त नहीं है. ऐसे में महिला डॉक्टरों की सुरक्षा अपने आप में एक गंभीर सवाल है. यह सवाल अस्पताल प्रशासन और सरकार से भी है,जो अब तक महिला डॉक्टर्स को आश्वासन के झूठे जाल में फंसाए हुए हैं.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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