पिछले साल 3-4 अक्टूबर को तीस्ता त्रासदी हुई थी. सिक्किम के इतिहास में यह कभी नहीं भूलने वाली त्रासदी है. जिसके बाद पूरा सिक्किम हिल गया था. इस त्रासदी में अनेक लोग मारे गए. तीस्ता के जल में बह गए. चारों तरफ हाहाकार मच गया था. उस समय तीस्ता नदी काल बनकर सिक्किम और बंगाल के लोगों को निगल रही थी. जो लापता हुए, उनकी लाशें कई दिनों बाद बंगाल में पाई गई. सैकड़ो घर तबाह हो गए. पुल बह गए. भारी संख्या में लोग विस्थापित हुए. इस तरह से जान माल का भारी नुकसान हुआ.
क्या इस बार भी ऐसा होगा, तीस्ता के निकटवर्ती गांव और कस्बों में रहने वाले लोगों के मुंह से कुछ ऐसे ही शब्द निकल रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में सिक्किम में हुई लगातार बारिश ने यहां के लोगों को काफी डरा दिया है. इसके बाद वह एक दूसरे से यही सवाल कर रहे हैं.आज चमकडांगी की स्थिति देखने के बाद यहां के लोग इस कदर आतंकित हैं कि उन्होंने पूरा गांव ही खाली कर दिया और सुरक्षित स्थान पर चले गए. तीस्ता बाजार से लेकर उत्तरी सिक्किम के कई इलाकों में रहने वाले लोग बेहद आतंकित हैं और तीस्ता त्रासदी की वर्षगांठ को याद कर रहे हैं.
सिक्किम में प्राकृतिक आपदा का खतरा टला नहीं है. राज्य और केंद्र मिलकर विभिन्न चुनौतियों से निपट रहे हैं. केंद्र सरकार ने सिक्किम को 23. 60 करोड रुपए दिए हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार समय-समय पर सिक्किम की मदद करती रही है. सिक्किम की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि इसे हर समय मदद की आवश्यकता होती है. चीन से सटे सिक्किम की उपेक्षा कोई भी सरकार नहीं कर सकती. इसके अलावा सिक्किम में तीस्ता नदी के किनारे दर्जनों डैम और झीलें हैं, जो काफी खतरनाक हैं. कब क्या हो जाए, कब कौन सी झील फट जाए. कुछ पता नहीं.
पिछले साल उत्तरी सिक्किम में 5245 मीटर की ऊंचाई पर स्थित साउथ लहोनक झील फट गई थी. लगातार बारिश से पानी बढ़ने का दबाव झेल नहीं पाई और फट गई. जिसके बाद पूरे सिक्किम में तबाही मच गई. इस तरह की खतरनाक झील ढेर सारी हैं. इनमें तेनचुंगखा झील,खागचुंग झील, लाचेन खांगसे झील, लाचुंग खांगसे झील, छू झील, साकोछू झील आदि शामिल है. उच्च जोखिम वाली अधिकांश झीलें 5000 मीटर की ऊंचाई पर सिक्किम के पूर्वोत्तर कोने में स्थित है. यह सभी जोखिम क्षेत्र में हैं. वैज्ञानिकों ने इनका अध्ययन भी कर लिया है और उन्हें खतरनाक माना है.
मौसम विभाग ने सिक्किम के बारे में पूर्वानुमान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि सिक्किम में बारिश अभी कमी नहीं है पिछले दिनों सिक्किम में लगातार बारिश हुई अभी भी मौसम साफ नहीं हुआ है और आज जिस तरह का मौसम है उससे लगता है कि सिक्किम के लोगों की समस्या और ज्यादा बढ़ेगी हालांकि राज्य सरकार सिंचाई विभाग और राज्य आपदा मोचन विभाग सभी अलर्ट हैं और किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए तैयार हैं सिक्किम के मुख्यमंत्री गोली ने संबंधित विभागों को सभी संसाधन उपलब्ध करा दिए हैं
हाल के दिनों मे सरकार ने कई तकनीक भी विकसित कर ली है. जिससे पानी को निकाला अथवा कम किया जा सकता है.इनमें शिफॉनिंग तकनीक भी शामिल है, जो डैम अथवा झील से पानी निकाल कर संभावित खतरे को कम करने का काम करती है. हालांकि यह तकनीक एक बार यहां फेल हो चुकी है. जब सिक्किम सरकार ने पानी निकालने के लिए हाई डेंसिटी पॉलिथीन पाइप लगाने का फैसला किया था. तीन पाइप लाइन से कुछ पानी को निकाला भी गया. तब लगा था कि खतरा टल गया है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पिछले साल इसी झील ने भारी तबाही मचाई थी. इसलिए सिक्किम के लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. डरने की नहीं. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार सिक्किम के लोगों को पिछली त्रासदी का सामना न करना पड़े.
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