सिलीगुड़ी के एक व्यक्ति ने अपना नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि उसने ₹5000000 की कमेटी डाली थी. कमेटी पूरी हो गई थी. उन्होंने सोचा था कि धूमधाम से बेटी की शादी करेंगे. यही सोच कर वह रिश्तेदारों से और जैसे तैसे करके हर महीने कमेटी में निवेश करते रहे और जब कमेटी उठाने का समय आया तो पता चला कि कमेटी संचालक ही फरार हो गया. सुनकर उन्हें काफी धक्का लगा था. बड़ी मुश्किल से उन्होंने स्वयं को संभाला है. इसी तरह से सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी के नजदीक बोतल कंपनी के आसपास रहने वाली एक महिला ने भी कमेटी में पैसा डाला था. उनके साथ भी धोखा हुआ है. अगर कोई दूसरा मौका होता तो पीड़ित पुलिस और कानून से मदद ले सकते थे. परंतु इस खेल में वे चाह कर भी पुलिस और कानून की मदद नहीं ले सकते थे. क्योंकि कमेटी का धंधा पूरी तरह से अवैध होता है….
कमेटी के जरिए पैसा कमाने का खेल कुछ समय पहले तक केवल बड़े शहरों तक सीमित था. परंतु आजकल छोटे शहरों में भी कमेटी का खेल अंधाधुंध चल रहा है और जहां तक सिलीगुड़ी की बात है, यहां तो गली-गली, मोहल्ले मोहल्ले में छोटी बड़ी कमेटियां चल रही हैं. वास्तव में कमेटी कई सदस्यों का इन्वेस्टमेंट होता है जो 1 साल अथवा इससे ज्यादा समय का हो सकता है. बोली के बाद सदस्यों द्वारा भुगतान किया गया पैसा कमेटी संचालक के पास जमा होता है.
कमेटी संचालन का कोई वैधानिक आधार नहीं होता है और ना ही इसे आयकर विवरण में शामिल किया जाता है. यह पूरी तरह से गैर कानूनी तरीके से रुपया कमाने का खेल है. ऐसे में कमेटी के खेल में हमेशा कुछ ना कुछ गड़बड़ घोटाला होता ही रहता है. कभी-कभी कमेटी संचालक सदस्यों का पैसा लेकर फरार हो जाता है. या फिर कमेटी का सदस्य समय से काफी पहले कमेटी का पैसा उठाने के बाद नौ दो ग्यारह हो जाता है. ऐसे में कमेटी के संचालक को उसकी क्षति पूर्ति करनी पड़ती है. इस तरह की घटनाएं सिलीगुड़ी में अत्यधिक बढ़ गई है.
सिलीगुड़ी में गुप्त रूप से चलाई जा रही कमेटियों के बारे में किसी को कानो कान खबर नहीं होती. जो लोग कमेटी के खेल में शामिल होते हैं, उन्हें हर महीने कमेटी संचालक के पास पैसा जमा करना होता है. सदस्यों को एक निश्चित धनराशि का भुगतान कमेटी की बोली लगाने के बाद उसके घाटे के आधार पर विभाजित करके करना होता है. जो सदस्य सबसे आखिर में कमेटी उठाता है, उसे सबसे ज्यादा फायदा होता है. पर क्या उसे भुगतान मिलता भी है?
सिलीगुड़ी में अवैध तरीके से पैसा बनाने के खेल में बड़े-बड़े धन्ना सेठ और व्यापारी भी शामिल हैं. यहां करोड़ों का खेल चलता है. सूत्रों ने बताया कि कुछ प्रभावशाली और रसूखदार लोग एक सुनियोजित योजना बनाकर खास लोगों को कमेटी का मेंबर बनाते हैं. इसके लिए वह बड़े-बड़े आयोजन करते हैं. आयोजन में खास लोगों को बुलाया जाता है.उनसे मित्रता की जाती है और धीरे-धीरे उन्हें भरोसे में ले लिया जाता है. इसके बाद आयोजक का असली खेल शुरू होता है.
सिलीगुड़ी के खालपाड़ा, महावीर स्थान, हाकिमपाड़ा, आश्रमपाड़ा, पंजाबी पाड़ा, सालूगाड़ा, गुरुंग बस्ती, मल्लागुड़ी, सिलीगुड़ी जंक्शन, एनजेपी इलाका, विधान मार्केट इत्यादि सभी स्थानों पर कुछ प्रभावशाली लोगों के द्वारा कमेटियां चलाई जा रही हैं. अगर पिछले दो वर्षो की घटनाओं पर एक नजर डालें तो शहर में गुप्त रूप से चल रही लगभग हर दूसरी तीसरी कमेटी की गड़बड़ी और पैसे लेकर भाग जाने की घटनाएं सामने आती रही हैं. यहां कुछ साल पहले करोड़ों की कमेटी उड़ा ली गई थी.
कमेटी का वह सदस्य जो यह सोचकर सबसे आखिर में कमेटी उठाता है कि उसे काफी लाभ होगा और पूरा पैसा मिलेगा. पर ऐसा होता नहीं है. उसके सपने टूट जाते हैं. उसके साथ सबसे ज्यादा धोखा होता है. पता चलता है कि उसका पैसा कमेटी संचालक लेकर फरार हो गया. सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी में ऐसा बहुत कम देखा गया है, जब निवेशक को कमेटी संचालक द्वारा पूरे पैसे का भुगतान किया जाता हो. आमतौर पर कमेटी संचालक कमेटी का पैसा हड़प लेते हैं. जिसकी शिकायत पुलिस में भी नहीं की जा सकती है. क्योंकि यह खेल कोरे कागजों में ही चलता है.
कमेटी के खेल में लूट खसोट का धंधा सिलीगुड़ी में खूब चलता है. जो ज्यादा शक्तिशाली और रसूखदार होता है, उसी का कमेटी पर कब्जा हो जाता है. कमजोर लोग अपने पैसों से हाथ धो बैठते हैं.अगर आप इस तरह की ठगी और आर्थिक नुकसान से बचना चाहते हैं तो मोटा कमाने के चक्कर में अपनी मेहनत से कमाए गए धन को न गंवाए. इस पोस्ट के जरिए सिलीगुड़ी में कमेटी के खेल में निवेश करने वाले उन सभी सदस्यों को सावधान किया जाता है, जो कमेटियों के चंगुल में फंस गए हैं.
सिलीगुड़ी के बड़े-बड़े व्यापारियों के बीच करोड़ों की कमेटियां चलती हैं. बड़े पैमाने पर घोटाला भी होता है. अगर सिलीगुड़ी में कमेटियों में गड़बड़ घोटाले का इतिहास देखा जाए तो इसकी एक विस्तृत श्रृंखला है. एक व्यक्ति कमेटी के जरिए मालामाल बनने के लिए एक साथ सौ सौ कमेटियों का संचालन करता है. परंतु भुगतान कितने को मिलता है, यह कोई नहीं जानता. यह पूरा व्यवसाय साख और विश्वास पर चलता है. दूसरी तरफ विडंबना यह भी है कि यहां साख और विश्वास की हत्या भी खूब होती है. कमेटी संचालक और कमेटी डालने वाले दोनों ही फरार हो जाते हैं.
इस खेल में सबसे ज्यादा फायदा कमेटी आयोजक को होता है. क्योंकि कमेटी डालने के दूसरे माह में सदस्यों के द्वारा कोई बोली नहीं लगाई जाती है. सभी सदस्यों को बराबर बराबर राशि का भुगतान करना होता है .उदाहरण के लिए अगर डेढ़ लाख रुपए की कमेटी है और 15 सदस्य हैं तो प्रत्येक सदस्य को ₹10000 जमा करना होता है. यही कमेटी संचालक को फायदा होता है. उसे बिना बोली के डेढ़ लाख रुपए मिल जाते है. जबकि तीसरे महीने से कमेटी की बोली लगाई जाती है.
कमेटी का सदस्य घाटे पर बोली लगाता है. जो सबसे ज्यादा घाटे की बोली लगाता है, कमेटी उसी को दे दी जाती है. इसके बाद यह घाटा सभी सदस्यों में बट जाता है. जो कि कमेटी का प्रॉफिट माना जाता है. शुरुआत में घाटे की बोली ज्यादा होने पर सदस्यों को ज्यादा लाभ होता है. लेकिन जैसे-जैसे कमेटी उत्तरार्द्ध की ओर बढ़ने लगती है, सदस्यों को मुनाफा भी कम होता जाता है. इस तरह से जुआ और सट्टा के बाद सिलीगुड़ी में कमेटी का खेल हंसते खेलते परिवार को बर्बाद कर रहा है. क्या संबंधित विभाग इस पर ध्यान देगा और शहर में गुप्त रूप से चल रहे कमेटी के खेल और इसमें शामिल लोगों की धर पकड़ कर सकेगा?
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