December 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

छात्रों और अभिभावकों को लूट रहे सिलीगुड़ी के कुछ शैक्षिक संस्थान!

सिलीगुड़ी के छात्र राहुल ने एक कोचिंग इंस्टिट्यूट ज्वाइन किया. राहुल के पिता सिलीगुड़ी के एक रईस व्यक्ति हैं. कोचिंग इंस्टिट्यूट ने राहुल का दाखिला एक ऐसे स्कूल में करा दिया, जो उक्त कोचिंग इंस्टिट्यूट का डमी स्कूल था. राहुल से कहा गया कि उसे स्कूल जाने की जरूरत नहीं है. वह सिर्फ इंस्टिट्यूट में पढ़ाई करे. स्कूल से उसे डिग्री मिल जाएगी. राहुल ने यह बात अपने पिता को बताई तो उन्हें भी कोई एतराज नहीं हुआ. हालांकि इसके एवज में राहुल के पिता को एक मोटी रकम डोनेट करना पड़ा था. ऊपर से हर महीने की महंगी फीस अलग…

अगर आपके बच्चे सिलीगुड़ी में पढ़ते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना आपके हित में होगा. सबसे पहले तो बढ़िया स्कूल का चयन करें, जो बच्चों को पढ़ाई और अनुशासन की सुविधा उपलब्ध करा सकें. यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि सिलीगुड़ी में कुछ निजी स्कूल आजकल डमी स्कूल के रूप में कोचिंग इंस्टिट्यूट संस्कृति को फलने फूलने में सहयोग कर रहे हैं. हाल के दिनों मे यहां अनेक निजी शैक्षणिक संस्थान खुल गए हैं, जहां छात्रों और अभिभावकों को बड़े-बड़े ख्वाब दिखाए जाते हैं. यहीं अभिभावक धोखा खा जाते हैं. अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और करियर के लिए सब कुछ दांव पर लगा देते हैं.

आमतौर पर एक अभिभावक चाहता है कि उनका बच्चा जिस शैक्षणिक संस्थान या स्कूल से पढ़ाई करे, वही संस्थान बच्चों के भविष्य का पथ प्रदर्शन भी करे. इस तरह के दावे करने वाले शैक्षणिक संस्थान सिलीगुड़ी में एक से अधिक हैं. ऐसे संस्थानों में बच्चों की पढ़ाई के लिए अभिभावकों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. इसके अलावा महीने की फीस भी अत्यधिक होती है. पर अभिभावक निश्चिंत हो जाते हैं कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ उनका भविष्य भी सुनिश्चित हो सकेगा. पर सच्चाई यह है कि ऐसे स्कूलों में बच्चों का दाखिला तो आसानी से मिल जाता है, पर पढ़ाई यहां नहीं होती. पढ़ाई के लिए बच्चों को कोचिंग ज्वाइन करना पड़ता है.

आजकल कोचिंग का क्रेज बच्चों और अभिभावकों में देखा जा रहा है. माता-पिता भी जानते हैं कि स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. इसलिए वे अपने बच्चों को कोचिंग करवाते हैं. ऐसे संस्थान अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करते हैं. जब बच्चे ऐसे संस्थानों में जाते हैं तो उनके माता-पिता अथवा अभिभावकों को सब्ज बाग दिखाया जाता है.उन्हें समझाया जाता है कि उनके बच्चों का भविष्य उनके संस्थान में ही बेहतर हो सकता है. स्कूल से ही कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिले की सलाह दे दी जाती है. या फिर कोचिंग इंस्टिट्यूट वाले स्वयं ही स्कूल में बच्चों का दाखिला दिला देते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. मगर इस बात का पता ना तो छात्र को और ना ही अभिभावक को चलता है.

शिक्षा और करियर के नाम पर एक खेल खेला जाता है. कहने के लिए तो बड़े-बड़े स्कूल,परंतु इन स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. स्कूल का तो सिर्फ नाम होता है. जबकि असली खेल तो कोचिंग वाले करते हैं. बच्चे कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ते हैं जबकि उनकी हाजिरी स्कूल में लगती है वे स्कूल में कम ही जाते हैं. जबकि उनकी पढ़ाई कोचिंग में ही होती है. यह कोचिंग वाले बच्चों को बताते हैं कि स्कूल तो सिर्फ एक माध्यम है. पढ़ाई तो कोचिंग में ही होती है.

कोचिंग संस्थान और स्कूलों की आपस में मिली भगत होती है. जिन स्कूलों में बच्चों का दाखिला होता है, उन स्कूलों में बच्चों की हाजिरी बिना स्कूल में उपस्थित हुए ही लगा दी जाती है. इसके बदले में स्कूल वाले छात्रों और उनके परिजनों से मोटी रकम वसूल करते हैं. इसके अलावा कोचिंग संस्थान से भी उन्हें कमीशन मिलता है. यह कुछ खास स्कूल होते हैं, जिन्हें डमी स्कूल कहा जाता है. यानी कहने के लिए तो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं, पर वे पढ़ते तो कोचिंग में ही. स्कूल में सिर्फ उनकी हाजिरी लगती है. इसके अलावा स्कूल परीक्षा प्रमाण पत्र, ग्रेड और सर्टिफिकेट प्रदान करते हैं. सिलीगुड़ी में कुछ स्कूलों की पहचान कर भी ली गई है.

हालांकि सिलीगुड़ी में ही नहीं बल्कि ऐसे डमी स्कूल दिल्ली, एनसीआर और भारत के सभी स्थानों में मिल जाएंगे. सिलीगुड़ी के एक निजी शैक्षणिक संस्थान से नीट और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे दो छात्रों को उनके स्कूल ने नोएडा के एक स्कूल में दाखिले के लिए भेजा. यहां छात्रों का दाखिला आसानी से मिल गया. पर स्कूल की तरफ से उन्हें कहा गया कि वह कोचिंग इंस्टिट्यूट ज्वॉइन करें, जहां उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के टिप्स और कौशल सिखाए जाएंगे. फिर उसी स्कूल की सलाह पर छात्रों ने कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया है.

भारत सरकार शिक्षा विभाग, सीबीएसई व सभी शैक्षणिक इकाइयों ने शिक्षा और करियर के नाम पर छात्रों और अभिभावकों से लूट की शिकायत मिलने के बाद डमी स्कूलों की पहचान करनी शुरू कर दी है. शिक्षा विभाग ने सीबीएसई को ऐसे स्कूलों की पहचान करने और उनकी मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया है. दिल्ली, एनसीआर में सीबीएसई ने हाई कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए पहले ही 20 से अधिक स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है. इसके अलावा सीबीएसई ने स्कूलों को सख्त निर्देश दिया है कि स्कूल टाइम के दौरान कोचिंग इंस्टिट्यूट में छात्रों की उपस्थिति नहीं होनी चाहिए. बहरहाल देखना होगा कि भारत सरकार शिक्षा विभाग, सीबीएसई और कानून ऐसे डमी स्कूलों के खिलाफ क्या कदम उठाते हैं. आवश्यकता इस बात की है कि सिलीगुड़ी में चल रहे ऐसे डमी स्कूलों के बारे में छात्रों और अभिभावकों को जागरूक किया जाए.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *