सिलीगुड़ी और बंगाल में सिंडिकेट आम बोलचाल की एक भाषा है. और यह इतना चर्चित है कि बच्चे बच्चे की जुबान पर सिंडिकेट शब्द रहता है. यातायात से लेकर मकान, दुकान, प्रतिष्ठान सब जगह सिंडिकेट कार्य करता है. सिंडिकेट राज इतना शक्तिशाली है कि आप उसकी मर्जी के खिलाफ जा ही नहीं सकते. पुलिस भी आपकी मदद नहीं करेगी. इनकी पहुंच ऊपर तक है.
खुद सिलीगुड़ी में ही देख लीजिए. सेवक मोड, वेनस मोड, जलपाई मोड, नौकाघाट, मेडिकल मोड, सिलीगुड़ी जिला अस्पताल मोड इत्यादि सभी जगह सिंडिकेट से जुड़े लोगों का बोलबाला है. गाड़ी चालक यहां सिंडिकेट के इशारे पर ही कार्य करते हैं. मजाल है कि बाहर की कोई गाड़ी यहां से भाड़ा उठा ले. सिंडिकेट के लोग उसे ऐसा करने ही नहीं देंगे. इतना आतंक उनका चलता है. यह तो एक छोटा सा ट्रेलर है. अगर पूरे बंगाल, असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र की बात करें तो असम से लेकर दालकोला तक सिंडिकेट राज के गुर्गे आपका पीछा नहीं छोड़ेंगे. क्योंकि सिंडिकेट चलाने वाले लोग ही उन्हें बाकायदा वेतन देते हैं और इसीलिए ऐसे लोग उन गाड़ियों का पीछा करते हैं, जो सिंडिकेट से बाहर की होती हैं.
सिंडिकेट राज का संचालन पर्दे के पीछे से होता है. असम से लेकर बंगाल और बिहार में भी उनकी तूती बोलती है. ऐसी गाड़ियां जो सिंडिकेट से बाहर की होती हैं, उन्हें रास्ते में जगह-जगह परेशानी का सामना करना पड़ता है. आप सोचते होंगे कि आपकी गाड़ी में माल का चालान सही है, जीएसटी बिल भी सही है यानी पूरे कागजात ओके है. ऐसे में आपकी गाड़ी को रोका नहीं जाना चाहिए. परंतु इन सबके बावजूद भी आपकी गाड़ी को सिर्फ इसलिए रोका जाएगा, क्योंकि आप सिंडिकेट से बाहर के हैं.जब तक सिंडिकेट को आपके द्वारा पैसा नहीं पहुंचा दिया जाता, तब तक लाख कागजात सही रहे, जगह-जगह रास्ते में आपकी गाड़ी को डिस्टर्ब किया जाता रहेगा.
ताज्जुब की बात की बात तो यह है कि कस्टम विभाग के अधिकारी भी कुछ नहीं करते. सिंडिकेट राज का उन पर भी दबाव रहता है. इतना ही नहीं कुछ भ्रष्ट कस्टम अधिकारी ट्रांसपोर्टरों को सिंडिकेट से मिलकर चलने की सलाह भी देते हैं. पूर्व की घटनाएं कुछ इसी ओर इशारा करती हैं. हाल ही में कस्टम विभाग के कुछ अधिकारियों ने ऐसे ट्रकों को जप्त किया, जिन पर कोयला, सुपारी, स्क्रैप, पान मसाला आदि लदा था और पूरे कागजात ओके भी थे. मोतिहारी में दो ट्रकों को रोका गया. मुजफ्फरपुर में एक ट्रक को रोका गया. बताया जा रहा है कि इन सभी ट्रकों के कागजात ओके थे. हालांकि बाद में कस्टम विभाग के द्वारा ट्रकों को रिलीज भी कर दिया गया.
सिंडिकेट राज के हाथ इतने लंबे हैं कि ईमानदार कस्टम अधिकारी की तुरंत बदली हो जाती है. हालांकि ईमानदार कस्टम अधिकारियों से बचने का भी इनके पास पुख्ता इंतजाम होते हैं. जैसे अगर कोई मालवाहक ट्रक किसी टोल टैक्स पर रुकता है और उस वाहन का पीछा कोई ईमानदार कस्टम अधिकारी करता है तो टोल टैक्स पर खड़े सिंडिकेट के गुर्गे उस वाहन को फास्ट टैग नहीं बल्कि मैन्युअल से पास करा देते हैं. ऐसे में कस्टम अधिकारी को कुछ पता ही नहीं चलता. कौन सा ट्रक सिंडिकेट के बाहर का है, यह पता करने का काम टोल टैक्स पर खड़े सिंडिकेट के लोग करते हैं. इसके अलावा कौन से वाहन को पास कराना होता है, यह भी सिंडिकेट के लोग ही तय करते हैं. पहरेदारी दे रहे लोगों को मोबाइल पर मैसेज प्राप्त होता है. उसके बाद ही ऐसे ट्रकों को पास कराया जाता है.
सूत्र बताते हैं कि भूटान, धुपगुडी, फालाकाटा और मेघालय, असम, नागालैंड आदि राज्यों से आने वाले वाहन जो उत्तर बंगाल से होकर बिहार, यूपी, दिल्ली ,हरियाणा ,पंजाब आदि जाते हैं.ऐसे वाहनों को टारगेट किया जाता है. यही कारण है कि इन क्षेत्रों के दर्जनों ट्रांसपोर्टर संबंधित विभाग और सिंडिकेट को एक निश्चित रकम पहुंचा देते हैं. इसके बाद ही सिंडिकेट के संचालक व्हाट्सएप के जरिए अपने लोगों तक ट्रक का नंबर, माल आदि का संपूर्ण विवरण पहुंचाते हैं. टोल टैक्स पर खड़े सिंडिकेट के लोग समझ जाते हैं और ऐसे ट्रकों को आसानी से जाने दिया जाता है.
आसाम आदि राज्यों से सुपारी, कोयला, स्क्रैप ,पान मसाला आदि ट्रक में भरकर पश्चिम राज्यों में भेजा जाता है.दूर के व्यापारी असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के ट्रांसपोर्टरों से संपर्क करते हैं. यह ट्रांसपोर्टर सिंडिकेट को भुगतान जोड़कर ही व्यापारियों से भाड़ा तय करते हैं. अगर कोई ईमानदार व्यापारी भाड़ा देने में नानुकुर करता है तो उसका माल बीच में ही लटक जाता है. हाल ही में 21 नवंबर 2023 को यूपी 84 टी 5633 नंबर के एक ट्रक को सिंडिकेट के इशारे पर जप्त कर लिया गया था. हालांकि उक्त ट्रक के सारे कागजात और बिल्टी पेपर भी सही थे. बाद में कस्टम ने उस ट्रक को जाने दिया था.
इन सभी घटनाओं और अन्य तथ्यों से पता चलता है कि सिलीगुड़ी, बंगाल, असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सिंडिकेट राज चलता है. सिंडिकेट राज की मर्जी के बगैर यहां ट्रांसपोर्टरों की चलती नहीं है. अगर आपको इन क्षेत्रों से माल आयात करना है तो सिंडिकेट से मिलकर ही चलना होगा. अन्यथा लेने के देने भी पड़ सकते हैं. व्यापारी को माल कब मिलेगा यह भी पता नहीं.