सिलीगुड़ी की फिजा में एक तरफ बसंत पंचमी की खुशबू तैर रही थी, तो दूसरी तरफ सिलीगुड़ी में इस बात के भी चर्चे हो रहे थे कि दो विपरीत ध्रुव वाली पार्टियों के नेता एक दूसरे से हाथ मिला रहे थे. अवसर था सरस्वती पूजा का. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया था. क्लब की ओर से पूजा में शामिल होने के लिए सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देब और दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट को भी आमंत्रित किया गया था.
जब भाजपा सांसद राजू बिष्ट क्लब में पहुंचे तो उस समय सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव बाहर ही खड़े थे. राजू बिष्ट की नजर गौतम देब पर पड़ी तो वह मुस्कुराते हुए उनकी तरफ बढ़े और पहले एक दूसरे के गले लगे. फिर हाथ मिलाया. गौतम देब भी शायद इसी मौके का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने भी उतनी ही गर्मजोशी से मुस्कुराते हुए उनका अभिवादन किया. दोनों में आपस में कुछ बात हुई एक दूसरे का हाल जाना इसके बाद राजू बिष्ट अंदर प्रवेश कर गए. बात तो सिर्फ इतनी सी थी. लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसके मायने निकाल रहे हैं.
हालांकि गौतम देब ने इस मुलाकात पर कोई विशेष प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है. इसे एक स्वाभाविक मुलाकात कहा है. उन्होंने कहा कि इस तरह के मौके आते रहते हैं. अतः इसमें कोई विशेष बात नहीं है. परंतु राजू बिष्ट के बयान के बाद इस पर चर्चा शुरू हो गई है. राजू बिष्ट ने अपने बयान में बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हुए दार्शनिकता और भारतीय संस्कृति की बात कही है. यह सब तो ठीक है लेकिन उसके बाद उन्होंने अपने बयान में गौतम देब की तारीफ भी की है.
राजू बिष्ट ने कहा है कि गौतम देब ने सिलीगुड़ी की जनता के लिए काम किया है. वह अनुभवी नेता हैं और उन्होंने एक लंबे समय तक राजनीति की है. मैं उनसे बात करता रहता हूं. अपने से पुराने नेताओं का आशीर्वाद लेता रहता हूं. मैं पापिया घोष से भी मिलता रहता हूं तथा उन्हें अपने कार्यक्रमों में आमंत्रित भी करता रहता हूं. मैं अशोक भट्टाचार्य से भी मिलता रहता हूं…
लोग अचंभित भी हैं. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस का आपस में कोई मेल नहीं है. दोनों ही पार्टियां अलग-अलग विचारधारा को प्रदर्शित करती हैं. और उनके नेता भी शायद ही एक दूसरे को देखना पसंद करते हैं. वर्तमान में दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से भाजपा किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी, यह अभी तय नहीं हुआ है. लेकिन चर्चा तो यह भी है कि राजू बिष्ट को इस बार टिकट बीजेपी नहीं देगी. कुछ समय पहले तक दार्जिलिंग संसदीय सीट से हर्षवर्धन श्रृंगला को भाजपा का उम्मीदवार बनाने की बात हो रही थी. वर्तमान में सब ठंडा हो चुका है.
लोग कयास लगा रहे हैं कि कदाचित राजू बिष्ट भविष्य की आशंका से ग्रस्त हैं. इसलिए वह स्वयं को सुरक्षित करने का मार्ग तलाश रहे हैं. एक समय यही राजू बिष्ट अपने बयानों से तृणमूल कांग्रेस पर हमलावर हुआ करते थे और उसके नेताओं पर तंज कसा करते थे. उन्होंने कई बार सिलीगुड़ी नगर निगम और मेयर गौतम देब की भी आलोचना की थी. वर्तमान में राजू बिष्ट कम से कम इस तरह से हमलावर नहीं हो रहे हैं. हालांकि उन्होंने कहा है कि हम भले ही अलग-अलग दलों से हैं, परंतु हम एक भारतीय हैं. हम दार्जिलिंग के निवासी हैं. हम एक दूसरे से मिल ही सकते हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में भले ही हम एक दूसरे के विरोधी हो सकते हैं. लेकिन उससे पहले हम इंसान है. बहरहाल गौतम देब और राजू बिष्ट के हाथ मिलाने से अफवाहों का बाजार गर्म है. दोनों के गले लगने, हाथ मिलाने और आपस में बातचीत करने का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
यह ठीक भी है कि राजनीति में लोग अपने-अपने दलों का प्रचार प्रसार करने के लिए अपनी रणनीति बनाते हैं. एक दूसरे पर हमला भी करते हैं. पर यह भी सही है कि विरोधी दलों के नेता जब मिलते हैं तो एक दूसरे का अभिवादन करते हैं. हाथ मिलाते हैं और आपस में चर्चा भी करते हैं. यही लोकतंत्र की खूबसूरती है. सिलीगुड़ी में गौतम देब और पूर्व मेयर अशोक भट्टाचार्य भी आपस में मिलते रहे हैं. और एक दूसरे का हाल-चाल भी लेते रहे हैं.