सिलीगुड़ी का नौका घाट हाल के दिनों में विकसित नजर आ रहा है. कुछ समय पहले नौकाघाट में पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा सड़क निर्माण का कार्य कराया गया था. यहां पहले की तुलना में सड़क भी ज्यादा चौड़ी हो गई है. इसके अलावा नयी पिच बिछाने के बाद गाडियां तीव्र गति से गुजरती हैं. नौकाघाट से एक रास्ता मिनी सचिवालय, फुलबारी होते हुए जलपाईगुड़ी, कूचबिहार की ओर चला जाता है. जबकि यहीं से मेडिकल की ओर भी नौकाघाट ब्रिज पार करके जाना होता है. जलपाईगुड़ी, कूचबिहार अथवा मेडिकल से होकर आने वाली गाड़ियां नौकाघाट होते हुए ही सिलीगुड़ी में प्रवेश करती हैं.
दिन में नौकाघाट में हमेशा यात्रियों और वाहनों की चहल पहल रहती है. लेकिन देर रात्रि नौका घाट सुनसान और वीरान नजर आने लगता है. खासकर रात्रि 10:00 बजे के बाद नौका घाट से होकर जाने वाली गाड़ियां तीव्र गति से गुजरती हैं. रात्रि के समय ट्रैफिक पोस्टों पर ट्रैफिक के कर्मचारी अथवा पुलिस के लोग नहीं होते. ऐसे में वाहन चालक तीव्र गति से गाड़ियां भगाते हैं. जब आप जलपाई मोड अथवा सिलीगुड़ी से नौकाघाट की ओर जाते हैं तो नौका घाट मोड के पास ही असमान तरीके से सड़क निर्माण किया गया है. जलपाई मोड, शक्तिगढ़ के रास्ते जैसे ही आप नौकाघाट की ओर जाते हैं, नौकाघाट मोड पर ही सड़क का एक हिस्सा पतला हो जाता है . निर्माण के दोनों खंडों के बीच एक गैप नजर आता है और इसके बाद ही दूसरा हिस्सा शुरू होता है, जो पहले वाले हिस्से की तुलना में ज्यादा नीचे है अर्थात यहां सड़क एक समान नहीं है और ऊपर नीचे हो गई है.
पीडब्ल्यूडी के लोगों ने कदाचित इस ओर ध्यान नहीं दिया है कि सिलीगुड़ी से तीव्र गति से आने वाली गाड़ियां यहां दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकती हैं. अगर यहां गाड़ियों के चालक ब्रेक ना लगाए तो गाड़ियों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि एक छोड़ के बाद सड़क एकदम से नीचे हो जाती है जिसके कारण वाहन चालकों को ब्रेक लगाते हुए गाड़ियों को पार कराना पड़ता है. सबसे बड़े खतरे की बात तो यह है कि यहां गैप की स्थिति ऐसी है कि दूर से यह नजर नहीं आती. अगर कोई नया वाहन चालक हो तो उसे पता ही नहीं चलेगा. तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण उसकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है. क्योंकि यहां ना तो किसी तरह का साइन बोर्ड लगा है और ना ही यहां देख-देख करने वाला कोई है. जलपाई मोड से होकर नौका घाट की ओर जाने वाली गाड़ियां अच्छी सड़क का लाभ उठाते हुए तेज गति से गुजरती है. नए वाहन चालकों को लाइनर का पता नहीं होने से उनकी गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने का जोखिम बढ़ जाता है.
खासकर यह जोखिम रात्रि के समय ज्यादा हो जाता है, जब सिलीगुड़ी से नौकाघाट के रास्ते बाहर जाने वाली गाड़ियां तीव्र गति से गुजरती हैं. अगर इस एंडिंग पॉइंट पर आकर वाहन चालक ब्रेक ना लगाए तो गाड़ियों के पलटने का खतरा बढ़ जाता है. कई बार इस स्थिति का सामना वाहन चालकों को करना भी पड़ा है. वाहन चालकों ने बताया कि जब उन्हें इसका ध्यान नहीं रहता है तो अचानक से ब्रेक लगाना पड़ता है. अन्यथा वाहन के पलटते देर नहीं लगेगी.यहां तक कि स्कूटर सवार, टोटो चालक भी इस बात की शिकायत करते हैं कि कम से कम पीडब्ल्यूडी विभाग को इसका ध्यान रखना चाहिए और असमान सड़क की बनावट को दूर कर लेना चाहिए. ऊंची नीची सड़क पर वाहनों के पलटने का खतरा बढ जाता है.
हालांकि पीडब्ल्यूडी विभाग के सूत्रों ने बताया कि नौकाघाट मोड पर अभी और निर्माण कार्य किया जाना है.जब फिनिशिंग होगा तो इस समस्या को दूर कर लिया जाएगा. पिछले लगभग 1 महीने से यह समस्या बनी हुई है. दो खंडों के संगम स्थल पर सड़क आसमान होने से वाहन चालकों को बड़ा संभल कर चलना पड़ता है और गाड़ी को नियंत्रित गति से भगाना पड़ता है. परंतु फर्ज करें कि अगर कोई नया वाहन चालक हो तब क्या होगा.क्योंकि यहां सड़क की असमानता दूर से नजर नहीं आती है.जो भी हो पीडब्ल्यूडी विभाग को जल्द से जल्द इस समस्या का निराकरण कर लेना जाना चाहिए. देर होने पर कुछ भी हो सकता है. बेहतर होगा कि कोई अनहोनी होने से पहले ही कदम उठा लिया जाता.
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