बहुत जल्द सिक्किम, दार्जिलिंग, कालिमपोंग की जीवन रेखा कहा जाने वाले NH10 के दिन फिरने जा रहे हैं. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो NH 10 यातायात के लिए कभी बंद नहीं होगा और ना ही तीस्ता के बरसाती पानी का तूफानी कलरव उसे नुकसान पहुंचा पाएगा और ना ही भूस्खलन सड़क को क्षतिग्रस्त कर सकेगा. एक नए रूप में NH 10 अवतरित नजर आ सकता है.
सिलीगुड़ी से सिक्किम जाना हो, सिक्किम से कालिमपोंग, दार्जिलिंग कहीं भी जाना हो या डूअर्स इलाके में जाना हो, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 इन इलाकों के लिए जीवन रेखा की तरह है. लेकिन वर्तमान में इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवागमन बंद है. यह सड़क भूस्खलन और बारिश के थपेड़ों में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है. जिसके कारण पहाड़ की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ रहा है. पर्यटन से लेकर व्यवसाय सभी तरह का नुकसान हो रहा है. यही कारण है कि जीवन रेखा रूपी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 को बचाने की पहाड़ में मुहिम तेज हो गई है.
दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू विष्ट व सिक्किम के एकमात्र सांसद इंद्र ह॔ग सुब्बा ने अपना प्रयास तेज कर दिया है. इसके अलावा अन्य क्षेत्रीय संगठन भी इस मुहिम में कूद पड़े हैं. हिमालयन हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म डेवलपमेंट नेटवर्क,जो पर्यटन कारोबारियों का एक संगठन है, ने आंदोलन का रास्ता अपना लिया है. संगठन ने केंद्र सरकार और सिक्किम सरकार से एन एच 10 पर विशेषज्ञों से सर्वे कराने की मांग की है. संगठन का मानना है कि सिक्किम में आई आपदा के बाद तीस्ता नदी के मार्ग में काफी बदलाव आया है, जिसके कारण राष्ट्रीय राजमार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहा है. संगठन ने एन एच 10 के स्थाई समाधान के लिए पहले विशेषज्ञों से सर्वेक्षण कराने की मांग की है. इसके अलावा स्थानीय लोग और प्रशासनिक इकाई भी जैसे अब बहुत हो चुका, आर या पार की स्थिति में आ चुके हैं. इसके पीछे कारण भी है. अक्टूबर 2023 में तीस्ता नदी में आई ऐतिहासिक बाढ ने इस सड़क को व्यापक क्षति पहुंचाई थी.
उसके बाद से NH10 की हालत खस्ता हो चुकी है. जब-जब बरसात और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं, यह सड़क इस दबाव को सहन करने की स्थिति में नहीं होती है. परिणाम स्वरूप जगह-जगह सड़क में नुकसान, कभी सड़क के आधार को नुकसान तो कभी तीस्ता नदी की तेज जलधारा में सड़क का कटाव, जैसी स्थिति आए दिन बन जाती है. इसके फल स्वरुप यह महत्वपूर्ण सड़क परिवहन के लिए उपयुक्त नहीं रह पाती है. राष्ट्रीय सड़क मार्ग बंद हो जाने से आम से लेकर खास तक सभी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब इस महत्वपूर्ण सड़क को जीवन दान देने और स्थाई तौर पर परिवहन के लिए अनुकूल बनाने की मांग जोर पकड़ रही है.
सिक्किम में रानीपुल से लेकर रंगपो खंड का रखरखाव एन एच आईडीसीएल करती है. जबकि रंगपो से लेकर सेवक खंड तक सड़क का रख रखाव पश्चिम बंगाल लोक निर्माण विभाग के अधीन आता है. NH10 का जो भाग एन एच आईडीसीएल के नियंत्रण में है, वहां सड़क की हालत काफी अच्छी है. लेकिन जो भाग पश्चिम बंगाल लोक निर्माण विभाग के अधीन है, वहां NH10 की हालत बदतर है. आरोप है कि काम चलाऊ पुनर्निर्माण के कारण भूस्खलन और बरसात की मार सड़क झेल नहीं पाती, जिसके कारण इसके पुनर्निर्माण के लिए सड़क पर यातायात को बंद कर दिया जाता है. आरोप यह भी है कि पश्चिम बंगाल लोक निर्माण विभाग अपने कार्यों में कोताही बरत रहा है.
अब चाहे दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू विष्ट हो अथवा सिक्किम के मुख्यमंत्री से लेकर सांसद सुब्बा, चाहते हैं कि पूरा NH 10 का रखरखाव पश्चिम बंगाल लोक निर्माण विभाग से लेकर एनएचआईडीसीएल को सौंप दिया जाए. एन एच आईडीसीएल एक केंद्रीय एजेंसी है. इसके द्वारा किए जाने वाले काम की गुणवत्ता पर भरोसा किया जा सकता है. सोमवार को दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 को बचाने की अपील की. राजू बिष्ट ने कहा कि NH10 की समय पर मरम्मत ना होने से स्थानीय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार, वाणिज्य और व्यवसाय को भी नुकसान पहुंचता है.
राजू विष्ट ने नितिन गडकरी से अनुरोध किया कि एन एच 10 का पूरा भाग एन एच आई डी सी एल को सौंप दिया जाए. नितिन गडकरी ने तुरंत अपने मंत्रालय के अधिकारियों को NH10 को पश्चिम बंगाल पीडब्ल्यूडी से एनएचआईडीसीएल को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दे दिया है. राजू बिष्ट की पहल का सिक्किम के सांसद सुब्बा ने भी स्वागत किया है. आपको बताते चलें कि हाल ही में सिक्किम के मुख्यमंत्री गोले ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ नई दिल्ली में अपनी बैठकों के दौरान NH 10 को एन एचआईडीसीएल को सौंपने की मांग उठाई थी. यह केंद्रीय मंत्री पर लगातार दबाव का परिणाम बताया जा रहा है.
अगर एनएचआईडीसीएल इस महत्वपूर्ण पहाड़ की जीवन रेखा को अपने नियंत्रण में कर लेती है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि एन एच 10 की सेवा काफी बेहतर हो जाएगी और इस तरह से बारिश, तूफान अथवा भूस्खलन के समय गिरने वाली चट्टानों को सड़क झेलने की स्थिति में होगी. कुछ देर के लिए भले ही यातायात प्रभावित हो जाए, परंतु इस तरह से NH 10 को नया जीवनदान मिलेगा और यह महत्वपूर्ण मार्ग आवागमन के लिए आए दिन बंद नहीं करना पड़ सकता है. तीस्ता नदी के किनारे रहने वाले लोगों को भी सुरक्षा का इतना बड़ा खतरा नहीं रहेगा.
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