December 17, 2025
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पहाड़ में 313 शिक्षकों की नौकरी रद्द करने के कोर्ट के फैसले से राजनीति गरमाई!

The court's decision to cancel the jobs of 313 teachers in the hills has sparked political controversy!

राज्य सरकार और जीटीए पर किसी भी विभाग में भर्ती प्रक्रिया पर पहले से ही भ्रष्टाचार के सवाल उठते रहे हैं. जबकि जानकार मानते हैं कि समतल से लेकर पहाड़ तक शिक्षा विभाग में रिश्वत का खेल चलता रहता है. जिससे योग्य और गरीब उम्मीदवार नौकरी से वंचित रह जाते हैं. जबकि पैसे वाले अयोग्य व्यक्ति नौकरी पा लेते हैं.

राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले मामले की गूंज काफी समय तक सुनाई पड़ती रही, जब कोलकाता हाई कोर्ट ने 26000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया आपको गैर कानूनी मानते हुए उठाते हुए उन्हें नौकरी से हटाने का फैसला सुनाया था. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया था.

अब कोलकाता हाई कोर्ट ने दार्जिलिंग पहाड़ और GTA के अधीन संचालित विद्यालयों में कार्यरत 313 शिक्षकों की नौकरी रद्द करने का फैसला करके एक और धमाका कर दिया है. जस्टिस विश्वजीत बोस ने GTA संचालित विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को गैरकानूनी मानते हुए 313 शिक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया है. इसके साथ ही पहाड़ की राजनीति भी गरमा गई है.

दार्जिलिंग के भाजपा सांसद और प्रवक्ता राजू बिष्ट ने हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए नौकरी से निकाले जाने वाले शिक्षकों के परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है और कहा है कि इन शिक्षकों के साथ निश्चित रूप से उनका परिवार भी जुड़ा है, जो हाई कोर्ट के फैसले के बाद आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी दुखी होगा. मुझे उनके प्रति सहानुभूति है. लेकिन मैं किसी भी तरह गैर कानूनी नियुक्तियों का समर्थन नहीं कर सकता.

राजू बिष्ट ने कहा है कि टीएमसी की सरकार में भ्रष्टाचार और कटमनी के कारण ही शिक्षा व्यवस्था पंगु हो गई है. टीएमसी के नेताओं ने बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को बदहाल कर दिया है. रिश्वत लेकर अयोग्य उम्मीदवारों की भर्ती की जाती है. जबकि योग्य तथा रिश्वत नहीं देने वाले लोगों को नौकरी नहीं मिलती है. उन्होंने पहाड़, समतल और Dooars के युवाओं से अपील की है कि वे किसी भी तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दें और अपनी क्षमता के आधार पर नौकरी के लिए प्रयास करें. उन्होंने कहा कि सत्य की सदा विजय होती है. इसलिए भ्रष्टाचार का कतई समर्थन न करें.

दूसरी तरफ जीटीए के कार्यकारी अध्यक्ष अनित थापा उन 313 शिक्षकों के समर्थन में सामने आए हैं, जिनकी कोलकाता हाई कोर्ट ने नौकरी रद्द कर दी है. उन्होंने कहा है कि पिछले 25 सालों से जीटीए में स्पष्ट शिक्षक नियुक्ति नियमावली का अभाव रहा है. 2003 से ही एसएससी के बिना यहां नियुक्तियां होती रही है. ऐसे में शिक्षकों का कोई दोष नहीं है. हमारे शिक्षक आदरणीय हैं. समाज के पथ प्रदर्शक हैं.

इन्हीं शिक्षकों से पढ़े लिखे लोग पहाड़ का गौरव बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि चाहे जो भी हो जाए, मैं उनके साथ खड़ा हूं और अगर आवश्यकता हुई तो हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में जाएंगे या फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. लेकिन हर कीमत पर शिक्षकों का समर्थन और साथ देंगे.

बता दें कि आज कोलकाता हाई कोर्ट ने पार्थ चटर्जी, विनय तमांग और टीएमसी नेता भट्टाचार्य के खिलाफ दर्ज शिकायत की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है. अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच करके योग्य तथा अयोग्य उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची जारी की जाए. अदालत ने शिकायत को सही पाया और कहां यह भी कहा है कि नियम और कानून को ताक पर रखकर शिक्षकों की भर्ती की गई थी. इसलिए GTA के अधीन संचालित विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया की कानूनी और पारदर्शी तरीके से समीक्षा की जानी चाहिए.

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