सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों के हजारों मजदूर सिर पर हाथ रख कर बैठ गए हैं. एक तो मौसम ने उनके पेट पर लात मार दी है, तो दूसरी ओर अदालत ने उनकी परेशानी और चिंता को और बढ़ा दिया है. अब वे करें तो क्या करें! दरअसल 1 जुलाई से बालासन समेत सभी नदियों से बालू पत्थर उत्खनन पर रोक लगा दी गई है. अब तक बालासन और कुछेक नदियों में वैध और अवैध तरीके से बालू पत्थर उत्खनन का काम चल रहा था.अब उस पर ताला लग चुका है.
वैसे भी सिलीगुड़ी और सभी क्षेत्रों में हो रही बरसात से नदियों के जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. पड़ोसी देशों, पहाड़ और सिक्किम के विभिन्न इलाकों में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण बालासन, महानंदा और तीस्ता नदियां बल खा रही हैं. अब अगर बरसात हुई तो बाढ़ आते देर नहीं लगेगी. इसका बालू पत्थर उत्खनन के काम पर असर तो पड़ा था. पर एकदम से बंद नहीं हुआ था.लेकिन अब इस पर अगले आदेश तक के लिए सख्ती से रोक लगा दी गई है. परिवेश अदालत ने बालासन समेत सभी नदियों से बालू पत्थर उत्खनन का काम बंद करने का फरमान सुना दिया है.
बालासन नदी के दोनों किनारों पर बसे हजारों लोगों की रोजी-रोटी नदी से निकाले जाने वाले बालू पत्थर से होने वाली कमाई पर टिकी रहती है. मानसून के समय बालासन नदी में बाढ़ आ जाती है. इससे यहां निवास करने वाले लोगों को दूसरी जगह आश्रय लेना पड़ता है. साथ ही बालू पत्थर के काम पर भी ग्रहण लग जाता है. हर साल लगभग इसी समय एनजीटी नदियों से बालू पत्थर के संग्रह पर रोक लगा देती है. एनजीटी का आदेश इसी का एक भाग है.
नदियों से बालू पत्थर उत्खनन के काम में लगे इलाके के कई मजदूरों ने बताया कि एक तो पहले से ही उनके कामकाज पर ग्रहण लगा है. दरअसल कुछ दिन पहले ही पाथर घटा में तीन किशोरों की मौत के बाद नदी से बालू और पत्थर उत्खनन का काम बंद कर दिया गया था.
अब इन मजदूरों के पास नोटिस आ चुका है. शनिवार यानी 1 जुलाई से उनका काम अगले आदेश तक बंद रहेगा. ऊपर से बरसात और एनजीटी के आदेश ने उनकी माली हालत को और गंभीर बना दिया है. बीबी बच्चों के साथ अपनी छोटी सी कमाई से गुजर बसर करने वाले मजदूर ऐसी स्थिति में होते हैं कि वह कोई अन्य काम नहीं कर सकते. उनके पास पूंजी भी नहीं होती कि वह कोई और धंधा करके घर की जरूरतें पूरी कर सके.
फिलहाल मजदूरों के सवाल अनेक हैं जबकि जवाब नदारद है.प्रशासन को तो अपना काम करना है.कोर्ट के आदेश का पालन हो सके, यह सुनिश्चित करना है. माटीगाड़ा के बीडीओ श्रीनिवास विश्वास के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है कि आगे मजदूर क्या करेंगे. उन्हें बस इस बात की चिंता है कि बालासन और दूसरी नदियों से बालू पत्थर उत्खनन के काम पर रोक लगे. इसके लिए वह किसी भी हद तक सख्ती बढ़ा सकते हैं.