जब से उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट कॉरिडोर में शामिल करने की पहल सुर्खियों में आई है, तभी से ही इस पर राजनीति शुरू हो चुकी है. अब पहाड़ में भी छोटे दलों के द्वारा इस पर राजनीति शुरू कर दी गई है. निशाने पर हैं भाजपा सांसद राजू बिष्ट, जो अपने एक बयान में कह चुके हैं कि पूर्वोत्तर भारत की तरह उत्तर बंगाल के लिए भी बजट में अलग आर्थिक पैकेज की आवश्यकता है. शुरुआत केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने की थी. उसके बाद इस पर लगातार प्रतिक्रिया आने लगी है.
एक तरफ तो तृणमूल कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है तो दूसरी तरफ पहाड़ में भाजपा का समर्थन करने वाले कुछ क्षेत्रीय संगठन भी भाजपा की इस मांग की मुखालफत कर रहे हैं. दरअसल उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि अगर केंद्र सरकार ने ऐसा कर दिया तो गोरखालैंड का मुद्दा हमेशा के लिए खत्म हो सकता है. यही कारण है कि पहाड़ में भाजपा के सहयोगी दल जीएनएलएफ नेता मन घीसिंग ने भी परोक्ष रूप से बीजेपी और राजू बिष्ट पर निशाना साधा है.
पहाड़ के गोरखाओं के शहीद दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मन घीसिंग ने कहा कि बेहतर होगा कि राजू बिष्ट इधर-उधर की बातें ना करके उन मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करें, जिन्हें पूरा करने के लिए पहाड़ ने उन्हें चुना है. राजू बिष्ट को नहीं भूलना चाहिए कि इस बार पहाड़ उन्हें जीताने के मूड में नहीं था. फिर भी उन्हें एक मौका दिया गया. राजू बिष्ट को अपनी जिम्मेदारी का पूरा ज्ञान है. वह उसे पूरा करने के लिए ही दिल्ली पर दबाव बनाएं और पहाड़ को खुशखबरी दें.
सुकांत मजूमदार द्वारा पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात और पूर्वोत्तर विकास परिषद के अंतर्गत उत्तर बंगाल को शामिल करने की मांग को पहाड़ ने स्वीकार नहीं किया है और ना ही भाजपा के राज्यसभा सांसद अनंत महाराज ने इसे उचित ठहराया है.अनंत महाराज पृथक कामतापुर राज्य की मांग शुरू से ही करते आ रहे हैं. जबकि दार्जिलिंग पहाड़ पृथक गोरखालैंड की मांग कर रहा है.हालांकि भाजपा ने पृथक गोरखालैंड की मांग को अभी नहीं माना है. पर पहाड़ में सात जनजाति गोष्टी का स्थाई राजनीतिक समाधान तथा दूसरे मुद्दों को पूरा करने की बात भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में दोहरायी है. स्वयं राजू बिष्ट ने भी चुनाव से पहले पहाड़ के लोगों को भरोसा दिया था कि चुनाव के बाद पहाड़ को खुशखबरी देंगे.
मन घीसिंग आज राजू बिष्ट को उनका वायदा याद दिला रहे थे. उन्होंने कहा कि 5 अप्रैल 2025 तक का समय राजू बिष्ट को दे रहे हैं.इस दौरान वे अपना वादा पूरा करें. भारत के गोरखाओं को न्याय दिलाने के लिए वे केंद्र सरकार पर दबाव डालें. दार्जिलिंग में रहने से कुछ नहीं होगा. उन्हें दिल्ली में ही रहना जरूरी है. जब दिल्ली से खुशखबरी मिलेगी तो पहाड़ भी उन पर गर्व करेगा. उन्होंने कहा कि मैं हाथ जोड़कर केंद्र सरकार और दार्जिलिंग के सांसद राजू विष्ट से निवेदन करता हूं कि वह अपनी जिम्मेदारियों का पालन करें. इधर-उधर की बात करने से कोई फायदा नहीं होगा.
आपको बता दें कि 5 अप्रैल को गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट की स्थापना हुई थी. इसी दिन सुभाष घीसिंग ने गोरखालैंड का नारा दिया था. यही कारण है कि मन घीसिंग ने राजू बिष्ट को भी अपने वादे पूरे करने का यही समय दिया है. अगर इस दौरान राजू विष्ट अपना वादा पूरा करने में असमर्थ रहे तो उनकी पार्टी दूसरे दलों को साथ लेकर और पहाड़ के गोरखाओं को एकजुट करने के लिए जुलूस और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेगी. उन्होंने कहा कि अपने कार्यक्रमों के जरिए गोरखाओं के स्वाभिमान को जगाया जाएगा.
कुछ दिन पहले जीटीए के अध्यक्ष अनित थापा ने भी भाजपा सांसद राजू बिष्ट को अपना वादा याद दिलाया था. उन्होंने भी संकेत दिया था कि अगर राजू विष्ट और भाजपा अपना संकल्प पूरा नहीं करते तो पहाड़ के गोरखा भी चुप नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा था कि इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा. दार्जिलिंग की जनता को न्याय चाहिए.
शहीदों के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मन घीसिंग ने पहाड़ की समस्याओं को लेकर स्थानीय प्रशासन को भी कोसा. आखिर में मन घीसिंग ने पहाड़ के सभी क्षेत्रीय दलों को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और मतभेदों को भूलकर एक मंच पर आने की अपील की. उन्होंने कहा कि गोरखाओं के मुद्दे पर सभी को एकजुट होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सभी दल अपने-अपने झंडे भूलकर काला झंडा उठाएं ताकि यह संदेश जाए कि पहाड़ केंद्र से संतुष्ट नहीं है और गोरखाओं को न्याय चाहिए. अब देखना होगा कि राजू बिष्ट और भाजपा नेताओं की इस पर क्या प्रतिक्रिया सामने आती है!
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