भविष्य में आप बंगाल सफारी घूमने जाते हैं और त्रिपुरा से लाए गए शेर और शेरनी को देखना चाहेंगे तो अब उन्हें अकबर और सीता नहीं कह सकते.अगर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने सहमति जताई तो अगली बार में शेर और शेरनी का नाम सूरज और तान्या हो जाएगा. वे इसी नाम से जाने जाएंगे. हालांकि यह सब केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण पर निर्भर करता है…
आपको याद होगा नए साल के शुरू में त्रिपुरा के एक चिड़ियाघर से शेर और शेरनी के जोड़े को बंगाल सफारी पार्क में लाया गया था. उनके नाम अकबर और सीता रखा गया था. इस नाम को लेकर काफी विवाद हुआ था. सिलीगुड़ी की सड़कों पर विश्व हिंदू परिषद के नेता और कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन भी हुआ था. बंगाल सफारी अथॉरिटी पर भी कई आरोप लगाए गए थे. इसके बाद यह मामला कोलकाता हाई कोर्ट को सौंप दिया गया.
विश्व हिंदू परिषद की सिलीगुड़ी शाखा ने कुछ मीडिया में शेर और शेरनी के जोड़े के नाम को लेकर चर्चा होने के बाद प्रशासन और बंगाल सफारी पर आरोप लगाते हुए इस मामले को 16 फरवरी 2023 को कोलकाता हाई कोर्ट में सौंप दिया. हालांकि बाद में प्रशासन की ओर से कहा गया कि शेर और शेरनी का ऐसा कोई नाम नहीं है. बाद में यह भी खबर आई कि अकबर और सीता नाम त्रिपुरा के चिड़ियाघर से ही दिया गया था. बहरहाल यह मामला कोलकाता हाई कोर्ट में चला गया.
हिंदू संगठनों की मांग थी कि अकबर एक मुगल शासक था. जबकि सीता हिंदुओं के लिए पूज्य हैं. ऐसे में अकबर के साथ सीता नाम कैसे जोड़ा जा सकता है. यह सरासर धार्मिक भावना को आघात पहुंचाने जैसा था. कोलकाता हाई कोर्ट में जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की अदालत में इसकी सुनवाई शुरू हुई .राज्य सरकार के वकील एडिशनल एडवोकेट जनरल देव ज्योति चौधरी ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि अकबर और सीता नाम सरकार ने नहीं रखे है. उन्होंने कहा कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है.
अब अदालत का फैसला आ चुका है. अदालत ने अपने फैसले में शेर और शेरनी के नाम को बदलने का आदेश दिया है. विश्व हिंदू परिषद ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि दोनों पशुओं को अलग-अलग रखा जाना चाहिए. इस बीच राज्य सरकार ने अकबर और सीता नाम को बदलकर सूरज और तान्या रखने का सेंट्रल जू अथॉरिटी को सुझाव दिया है. हालांकि सेंट्रल जू अथॉरिटी पर निर्भर करता है कि वह राज्य सरकार द्वारा सुझाए गए नाम पर मुहर लगाए या नहीं.
बहरहाल अदालत ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले नाम को बदलने का आदेश देकर चिड़ियाघर प्राधिकरण की मनमानी पर भी रोक लगाई है. अदालत का फैसला स्पष्ट है. किसी भी धर्म अथवा समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई नहीं जानी चाहिए. अदालत के फैसले का धार्मिक संगठनों ने स्वागत किया है और इसे धर्म की जीत बताया है. सिलीगुड़ी में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता काफी खुश हैं.
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