क्या दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल से अलग है? अगर नहीं तो सिलीगुड़ी से पहाड़ में जाने वाली टैक्सी तथा दूसरी गाड़ियों का पहाड़ के स्थानीय चालक और ऑपरेटर क्यों विरोध कर रहे हैं? चाहे पहाड़ का हो अथवा समतल की, सभी गाड़ियों की परमिट पश्चिम बंगाल सरकार, परिवहन विभाग जारी करता है और बंगाल परमिट की गाड़ियां पूरे बंगाल में बे रोक टोक चलती हैं. ऐसे में अगर सिलीगुड़ी की गाड़ियों को दार्जिलिंग अथवा पहाड़ में डिस्टर्ब किया जाता है तो इसके लिए दोषी कौन? क्या पहाड़ के परिचालन नियम अलग और समतल के परिचालन नियम अलग-अलग हैं? आज यह सवाल समतल के परिवहन ऑपरेटर और ड्राइवर की जुबान पर है और वे अपने सवाल का जवाब अधिकारी से मांग रहे हैं.
हर बार ऑफ सीजन में समतल और पहाड़ के वाहन ऑपरेटर और ड्राइवरों के बीच झगड़ा बढ़ जाता है. इस सीजन में क्योंकि पर्यटक पहाड़ में घूमने के लिए बहुत कम आते हैं. ऐसे में पहाड़ के वाहन चालकों और ऑपरेटर को भाड़ा नहीं मिलता. जबकि दूसरी ओर सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग जाने वाली गाड़ियों में पर्यटक और यात्री होते हैं.यह देखकर कहीं ना कहीं पहाड़ के वाहन ऑपरेटर और स्थानीय चालकों को जलन होने लगती है. उन्हें यह लगता है कि अगर उन्हें काम नहीं मिल रहा है तो दूसरों को भी काम नहीं मिलना चाहिए. यही कारण है कि वह समतल से आने वाली गाड़ियों को पहाड़ में चलने नहीं देने के लिए चालकों को धमकी देते हैं तथा उनके साथ बदसलूकी करते हैं.
इस समय दार्जिलिंग पहाड़ में इस तरह की घटनाएं काफी बढ़ गई है. आरोप है कि पहाड़ के कुछ स्थानीय गुंडा तत्व सिलीगुड़ी से आने वाली गाड़ियों को जगह-जगह डिस्टर्ब करते हैं. कभी पार्किंग के नाम पर तो कभी व्यू प्वाइंट को लेकर स्थानीय पुलिस भी उनकी गाड़ियों का चालान करती है. जबकि उनके सारे कागजात ओके होते हैं. आज यह सभी बातें कहते हुए हिमालयन ट्रैवल एंड टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी संदीपन घोष का भी दर्द छलक कर बाहर आ गया. उन्होंने कहा कि समतल के ड्राइवरो को मानसिक तौर पर टॉर्चर दिया जा रहा है. यह पर्यटन उद्योग के लिए अच्छी बात नहीं है.
समतल के चालकों के साथ पहाड़ के चालकों का यह व्यवहार वहां के सिंडिकेट से प्रेरित है, जिसके विरुद्ध स्थानीय प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. दार्जिलिंग में पार्किंग की भी एक बड़ी समस्या है. वहां कोई अधिकृत तौर पर पार्किंग है नहीं. ऐसे में अगर सिलीगुड़ी का कोई वाहन चालक स्टैंड पर कुछ देर के लिए अपनी गाड़ी पार्क कर लेता है, तो स्थानीय ट्रैफिक पुलिस उसका चालान काट देती है. इस तरह से अन्य कई तरीकों से समतल के चालकों को दार्जिलिंग में मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है.
EHITTOA के अध्यक्ष देवाशीष मैत्रा ने संबंधित विभाग और अधिकारियों का ध्यान वर्तमान में पहाड़ में चल रहे तथाकथित सिंडिकेट और परिवहन ऑपरेटर की समस्या की ओर आकर्षित करते हुए इस समस्या के शीघ्र से शीघ्र समाधान की मांग की है. देवाशीष मैत्रा ने संबंधित विभाग के अधिकारियों से सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग जाने वाले चालकों की सुरक्षा और सुगम परिवहन सुनिश्चित करने की मांग की है. उन्होंने स्थानीय ट्रैफिक पुलिस के द्वारा समतल के गाड़ी चालकों को पूरे कागजात होने के बावजूद चालान करने की घटना की भी जांच की मांग की है. उन्होंने अधिकारियों से अपील की है कि समतल और पहाड़ के गाड़ी चालकों के बीच एक मैत्री कायम हो तथा उनके कार्यों में परस्पर सहयोग की भावना प्रदर्शित हो.